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Showing posts with the label Sangeet Sameeksha

औरंगजेब - सपनों के लिए चुकाई अपनों की कीमत

प्लेबैक वाणी - 4 6 - संगीत समीक्षा - औरंगजेब इश्क्जादे फिल्म से अपने करियर की शुरुआत करने वाले अर्जुन कपूर की दूसरी बहुप्रतीक्षित फिल्म औरंगजेब इस सप्ताह प्रदर्शित हुई है. इस फिल्म में ऋषि कपूर, जैकी श्रोफ और पृथ्वीराज प्रमुख भूमिकाओं में हैं. आज देखते हैं कि इस फिल्म का संगीत कैसा है. इस फिल्म के गानों को संगीतबद्ध करा है विपिन मिश्रा और अमर्त्य रोहत ने. गानों के बोल लिखे हैं विपिन मिश्रा, पुनीत शर्मा और मनोज कुमार नाथ ने. इस एल्बम का पहला गाना है बरबादियाँ. यह गाना काफी सुना जा रहा है आजकल. इसे गाया है मशहूर पाकिस्तानी गायिका सलमा आगा की बेटी साशा आगा ने जो खुद भी इस फिल्म से अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत कर रही हैं. साशा का साथ दिया है राम संपथ ने. यह गाना पार्टियों में खूब बजने वाला है. जिगरा फकीरा इस एल्बम का दूसरा गाना है. इसे आवाज़ दी है कीर्थी सगाथिया ने. इस गाने में गिटार का इस्तेमाल अच्छे से किया गया है. पंजाबी शब्दों का भरपूर इस्तेमाल करा गया है. यह गाना थोड़ा धीमा जरूर है पर कीर्थी ने इसके साथ पूरा न्याय करा है. बरबादी के मोहन की आवाज़ में है. गाना काफी धीमा है पर ...

सिनेमा के शानदार 100 बरस को अमित, स्वानंद और अमिताभ का संगीतमय सलाम

प्लेबैक वाणी -4 4 - संगीत समीक्षा - बॉम्बे टा'कीस सि नेमा के १०० साल पूरे हुए, सभी सिने प्रेमियों के लिए ये हर्ष का समय है. फिल्म इंडस्ट्री भी इस बड़े मौके को अपने ही अंदाज़ में मना या भुना रही है. १०० सालों के इस अद्भुत सफर को एक अनूठी फिल्म के माध्यम से भी दर्शाया जा रहा है. बोम्बे  टा'कीस  नाम की इस फिल्म को एक नहीं दो नहीं, पूरे चार निर्देशक मिलकर संभाल रहे हैं, जाहिर है चारों निर्देशकों की चार मुक्तलिफ़ कहानियों का संकलन होगी ये फिल्म. ये चार निर्देशक हैं ज़ोया अख्तर, करण जोहर, अनुराग कश्यप और दिबाकर बैनर्जी. अमित त्रिवेदी का है संगीत तथा गीतकार हैं स्वानंद किरकिरे और अमिताभ भट्टाचार्य. चलिए देखते हैं फिल्म की एल्बम में बॉलीवुड के कितने रंग समाये हैं.  पहला  गीत बच्चन  हिंदी सिनेमा के सबसे बड़े सुपर स्टार अमिताभ बच्चन को समर्पित है...जी हाँ सही पहचाना वही जो रिश्ते में सबके बाप  हैं. शब्दों में अमिताभ भट्टाचार्य ने सरल सीधे मगर असरदार शब्दों में हिंदी फिल्मों पर बच्चन साहब के जबरदस्त प्रभाव को बखूबी बयाँ किया है. अमित की तो बात ही निराली है, ग...

