सूफी संगीत पर विशेष प्रस्तुति संज्ञा टंडन के साथ सू फी संतों की साधना में चार मकाम बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं- शरीअत , तरी-कत , मारि-फत तथा हकीकत। शरीयत में सदाचरण , कुरान शरीफ का पाठ , पांचों वक्त की नमाज , अवराद यानी मुख्य आयतों का नियमित पाठ , अल्लाह का नाम लेना , जिक्रे जली अर्थात बोलकर या जिक्रे शफी यानी मुंह बंद करके अल्लाह का नाम लिया जाता है। उस मालिक का ध्यान किया जाता है। उसी का प्रेम से नाम लिया जाता है। मुराकवा में नामोच्चार के साथ-साथ अल्लाह का ध्यान तथा मुजाहिदा में योग की भांति चित्त की वृत्तियों का निरोध किया जाता है। पांचों ज्ञानेन्दियों के लोप का अभ्यास इसी में किया जाता है। इस शरीअत के बाद पीरो मुरशद अपने मुरीद को अपनाते हैं , उसे रास्ता दिखाते हैं। इसके बाद शुरू होती है तरी-कत। इस में संसार की बातों से ऊपर उठकर अहम् को तोड़ने , छोड़ने का अभ्यास किया जाता है। अपनी इद्रियों को वश में रखने के लिए शांत रहते हुए एकांतवास में व्रत उपवास किया जाता है। तब जाकर मारिफत की पायदान पर आन...