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सुनो ज़िंदगी गाती है...जाने कितने रंगों में डूबकर


इस भाव पर कई गीत बने हैं समय समय पर, कुछ के नाम गिनाते हैं - "ज़िन्दगी प्यार का गीत है, जिसे हर दिल को गाना पड़ेगा", "एक प्यार का नग़मा है, मौजों की रवानी है", "गीत है यह ज़िन्दगी, गुनगुनाते और गाते चले चलो", "ज़िन्दगी गीत है, अपने होठों पे इसको सजा लो", "ज़िन्दगी एक गीत है इसे होठों पे सजा ले", "जीवन को संगीत बना लो, एक जोगी का मीत बना लो", और भी न जाने कितने ऐसे गीत होंगे।



ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 812/2011/252

'ओल्ड इज़ गोल्ड' में कल से हमने शुरु की है लघु शृंखला 'आओ झूमें गायें' जिसके अन्तर्गत हम सुन रहे हैं कुछ आशावादी गीत, जो हैं ज़िन्दगी से भरपूर, जो आपके क़दमों को थिरका दे, जो आप में एक नई ताज़गी पैदा कर दे। कल की कड़ी में 'गुमनाम' फ़िल्म के गीत में ग़म छोड़ के रंगरेली मनाने की सीख दी थी मिस किट्टी केली नें, और आज के गीत में हम जानने वाले हैं कि ज़िन्दगी कौन सा गीत गा रहा है। आशा भोसले की आवाज़ में आज सुनिए फ़िल्म 'पगला कहीं का' का गीत, एक बार फिर हसरत जयपुरी के बोल, और शंकर-जयकिशन का संगीत। और गीत के बोल - "सुनो ज़िन्दगी गाती है ल ल ल ल ला, प्यार की धुन पर छेड़ के नग़मा सबको नाच नचाती है"। यानी कि ज़िन्दगी एक नग़मा है प्यार की धुन पर रचा हुआ। इस भाव पर कई गीत बने हैं समय समय पर, कुछ के नाम गिनाते हैं - "ज़िन्दगी प्यार का गीत है, जिसे हर दिल को गाना पड़ेगा", "एक प्यार का नग़मा है, मौजों की रवानी है", "गीत है यह ज़िन्दगी, गुनगुनाते और गाते चले चलो", "ज़िन्दगी गीत है, अपने होठों पे इसको सजा लो", "ज़िन्दगी एक गीत है इसे होठों पे सजा ले", "जीवन को संगीत बना लो, एक जोगी का मीत बना लो", और भी न जाने कितने ऐसे गीत होंगे।

'पगला कहीं का' फ़िल्म १९७० की निर्मित फ़िल्म थी, जिसके मुख्य कलाकार थे शम्मी कपूर, आशा पारेख, हेलेन, प्रेम चोपड़ा, कृष्णा, और माधवी प्रमुख। इस नामावली को देख कर मुझे शुरु शुरु में यूं लगा था कि आशा जी की आवाज़ में प्रस्तुत गीत ज़रूर हेलेन पर फ़िल्माया गया होगा। पर नहीं, यह सच नहीं! हाँ, हेलेन सीन में ज़रूर हैं, पर वो अपनी सगाई की पार्टी में कुर्सी में बैठी हैं अपने होने वाले पति प्रेम चोपड़ा के साथ। और उस क्लब में एक क्लब सॉंग के रूप में इस गीत को गा रही हैं अभिनेत्री मधुमती, और नृत्य में उनका साथ दे रहे हैं मनमोहन। मधुमती एक ऐसी अभिनेत्री रही हैं जिन पर ज़्यादातर शास्त्रीय-संगीत आधारित गीत या फिर मुजरे फ़िल्माये गये हैं। यह गीत बिल्कुल हेलेन-टाइप गीत है और जो कस्ट्यूम मधुमती नें इस गीत में पहन रखी हैं, वह भी बिल्कुल हेलेन के नृत्य गीतों की याद दिलाते हैं। गीत के बोल तो नृत्य और गीत-संगीत की बात करते हैं, पर गीत में दर्शन भी छुपा हुआ है। आज का गीत फ़िल्म की कहानी से जुड़ा हुआ है। आइए फ़िल्म की कहानी आपको बताई जाए। सुजीत (शम्मी कपूर) बचपन में अपने पिता को पागलखाने में देखने के बाद ख़ुद भी मानसिक रोग का शिकार हो गया था। अनाथालय से वो भाग निकला। सालों बाद एक म्युज़िशियन व गायक श्याम नें उसे सड़कों पर गाते हुए सुना, और तय किया कि क्यों न उसे नाइटक्लब में सिंगर बना लिया जाए! नाइटक्लब में सुजीत की मुलाक़ात जेनी (हेलेन) नामक डान्सर से होती है और दोनों को एक दूसरे से प्यार हो जाता है। पर जब दोनों शादी का ऐलान करते हैं तो नाइटक्लब के मालिक मैक्स (के.एन.सिंह) को यह बात हज़म नहीं होती, बहसा-बहसी चल पड़ती है, हाथापाई तक बात उतर आती है, और अन्त में श्याम (प्रेम चोपड़ा) के हाथों मैक्स का ख़ून हो जाता है। श्याम को बचाने के लिए सुजीत इलज़ाम अपने सर ले लेता है और पुलिस के गिरफ़्त में चला जाता है। जेल में वो मानसिक रूप से बीमार हो जाने की वजह से फिर एक बार मानसिक अस्पताल में पहुँच जाता है। वहाँ डॉ. शालिनी (आशा पारेख) उसकी देख-रेख करती है एक साल तक। वहाँ से मुक्त होने पर जब सुजीत नाइटक्लब वापस लौटता है तो वहाँ जेनी और श्याम की सगाई हो रही होती है और यहीं पर आज का प्रस्तुत गीत आता है "सुनो ज़िन्दगी गाती है......", आइए सुनें।



