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अमित कुमार - आर्टिस्ट प्रोफाईल - मेरे ये गीत याद रखना

मेरे ये गीत याद रखना  आज जाने पार्श्व गायक अमित कुमार के सफ़र की दास्ताँ, और सुनें उनके कुछ यादगार गीत, आपके प्रिय आर जे विवेक श्रीवास्तव के साथ

हिंदी फिल्म इतिहास का वो साल : सन १९५६ : मेरे ये गीत याद रखना

सा ल १९५६, कैसा था हिंदी फिल्म के इतिहास का, किन गीतों ने मचाई धूम, किन संगीतकारों का रहा दबदबा, किन गीतकारों ने चलाया कलम का जादू, वो कौन सी आवाजें थी जिन्होंने श्रोताओं के दिलों पर राज़ किया, जानिए इस साल की कहानी कार्यक्रम "मेरे ये गीत याद रखना" के इस एपिसोड में, आपके प्रिय विवेक श्रीवास्तव के साथ

मूड्स ऑफ़ बॉलीवुड : तनहा रेगिस्तान : मेरे ये गीत याद रखना

तपता रेगिस्तान, दूर तक फैला बियाबान, बोलती तन्हाईयाँ, गूंजती खामोशियाँ, और दिल की बेजारियों से निकलते कुछ बहतरीन नगमें. आईये चलें इस सुरीले सफ़र में विवेक श्रीवास्तव के साथ, मेरे ये गीत याद रखना के इस एपिसोड में...

बॉलीवुड के लेजेन्ड्स : जब रफ़ी साहेब ने गीत सुनाये बच्चों को : मेरे ये गीत याद रखना

यूं  तो रफ़ी साहब का हर गीत दिल के तार झनझना जाता है. पर उनके नन्हें मुन्ने बच्चों को संबोधित कर गाये हुए गीतों को सुनकर तो लगता है जैसे बचपन लौट आया हो. तो आईये आधे घंटे के लिए अपनी दौड़ भाग वाली ज़िन्दगी को ज़रा सा थाम कर बचपन की गलियों में फेरा लगा आईये, रफ़ी साहब की आवाज़ के साथ. यक़ीनन आप अच्छा महसूस करेगें. स्किप्ट है सजीव सारथी की और प्रस्तुति है विवेक श्रीवास्तव की