क्या प्यार की मदहोशियाँ और सुरीली सरगोशियाँ लौटेगीं ‘आशिकी’ के नए दौर में

प्लेबैक वाणी -4 3 - संगीत समीक्षा - आशिकी 2 महेश भट्ट और गुलशन कुमार ने मिलकर जब आशिकी की संकल्पना की थी नब्बे के दशक में, तो शायद ये अपने तरह की पहली फिल्म थी जिसके लिए गीतों का चयन पहले हुआ और फिर उन गीतों को माला में पिरोकर एक प्रेम कहानी लिखी गयी. फिल्म के माध्यम से राहुल रॉय और अनु अग्रवाल का फिल्म जगत में पदार्पण हुआ. ये कैसेट्स क्रांति का युग था जिसके कर्णधार खुद गुलशन कुमार थे. गुलशन कुमार हीरों के सच्चे पारखी थे, जिन्होंने चुना कुमार सानु, अलका याग्निक, अनुराधा पौडवाल और नितिन मुकेश को पार्श्वगायन के लिए, संगीत का जिम्मा सौंपा नदीम श्रवण को और गीतकार चुना समीर को. ये सभी कलाकार अपेक्षाकृत नए थे, मगर इस फिल्म के संगीत की सफलता के बाद ये सभी घर घर पहचाने जाने लगे. ये विज़न था गुलशन कुमार और महेश भट्ट का, जिसने तेज रिदम संगीत के सर चढ कर बोलते काल में ऐसे सरल, सुरीले और कर्णप्रिय संगीत को मार्केट किया. फिल्म के पोस्टर्स तक बेहद रचनात्मक रूप से रचे गए थे, जिसमें बेहद सफाई से युवा नायक और नायिका का चेहरा उजागर होने से बचाया गया था. ये आत्मविश्वास था उस निर्माता निर्देशक ...

एक डायन जो डराती नहीं, सुरीली तान छेड़ माहौल खुशगवार बनाती है!

प्लेबैक वाणी -4 2 - संगीत समीक्षा - एक थी डायन इस साल की शुरुआत विशाल और गुलज़ार की टीम रचित  मटरू की बिजिली का मंडोला  से हुई थी. यही सदाबहार जोड़ी एक बार फिर श्रोताओं के समक्ष है इस बार एक डायन की कहानी के बहाने. जी हाँ  एक थी डायन  के संगीत एल्बम के साथ वापसी कर रही है विशाल की पूरी की पूरी टीम. चलिए मिलते हैं इस संगीतमय डायन से आज.   सूरज से पहले जगायेंगें, और अखबार की सारी सुर्खियाँ पढ़ के सुनायेंगें...मुँह खुली जम्हायीं पर हम बजायेंगें चुटकियाँ.... बड़े ही अनूठे अंदाज़ से खुलता है ये गीत, जहाँ पहली पंक्ति से ही गुलज़ार साहब श्रोताओं के कान खड़े कर देते हैं. हालाँकि विशाल की धुन में कहीं कहीं  सात खून माफ  के ओ मामा  की झलक मिलती है, पर सच मानिये शब्दों का नयापन सारी खामियों को भर देता है, उस पर सुनिधि की आवाज़ जादू सा असर करती है. हालाँकि क्लिंटन की आवाज़ भी उनका भरपूर साथ देती है. सपने में मिलती है  में खनकती सुरेश वाडकर की आवाज़ आज भी दिल को गुदगुदा जाती है. संजीदा आवाज़ वाले सुरेश से मस्ती वाले ऐसे गीत विशाल बखूबी गवा ...

सुनने वालों को ‘हूकां’ मार पुकारता है ‘नौटकी साला’ का संगीत

प्लेबैक वाणी -41 - संगीत समीक्षा - नौटंकी साला सीमित संसाधनों का इस्तेमाल कर कम बजट की फिल्मों का चलन इन दिनों बॉलीवुड में जोरों पर है. इन फिल्मों में अक्सर अनोखी कहानियाँ के तजुर्बे होते हैं और अगर इन फिल्मों में संगीत जोरदार हो तो मज़ा कई गुना बढ़ जाता है. आज हम एक ऐसी ही फिल्म के संगीत की चर्चा करेंगे जिसमें सभी कलाकार अपेक्षाकृत नए या कम चर्चित हैं और जहाँ गीत संगीत का जिम्मा भी किसी एक बड़े संगीतकार गीतकार ने नहीं बल्कि नए और उभरते हुए कलाकारों की पूरी टीम ने मिलकर संभाला है. फिल्म है ‘नौटंकी साला’ जिसके संगीत की चर्चा आज हम करेंगें ताजा सुर ताल के इस साप्ताहिक स्तंभ में. बेहद प्रतिभाशाली फलक शबीर ने अपने ही लिखे और स्वरबद्ध गीत को अपनी आवाज़ दी है मेरा मन गीत में. हालाँकि ये उनका कोई नया गीत नहीं है, उनकी एक पुरानी प्रसिद्ध एल्बम का मशहूर गीत था ये, पर अधिकतर भारतीय श्रोताओं के ये काफी हद तक अनसुना ही है, यही कारण है कि ये गीत तेज़ी से इन दिनों लोकप्रिय हुआ जा रहा है. इस सरल मधुर रोमांटिक गीत में युवा धडकनों को धड़काने का पर्याप्त...