मित्रों, ये आपके इस प्रिय कार्यक्रम "ओल्ड इस गोल्ड" की अंतिम शृंखला है, ८०० से भी अधिक एपिसोडों तक चले इस यादगार सफर में हमें आप सबका जी भर प्यार मिला, सच कहें तो आपका ये प्यार ही हमारी प्रेरणा बना और हम इस मुश्किल काम को इस अंजाम तक पहुंचा पाये. बहुत सी ऐसी बातें हैं जिन्हें हम सदा अपनी यादों में सहेज कर रखेंगें. पहले एपिसोड्स से लेकर अब तक कई साथी हमसे जुड़े कुछ बिछड़े भी पर कारवाँ कभी नहीं रुका, पहेलियाँ भी चली और कभी ऐसा नहीं हुआ कि हमें विजेता नहीं मिला हो. इस अंतिम शृंखला में हम अपने सभी नए पुराने साथियों से ये गुजारिश करेंगें कि वो भी इस श्रृखला से जुडी अपनी कुछ यादें हम सब के साथ शेयर करें....हमें वास्तव में अच्छा लगेगा, आप सब के लिखे हुए एक एक शब्द हम संभाल संभाल कर रखेंगें, ये वादा है.

खोज व आलेख- सुजॉय चट्टर्जी


इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें admin@radioplaybackindia.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें +91-9811036346 (सजीव सारथी) या +91-9878034427 (सुजॉय चटर्जी) को

Comments

Amit said…
सुजॉय बधाई और इंतज़ार है कुछ नए का
दिल संभल जा जरा फिर मोहोब्बत करने चला है तू ' सुनती जा रही हूँ और पगला कहीं का के बारे मे पढ़ रही हूँ.जेनी के रूप मे हेलेन जी ने बहुत ख़ूबसूरती से इस खूबसूरत रोल को निभाया था.उन्हें एक अच्छी अभिनेत्री कभी नही माना गया.पर..उनकी कुछ फिल्मे मुझे याद आती है जिनमे उनका सहनायिका के रूप मे बहुत प्यारे रोल थे.नई पीढ़ी तो जानती भी ना होगी कि हेलेन जी ने दारासिंह जी के साथ कई फिल्मो मे काम किया था.चा चा चा की गंभीर प्रेमिका के रूप मे उन पर बहुत प्यारे गाने फिल्माए गये थे.नर्तकी वो शानदार थी इसमें कोई शक नही.सुजीत (शम्मी कपूर जी) इस फिल्म के पूर्वार्ध मे सजा से बचने के लिए पागल होने नाटक करते हैं.
जेल से छूटते पर प्रेमिका की सगाई अपने ही दोस्त से होते पा कर,दोस्त के द्वारा धोखा देने के कारण वो सचमुच पागल हो जाते हैं.
अब याद नही फिल्म कैसी थी? क्या थी?हाँ 'तुम मुझे भुला ना पाओगे' गाना आज भी पसंद है.
इन्दु जी, आपके पसंदीदा सभी 10 गीतों के सूत्र मुझे मिल गए हैं। 6 गीतों के सूत्र तो मेरे पास पहले से थे, बस 4 के लिए थोड़ी माथापच्ची करनी पड़ी। परन्तु इन्हें मैं आपके e-mail पर ही भेज सकूँगा।
कृष्णमोहन मिश्र
krishnamohan00@live.com

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