स्मृतियों के झरोखे से : भारतीय सिनेमा के सौ साल – 28 नौशाद की बारात में जब बैंड पर उन्हीं के रचे गीतों की धुन बजी भारतीय सिनेमा के शताब्दी वर्ष में ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ द्वारा आयोजित विशेष अनुष्ठान- ‘स्मृतियों के झरोखे से’ में आप सभी सिनेमा प्रेमियों का मैं कृष्णमोहन मिश्र अपने साथी सुजॉय चटर्जी के साथ हार्दिक स्वाग त करता हूँ । मित्रों, लगभग आधी शताब्दी तक सिने-संगीत पर एकछत्र राज करने वाले चर्चित संगीतकार नौशाद अली का 25 दिसम्बर को 94वाँ जन्मदिवस है। इस अवसर के लिए आज का यह अंक हम उनकी स्मृतियों को समर्पित कर रहे हैं। फिल्मों में नौशाद का पदार्पण चौथे दशक में ही हो गया था, किन्तु उन्हे स्वतंत्र रूप से पहचान मिली पाँचवें दशक के आरम्भिक वर्षों में। उनके संगीत से सजी, 1944 में प्रदर्शित फिल्म ‘रतन’ को आशातीत सफलता मिली थी। आज के अंक में फिल्म ‘रतन’ और इसी वर्ष बनी तीन अन्य फिल्मों में नौशाद के रचनात्मक योगदान की चर्चा करेंगे। 1944 का साल संगीतकार नौशाद के करीयर का ‘टर्निंग पॉयण्ट ईयर’ साबित हुआ। गीतकार के रूप में ख्याति अर्जित करने के बाद द...