संगीत की सुरीली बयार – अमन की आशा

प्लेबैक वाणी -40 - संगीत समीक्षा - अमन की आशा दोस्तों, आज हम चर्चा करेंगें एक और एल्बम की,  ‘ अमन की आशा ’  के पहले भाग को श्रोताओं ने हाथों हाथ लिया तो इस सफलता ने टाईम्स म्यूजिक को प्रेरित किया कि इस अनूठे प्रयास को एक कदम और आगे बढ़ाया जाए. आज के इस दौर में जब फ़िल्मी संगीत में नयेपन का अभाव पूरी तरह हावी है,  अमन की आशा  सरीखा कोई एल्बम संगीत प्रेमियों की प्यास को कुछ हद तक तृप्त करने कितना कामियाब है आईये करें एक पड़ताल. एल्बम में इतने बड़े और नामी कलाकारों की पूरी फ़ौज मौजूद है कि पहले किसका जिक्र करें यही तय नहीं हो पाता, बहरहाल शुरुआत करते हैं आबिदा परवीन की रूहानी सदा से. गुलज़ार साहब फरमाते हैं कि ये वो आवाज़ है जो सीधे खुदा से बात करती है, वाकई उनके तूने दीवाना बनाया तो मैं दीवाना बना ...को सुनकर इस बात का यकीन हो ही जाता है. इस कव्वाली को जब आबिदा मौला की सदा से उठाती है तभी से श्रोताओं को अपने साथ लिए चलती है और होश वालों की दुनिया से दूर हम एक ऐसे नशीले से माहौल में पहुँच जाते हैं जहाँ ये आवाज़ हमें सीधे मुर्...

युवाओं को एक नए भारत की सृष्टि के लिए आन्दोलित करता एक संगीतमय प्रयास

प्लेबैक वाणी -38 - संगीत समीक्षा - बीट ऑफ इंडियन यूथ संगीत केवल मनोरंजन की वस्तु नहीं है। इसका मूल उद्देश्य इंसान के मनोभावों को एक कैनवास, एक प्लेटफॉर्म देना है। इसकी कोशिश यह होनी चाहिए कि समय-समय पर डूबती उम्मीदों को तिनके भर का हीं सही लेकिन सहारा मिलता रहे। आज अपने देश में हालात यह हैं कि हर इंसान या तो डरा हुआ है या बुझा हुआ है। युवा पीढी रास्ते में या तो भटक रही है या रास्ते को हीं दुलाती मार रही है। इस पीढी की आँखें खोलने के लिए संगीत की कमान थामे कुछ फ़नकार आगे आए हैं। उन्हीं फनकारों की संगीतमय कोशिश का नाम है ’बीट ऑफ इंडियन यूथ’। इस एलबम में कुल ९ भाषाओँ के १३ गाने हैं, जो कि एक विश्व रिकॉर्ड है. एल्बम गिनिस बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराने की कगार पर है. एलबम की एक और प्रमुख खासियत यह है कि इसे डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम का साथ और आशिर्वाद हासिल है। पहला गाना इन्हीं ने लिखा है। कम साज़ों के साथ शुरू होता ’द वीज़न’ बच्चे की मासूमियत में घुले हुए डॉ कलाम के शब्दों के सहारे खड़ा होता है और फिर सजीव सारथी के शुद्ध हिन्दी के शब्द इसके असर क...

