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शहर अमरुद का है ये, शहर है इलाहाबाद.....पियूष मिश्रा ने एक बार फिर साबित किया अपना हुनर

ताजा सुर ताल (15) ता जा सुर ताल का नया अंक लेकर उपस्थित हूँ मैं सुजॉय और मेरे साथ है सजीव. सजीव - नमस्कार दोस्तों..सुजॉय लगता है आज कुछ ख़ास लेकर आये हैं आप हमारे श्रोताओं के लिए. सुजॉय - हाँ ख़ास इस लिहाज से कि आज हम मुख्य गीत के साथ-साथ श्रोताओं को दो अन्य गीत भी सुनवायेंगें उसी फिल्म से जिसका का मूल गीत है. सजीव - कई बार ऐसा होता है कि किसी अच्छे विषय पर खराब फिल्म बन जाती है और उस फिल्म का सन्देश अधिकतम लोगों नहीं पहुँच पाता....इसी तरह की फिल्मों की सूची में एक नाम और जुडा है हाल ही में...फिल्म "चल चलें" का. सुजॉय - दरअसल आज के समय में बच्चे भी अभिभावकों के लिए स्टेटस का प्रतीक बन कर रह गए हैं. वो अपने सपने अपनी इच्छाएँ उन पर लादने की कोशिश करते हैं जिसके चलते बच्चों में कुंठा पैदा होती है और कुछ बच्चे तो जिन्दगी से मुँह मोड़ने तक की भी सोच लेते हैं. यही है विषय इस फिल्म का भी... सजीव - फिल्म बेशक बहुत प्रभावी न बन पायी हो, पर एक बात अच्छी है कि निर्माता निर्देशक ने फिल्म के संगीत-पक्ष को पियूष मिश्र जैसे गीतकार और इल्लाया राजा जैसे संगीतकार को सौंपा. फिल्म को लोग भू...