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राग मालकौंस : SWARGOSHTHI – 445 : RAG MALKAUNS

स्वरगोष्ठी – 445 में आज नौशाद की जन्मशती पर उनके राग – 1 : राग मालकौंस “मन तड़पत हरिदर्शन को आज...” नौशाद और मोहम्मद रफी पण्डित दत्तात्रेय विष्णु पलुस्कर ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर आज से शुरू हो रही हमारी नई श्रृंखला – “नौशाद की जन्मशती पर उनके राग” में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला में हम भारतीय फिल्म संगीत के शिखर पर विराजमान रहे नौशाद अली के व्यक्तित्व और उनके कृतित्व पर चर्चा करेंगे। श्रृंखला की विभिन्न कड़ियों में हम आपको फिल्म संगीत के माध्यम से रागों की सुगन्ध बिखेरने वाले अप्रतिम संगीतकार नौशाद अली के कुछ राग-आधारित गीत प्रस्तुत करेंगे। 25 दिसम्बर, 1919 को सांगीतिक परम्परा से समृद्ध शहर लखनऊ के कन्धारी बाज़ार में एक साधारण परिवार में नौशाद अली का जन्म हुआ था। इस तिथि के अनुसार दिसम्बर, 2019 को नौशाद का एक सौवाँ जन्मदिन पड़ता है। इस उपलक्ष्य में हम “स्वरगोष्ठी” के दिसम्बर मास के प्रत्येक अंक में नौशाद के कुछ राग आधारित ऐतिहासिक गीत प्रस्तुत करेंगे।

राग मालकौंस : SWARGOSHTHI – 381 : RAG MALKAUNS

स्वरगोष्ठी – 381 में आज राग से रोगोपचार – 10 : मध्यरात्रि का राग मालकौंस अनेक मानसिक और शारीरिक समस्याओं का निदान है यह राग पण्डित दत्तात्रेय  विष्णु  पलुस्कर मोहम्मद रफी ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “राग से रोगोपचार” की दसवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, इस श्रृंखला के लेखक, संगीतज्ञ और इसराज तथा मयूरवीणा के सुविख्यात वादक पण्डित श्रीकुमार मिश्र के साथ आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। मानव का शरीर प्रकृति की अनुपम देन है। बाहरी वातावरण के प्रतिकूल प्रभाव से मानव के तन और मन में प्रायः कुछ विकृतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। इन विकृतियों को दूर करने के लिए हम विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों की शरण में जाते हैं। पूरे विश्व में रोगोपचार की अनेक पद्धतियाँ प्रचलित है। भारत में हजारों वर्षों से योग से रोगोपचार की परम्परा जारी है। प्राणायाम का तो पूरा आधार ही श्वसन क्रिया पर केन्द्रित होता है। संगीत में स्वरोच्चार भी श्वसन क्रिया पर केन्द्रित होते हैं। भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4

राग भैरवी और मालकौंस : SWARGOSHTHI – 371 : RAG BHAIRAVI & MALKAUNS

स्वरगोष्ठी – 371 में आज दस थाट, बीस राग और बीस गीत – 10 : भैरवी थाट पं. भीमसेन जोशी से राग भैरवी में खयाल और पं. राजन मिश्र से फिल्म संगीत की रचना सुनिए पण्डित भीमसेन जोशी पण्डित राजन मिश्र ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला ‘दस थाट, बीस राग और बीस गीत’ की दसवीं और समापन कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 स्वरों में से कम से कम 5 स्वरों का होना आवश्यक है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार 7 मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते हैं। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित व

राग मालकौंस : SWARGOSHTHI – 355 : RAG MALKAUNS

स्वरगोष्ठी – 355 में आज पाँच स्वर के राग – 3 : “मन तड़पत हरिदर्शन को आज…” राजन-साजन मिश्र से श्रृंगाररस की बन्दिश और मुहम्मद रफी से भक्तिरस का गीत सुनिए नौशाद, मुहम्मद रफी और शकील बदायूनी पण्डित राजन और साजन मिश्र "रेडियो प्लेबैक इण्डिया" के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला – “पाँच स्वर के राग” की तीसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के कुछ ऐसे रागों पर चर्चा करेंगे जिनमें केवल पाँच स्वरों का प्रयोग होता है। भारतीय संगीत में रागों के गायन अथवा वादन की प्राचीन परम्परा है। संगीत के सिद्धान्तों के अनुसार राग की रचना स्वरों पर आधारित होती है। विद्वानों ने बाईस श्रुतियों में से सात शुद्ध अथवा प्राकृत स्वर, चार कोमल स्वर और एक तीव्र स्वर; अर्थात कुल बारह स्वरो में से कुछ स्वरों को संयोजित कर रागों की रचना की है। सात शुद्ध स्वर हैं; षडज, ऋषभ, गान्धार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद। इन स्वरों में से षडज और पंचम अचल स्वर माने