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रेडियो प्लेबैक ओरिजिनल - तुमको खुशबू कहूं कि फूल कहूं या मोहब्बत का एक उसूल कहूं

प्लेबैक ओरिजिनलस् एक कोशिश है दुनिया भर में सक्रिय उभरते हुए गायक/संगीतकार और गीतकारों की कला को इस मंच के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने की. रेडियो प्लेबैक ओरिजिनल की  श्रृंखला में वर्ष २०१६ में हम लेकर आये हैं , उभरते हुए गायक और संगीतकार " आदित्य कुमार विक्रम " का संगीतबद्ध किया हुआ और उनकी अपनी आवाज में गाया हुआ गाना. इस ग़ज़ल के रचनाकार हैं हृदयेश मयंक ने... तुमको खुशबू कहूं कि फूल कहूं या मोहब्बत का एक उसूल कहूं तुम हो ताबीर मेरे ख़्वाबों की   इक हसीं ख़्वाब क्यों फ़िजूल कहूँ   तुम तो धरती हो इस वतन की दोस्त  कैसे चन्दन की कोई धूल कहूँ  जितने सज़दे किए थे तेरे लिए  इन दुआओं की हो क़बूल कहूँ आदित्य कुमार विक्रम वरिष्ठ कवि महेंद्र भटनागर  के गुणी सुपुत्र हैं. वर्तमान में आदित्य जी मुंबई में अपनी पहचान बनाने में प्रयासरत हैं. रेडिओ प्लेबैक इण्डिया परिवार की शुभकामनाएं आपके साथ हैं. श्रोतागण सुनें और अपनी टिप्पणियों के माध्यम से अपने विचार पहुंचाएं. 

सुधियों के गाँव में विचरते रोहित रूसिया और मनोज जैन मधुर से मिलें

दोस्तों रेडियो प्लेबैक पर हम निरंतर नए और उभरते हुए गायकों, गीतकारों और संगीतकारों को अपने श्रोताओं से जोड़ते चले आये हैं, आज इस सूची में हम जोड़ रहे हैं एक ऐसे अनूठे कलाकार का नाम भी जो एक अच्छे गायक होने के साथ साथ शब्दों के अच्छे पारखी भी है और किसी भी कविता /गीत को सहज धुन में पिरो लेने की महारत भी रखते हैं. ये हैं रोहित रूसिया जो मध्य प्रदेश के छिंदवाडा जिले से हैं, आज अपनी पहली प्रस्तुति के रूप में ये लाये हैं कवि मनोज जैन 'मधुर' की रचना. हालाँकि संगीत संयोजन रोहित नहीं कर पाए पर गीत अपनी मधुरता में किसी भी पूर्ण रूप से संयोजित गीत से कम नहीं है. आप भी सुनें और इस प्रतिभाशाली फनकार को अपनी प्रतिक्रिया देकर प्रोत्साहित करें-  # A Radio Playback Original  Man Paakhi Ud chal re   Lyrics - Manoj Jain Madhur  Music and Vocals - Rohit Rusia  

दिग दिग दिगंत - नया ओरिजिनल

Manoj Agarwal प्लेबैक ओरिजिनलस् एक कोशिश है दुनिया भर में सक्रिय उभरते हुए गायक/संगीतकार और गीतकारों की कला को इस मंच के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने की. इसी कड़ी में हम आज लाये हैं दो नए उभरते हुए फनकार, और उनके समागम से बना एक सूफी रौक् गीत. ये युवा कलाकार हैं गीतकार राज सिल्स्वल (कांस निवासी) और संगीतकार गायक मनोज अग्रवाल, तो दोस्तों आनंद लें इस नए ओरिजिनल गीत का, और हमें बताएं की इन प्रतिभाशाली फनकारों का प्रयास आपको कैसा लगा गीत के बोल - दिग दिग दिगंत  तू भी अनंत, में भी अनंत  चल छोड़ घोंसला, कर जमा होंसला  ये जीवन है, बस एक बुदबुदा  फड पंख हिला और कूद लगा   थोडा जोश में आ, ज़ज्बात जगा  पींग बड़ा आकाश में जा  ले ले आनंद, दे दे आनंद दिग दिग दिगंत दिग दिग दिगंत    तारा टूटा, सारा टूटा  जो हारा , हारा टूटा  क्यों हार मना, दिल जोर लगा  सोतान का सगा है कोन यहाँ  तेरे रंग में रंगा है कौन यहाँ  तू खुद का खुदा है, और खुद में खुदा है  ढोंगी है संत झूठे महंत  दिग दिग दिगंत दिग दिग दिगंत   

आज छुपा है चाँद - नया ओरिजिनल - वरिष्ठ कवि पिता और युवा संगीतकार पुत्र की संगीतमयी बैठक