‘रंगरेज’ की कूची में अपेक्षित रंगों का अभाव मगर सुर सटीक

प्लेबैक वाणी -37 - संगीत समीक्षा - रंगरेज निर्माता वाशु भगनानी अपने बेटे जैकी को फिल्म जगत में स्थापित करने में कोई कसर छोडना नहीं चाहते. तभी तो उन्होंने भी रिमेक के इस दौर में एक और हिट तमिल फिल्म नाडोडीगल का हिंदी संस्करण बनाने की ठानी और निर्देशन का भार सौंपा रिमेक एक्सपर्ट प्रियदर्शन के कंधों पर. फिल्म तेलुगु, मलयालम और कन्नडा संस्करण पहले ही बन चुके हैं. जैकी अभिनीत इस फिल्म को शीर्षक दिया गया है रंगरेज.   इस फिल्म की एक और खासियत ये है कि इस फिल्म के लिए निर्देशक प्रियदर्शन और छायाकार संतोष सिवन १५ साल के अंतराल के बाद फिर एक साथ टीमबद्ध हुए हैं. फिल्म का अधिकतर हिस्सा एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती के रूप में मशहूर मुंबई के धारावी इलाके में शूट हुआ है, इसी कारण फिल्म की टीम ने इसका संगीत भी जनता के समक्ष रखा इसी धारावी के दिल से. फिल्म में संगीत है साजिद वाजिद का जिन्हें साथ मिला है दक्षिण के संगीतकार सुन्दर सी बाबू का, जिन्होंने मूल तमिल संस्करण में भी संगीत दिया था. आईये देखें इस रंगरेज की कूची में कितने रंगों के गीत हैं श्रोताओं के लिए...

बंद कमरे की राजनीति में संगीत का तडका

प्लेबैक वाणी -36 - संगीत समीक्षा - साहेब बीबी और गैंगस्टर रिटर्न्स तिग्मांशु धुलिया की सफल   साहेब बीवी और गैंगस्टर   में शयनकक्ष के भीतर का जिस्मानी खेल कैमरे की जद में था , और संगीत के नाम पर एक   जुगनी   का ही जोर था. खैर एक बार फिर तिग्मांशु लौटे है और वापसी हुई है गैंगस्टर की , नए संस्करण में गैंगस्टर बने हैं इरफ़ान. आजकल बॉलीवुड में पुरानी फिल्मों के रिमेक और ताज़ा हिट फिल्मों में द्रितीय तृतीय संस्करणों के अलावा शायद कुछ नही हो रहा है...खैर आज बात करते हैं   ‘ साहेब बीबी और गैंगस्टर रिटर्न्स ’   के संगीत के बारे में. जहाँ पहले संस्करण में संगीतकारों की लंबी फ़ौज मौजूद थी नए संस्करण का पूरा जिम्मा बेहद प्रतिभाशाली संदीप चौठा ने उठाया है. शुद्ध हिंदी और कुछ संस्कृत शब्दों को जड़ कर रचा गया है छल कपट   गीत. जिसे गाया है पियूष मिश्रा ने. पियूष का ये  नाटकीय अंदाज़ एक अलग जोनर बनकर आजकल फिल्मों में छाया हुआ है.   गुलाल   और   गैंग्स ऑफ वासेपुर   की ही तरह यहाँ भी शब्दों की प्रमुखता अधिक है , ध...

दोस्ती के तागों में पिरोये नाज़ुक से ज़ज्बात -"काई पो छे"

प्लेबैक वाणी -35 - संगीत समीक्षा - काई पो छे रूठे ख्वाबों को मना लेंगें, कटी पतंगों को थामेगें, सुलझा लेंगें उलझे रिश्तों का मांजा... गिटार के पेचों से खुलता है ये गीत, सारंगी के मांजे में परवाज़ चढ़ाता है, और अमित के सुरों से जब उन्हीं के स्वर मिलते हैं तो एक सकारात्मक उर्जा का संचार होता है. स्वानंद के शब्दों में बात है रिश्तों की, दोस्ती की और जिंदगी को जीत की दहलीज तक पहुंचा देने वाले ज़ज्बे के. अमित त्रिवेदी ने दिया है श्रोताओं को एक बेशकीमती तोहफा इस गीत के माध्यम से, मुझे जो सबसे अधिक प्रभावित करती है वो है वाध्यों का उनका चुनाव, हर गीत को किन किन गहनों से सजाना है ये अमित बखूबी जानते हैं. मुझे यकीन है कि मेरी ही तरह बहुत से श्रोताओं को उनकी हर नई पेशकश का बेसब्री से इन्तेज़ार रहता है.  आज हम जिक्र कर रहे हैं  ‘ काई पो छे ’  के संगीत की. उलझे रिश्तों को सुलझाते हुए आईये आगे बढते हैं अमित के संगीतबद्ध इस एल्बम में सजे अगले गीत की तरफ. अगला गीत भी दोस्ती के इर्द गिर्द है, मिली नायर की आवाज़ में गजब की ताजगी है, जैसे शबनम के मोती हों सुन...

