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झूमती आ रही है सुबह प्यार की....

खरा सोना गीत -  रात के हमसफ़र    प्रस्तोता - अर्शाना सिंह  स्क्रिप्ट - सुजोय                  प्रस्तुति - संज्ञा टंडन                  या फिर यहाँ से डाउनलोड करें 

प्रीतम की पहली दस्तक २१ वीं पायदान पर और २० पर हैं अम्बरसरिया

पायदान # २१ - मैं रंग शरबतों का... पायदान # २० - अम्बरसरिया...

सूफी संतों के सदके में बिछा सूफी संगीत (सूफी संगीत ०३)

सूफी संगीत पर विशेष प्रस्तुति संज्ञा टंडन के साथ  सू फी संतों की साधना में चार मकाम बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं- शरीअत ,  तरी-कत ,  मारि-फत तथा हकीकत। शरीयत में सदाचरण  ,  कुरान शरीफ का पाठ ,  पांचों वक्त की नमाज ,  अवराद यानी मुख्य आयतों का नियमित पाठ ,  अल्लाह का नाम लेना ,  जिक्रे जली अर्थात बोलकर या जिक्रे शफी यानी मुंह बंद करके अल्लाह का नाम लिया जाता है। उस मालिक का ध्यान किया जाता है। उसी का प्रेम से नाम लिया जाता है। मुराकवा में नामोच्चार के साथ-साथ अल्लाह का ध्यान तथा मुजाहिदा में योग की भांति चित्त की वृत्तियों का निरोध किया जाता है। पांचों ज्ञानेन्दियों के लोप का अभ्यास इसी में किया जाता है। इस शरीअत के बाद पीरो मुरशद अपने मुरीद को अपनाते हैं  ,  उसे रास्ता दिखाते हैं। इसके बाद शुरू होती है तरी-कत। इस में संसार की बातों से ऊपर उठकर अहम् को तोड़ने  ,  छोड़ने का अभ्यास किया जाता है। अपनी इद्रियों को वश में रखने के लिए शांत रहते हुए एकांतवास में व्रत उपवास किया जाता है। तब जाकर मारिफत की पायदान पर आने का मौका मिलता है। इस परम स्थिति में आने के लिए भी सात मकाम तय

इस ईद "जिक्र" उस परवरदिगार का सूफी संगीत में

प्लेबैक इंडिया ब्रोडकास्ट  सूफी संगीत भाग २  कहा जाता है कि सूफ़ीवाद ईराक़ के बसरा नगर में क़रीब एक हज़ार साल पहले जन्मा. भारत में इसके पहुंचने की सही सही समयावधि के बारे में आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन बारहवीं-तेरहवीं शताब्दी में ग़रीबनवाज़ ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती बाक़ायदा सूफ़ीवाद के प्रचार-प्रसार में रत थे. (पूरी पोस्ट यहाँ पढ़ सकते हैं)

हरफनमौला कलाकार हैं हमारे पियूष मिश्रा

वो थियटर के एक बड़ी शख्सियत हैं, फिल्मों में उनके लिए ख़ास किरदार लिखे जाते हैं, कभी वो खुद भी कहानियों को परदे पर साकार करने वाले सेतु बन जाते हैं, तो कभी गायक, गीतकार और संगीतकार की भूमिका अख्तियार कर लेते हैं, आईये हमारे पोडकास्टर सुनील के साथ पड़ताल करें हरफनमौला कलाकार पियूष मिश्रा के रचनात्मक सफ़र की.  

कातिल आँखों वाले दिलबर को रिझाती आशा की आवाज़

खरा सोना गीत - यार बादशाह यार दिलरुबा स्वर  - दीप्ती सक्सेना प्रस्तुति  - संज्ञा टंडन स्क्रिप्ट - सुजॉय चट्टरजी

राग गौड़ मल्‍हार के गीत

प्लेबैक इण्डिया ब्रोडकास्ट ‘गरजत बरसत सावन आयो...’ राग गौड़ मल्हार पर आधारित फिल्मी गीत                                                 आलेख : कृष्णमोहन मिश्र  स्वर एवं प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन

तारों की छांव में प्रीत की बायर

गोल्ड सीरिस - खरा सोना गीत ०६ टिम टिम टिम तारों के दीप जले.... स्वर  - लता, तलत शब्द - भरत व्यास संगीत - वसंत देसाई कार्यक्रम स्क्रिप्ट - सुजॉय चट्टरजी प्रस्तुतकर्ता एवं कार्यक्रम संचालक - संज्ञा टंडन

छला जिस लूटेरे ने उसी का है इंतज़ार...

गोल्ड सीरीस, खरा सोना गीत 04 रुला के गया सपना मेरा लता मंगेशकर शैलेन्द्र एस डी बर्मन शो स्क्रिप्ट : सुजॉय चट्टर्जी स्वर : अन्तरा चक्रवर्ती प्रस्तुति : संज्ञा टंडन

सी ए टी कैट, कैट माने बिल्ली...एक खिलखिलाता गीत

खरा सोना गीत ०२  गीत : सी ए टी कैट, कैट माने बिल्ली... गायक  कलाकार : किशोर और आशा  गीतकार : मजरूह सुल्तानपुरी संगीतकार : रवि  स्क्रिप्ट  :  सुजॉय चट्टर्जी स्वर  : श्वेता  प्रस्तुति  : संज्ञा टंडन संकल्पना  : सजीव सारथी 

सुनें राग तिलक कामोद में स्वरबद्ध कुछ सुरीले फ़िल्मी गीत संज्ञा टंडन के साथ

प्लेबैक  इंडिया ब्रोडकास्ट राग तिलक कामोद  स्वर एवं प्रस्तुति - संज्ञा टंडन  स्क्रिप्ट - कृष्णमोहन मिश्र

संगीत 2012 - कैसा था संगीत के लिहाज से बीता वर्ष -एक अवलोकन

वर्ष २०१२ में श्रोताओं ने क्या क्या सुना, किसे पसंद किया और किसे सिरे से नकार दिया, किन गीतों ने हमारी धडकनों को धड़कने के सबब दिया, किन शब्दों ने हमारे ह्रदय को झकझोरा, और किन किन फनकारों की सदाएं हमारी रूह में उतर कर अपनी जगह बनने में कामियाब रहीं, आईये इस पोडकास्ट में सुनें पूरे वर्ष के संगीत का एक मुक्कमल लेखा जोखा. साथ ही किन संगीत योद्धाओं को हमारे श्रोताओं ने दिया वर्ष-सर्वश्रेष्ठ का खिताब, ये भी जाने. कुछ कदम थिरकाने वाले गीतों के संग आईये अलविदा कहें वर्ष २०१२ को और स्वागत करें २०१३ का. नववर्ष आप सबके लिए मंगलमय हो. इसी कामना के साथ प्रस्तुत है रेडियो प्लेबैक का ये पोडकास्ट. 

शास्त्रीय रागों में समय प्रबंधन

प्लेबैक इंडिया ब्रोडकास्ट (17) हर राग को गाये जाने  के लिए एक समय निर्धारित होता है, इनका विभाजन बेहद वैज्ञानिक है. दिन के आठ पहर और हर पहर से जुड़े हैं रागों के विभिन्न रूप. आज के ब्रोडकास्ट में इसी राग आधारित समय प्रबंधन पर एक चर्चा हमारी नियमित पॉडकास्टर संज्ञा टंडन के साथ. अवश्य सुनें और अपनी राय हम तक पहुंचाएं