कवि महेंद्र भटनागर  दोस्तों लीजिए पेश है वर्ष २०१२ का एक और प्लेबैक ओरिजिनल. ये गीत है वरिष्ठ कवि मेहन्द्र भटनागर का लिखा जिसे स्वरबद्ध किया और गाया है उन्हीं के गुणी सुपुत्र कुमार आदित्य ने, जो कि एक उभरते हुए गायक संगीतकार हैं. सुनें और टिप्पणियों के माध्यम से सम्न्बधित फनकारों तक पहुंचाएं. गीत के बोल - नभ के किन परदों के पीछे आज छिपा है चाँद ? मैं पूछ रहा हूँ तुमसे ओ नीरव जलने वाले तारो ! मैं पूछ रहा हूँ तुमसे ओ अविरल बहने वाली धारो ! सागर की किस गहराई में आज छिपा है चाँद ? नभ के किन परदों के पीछे आज छिपा है चाँद ? ॰ मैं पूछ रहा हूँ तुमसे ओ मन्थर मुक्त हवा के झोंको ! जिसने चाँद चुराया मेरा उसको सत्वर भगकर रोको ! नयनों से दूर बहुत जाकर आज छिपा है चाँद ? नभ के किन परदों के पीछे आज छिपा है चाँद ? ॰ मैं पूछ रहा हूँ तुमसे ओ तरुओ ! पहरेदार हज़ारों, चुपचाप खड़े हो क्यों ? अपने पूरे स्वर से नाम पुकारो ! दूर कहीं मेरी दुनिया से आज छिपा है चाँद ! नभ के किन परदों के पीछे आज छिपा है चाँद ? संगीतकार गायक कुमार आदित्य 

आर्टिस्ट ऑफ द मंथ - गीतकार सजीव सारथी

सजीव सारथी का नाम इंटरनेट पर कलाकारों की जुगलबंदी करने के तौर पर भी लिया जाता है. वर्चुएल-स्पेस में गीत-संगीत निर्माण की नई और अनूठी परम्परा की शुरूआत करने का श्रेय सजीव सारथी को दिया जा सकता है. मात्र बतौर एक गीतकार ही नहीं, बल्कि अपने गीत संगीत अनुभव से उन्होंने "पहला सुर", "काव्यनाद" और "सुनो कहानी" जैसी अलबमों और अनेकों संगीत आधारित योजनाओं के निर्माण में भी रचनात्मक सहयोग दिया, और हिंदी की सबसे लोकप्रिय संगीत वेब साईटों (आवाज़, और रेडियो प्लेबैक इंडिया) का कुशल संचालन भी किया. अपने ५ वर्षों के सफर में सजीव ने इन्टरनेट पर सक्रिय बहुत से कलाकारों के साथ जुगलबंदी की हैं. आज सुनिए उन्हीं की जुबानी उनके अब तक के संगीत सफर की दास्तान, उन्हें के रचे गीतों की चाशनी में लिपटी...

लायी हयात आये...रफीक शेख की मखमली आवाज़ में ज़ौक की क्लास्सिक शायरी

रफीक शेख  रफीक शेख रेडियो प्लेबैक के सबसे लोकप्रियक कलाकारों में से एक हैं, विशेष रूप से उनके गज़ल गायन के ढेरों मुरीद हैं. रेडियो प्लेबैक के ओरिजिनल एल्बम " एक रात में " में उनकी गाई बहुत सी गज़लें संगृहीत हैं. आज के इस विशेष कार्यक्रम में हम लाये हैं उन्हीं की आवाज़, एक नई गज़ल के साथ. वैसे गज़ल और गज़लकार के बारे में संगीत प्रेमियों को बहुत कुछ बताने की जरुरत नहीं है. इब्राहीम "ज़ौक" की इस मशहूर गज़ल से आप सब अच्छे से परिचित होंगें. इसे पहले भी अनेकों फनकारों ने अपनी आवाज़ में ढाला है, पर रेडियो प्लेबैक के किसी भी आर्टिस्ट के द्वारा ये पहली कोशिश है. लायी हयात आये कज़ा ले चली चले ना अपनी ख़ुशी आये ना अपनी ख़ुशी चले | दुनिया ने किसका राहे-फ़ना में दिया है साथ तुम भी चले चलो यूं ही जब तक चली चले | कम होंगे इस बिसात पे हम जैसे बदकिमार जो चाल हम चले वो निहायत बुरी चले |

अल्बम - संगीत दिलों का उत्सव है

Album - Sangeet Dilon Ka Utsav Hai संगीत दिलों का उत्सव है - गायक : चार्ल्स फिन्नी, मिथिला कानुगो, गीतकार : सजीव सारथी, संगीत : निखिल रंजन बढे चलो - गायक : जयेश शिम्पी, मानसी पिम्पले, ऋषि एस, गीतकार : अलोक शंकर, सजीव सारथी, संगीत : ऋषि एस मैं नदी - गायक : मानसी पिम्पले, गीतकार : सजीव सारथी, संगीत : ऋषि एस जीत के गीत - गायक : बिस्वजीत, गीतकार : सजीव सारथी, संगीत : ऋषि एस मेरे सरकार - गायक : बिस्वजीत, गीतकार : विश्व दीपक, संगीत :सुभोजित ज़ीनत - गायक : कुहू गुप्ता, गीतकार - विश्व दीपक, संगीत - सतीश वम्मी चुप सी - गायक : श्रीराम ईमनी, गीतकार : सजीव सारथी, संगीत : सुभोजित प्रभु जी - गायक : श्रीनिवास पंडा, गीतकार : सजीव सारथी, संगीत : श्रीनिवास पंडा प्रभु जी - गायक : कुहू गुप्ता, गीतकार : सजीव सारथी, संगीत : श्रीनिवास पंडा आवारगी का रक्स - गायक : श्रीविद्या कस्तूरी, तारा बालाकृष्णन, गीतकार : सजीव सारथी, संगीत : ऋषि एस छू लेना - गायक : कुहू गुप्ता, स्वाति कानिटकर, गीतकार : सजीव सारथी, संगीत : मुरली वेंकट दिल यार यार - गायक : रमेश चेलामनी, गीतकार : सजीव सारथी, संगीत