मर्डर ३ में फिर ले आया दिल प्रीतम और सैयद को एक साथ.

प्लेबैक वाणी -34 - संगीत समीक्षा - मर्डर ३ भट्ट कैम्प की फिल्मों के बारे में हम पहले भी ये कह चुके हैं कि ये एक ऐसा बैनर है जो कहानी की जरुरत के हिसाब से एल्बम में गीतों को सजाता है, जबरदस्ती का कोई आईटम नहीं, कोई गैर जरूरी ताम झाम नहीं. ये एक ऐसा बैनर है जहाँ आज भी मेलोडी और शाब्दिक सौन्दर्य को ही तरजीह दी जाती है.  आईये इस बैनर की नई पेशकश ‘मर्डर ३’ के संगीत के बारे में जानें. ‘मर्डर’ के पहले दो संस्करणों का संगीत बेहद सफल और मधुर रहा हैं, विशेषकर अनु मालिक का रचे पहले संस्करण के गीतों को श्रोता अब तक नहीं भूले हैं. ‘मर्डर ३’ के संगीतकार हैं प्रीतम और गीतकार हैं सैयद कादरी. रोक्सेन बैंड के मुस्तफा जाहिद की आवाज़ में है “हम जी लेंगें”. मुस्तफा की आवाज़ अन्य रोक् गायकों से कुछ अलग नहीं है, पर शब्दों से सैयद ने गीत को दिलचस्प बनाये रखा है – ‘किसको मिला संग उम्र भर का यहाँ, वो हो रुलाये दिल चाहे जिसको सदा...’, गीत युवा दिलों को ख़ासा आकर्षित करेगा क्योंकि प्रेम और दिल टूटने के अनुभव से गुजर चुके सभी दिल इस गीत से खुद को जोड़ पायेंगें. ...

एनी बडी कैन डांस - इसका संगीत है ही नाचने के लिए

प्लेबैक वाणी -33 -संगीत समीक्षा - ए बी सी डी - एनी बडी कैन डांस विश्व सिनेमा में डांस म्युसिकल्स की पारंपरिक श्रृखलाएं रहीं हैं जो बेहद कामियाब भी साबित हुई है. भारत में इस ट्रेंड को बहुत अधिक परखा नहीं गया कभी. पर अब रेमो डी ’ सूजा प्रभु देवा के साथ मिलकर अपने इस ख्वाब रुपी फिल्म को अमली जामा पहना चुके हैं, फिल्म थ्री डी में है इसमें देश के सबसे उन्दा डांसर्स दर्शकों को एक साथ नज़र आयेंगें. चलिए आज बात करते हैं इसी संगीतमय फिल्म के संगीत की, जिसे संवारा है सचिन जिगर ने. शंकर महादेवन और विशाल दादलानी के स्वरों में ‘ शभु सुतया ’ से बेहतर और क्या शुरुआत हो सकती थी एल्बम की. पारंपरिक ढोल रिदम के साथ ये नृत्य प्रार्थना कहीं कहीं शिव के नटराज रूप की भी झलक देती है. गीत के अंतिम हिस्से में शंकर अपने चिर परिचित अंदाज़ में श्रोताओं का दिल जीत ले जाते हैं. “ बेजुबान ” एक नृत्य प्रेमी की भावनाओं को स्वर देता गीत है, जिसमें सफलता से दूर रहने की कुंठा और हर हाल में कामियाब होने की लगन दोनों बखूबी झलकते हैं. मोहित चौहान के साथ ढेरों अन्य गायक भी हैं ...