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चित्रकथा - 41: भाई-दूज विशेष: फ़िल्म-संगीत जगत में भाई-बहन की जोड़ियाँ

अंक - 41 भाई-दूज विशेष: फ़िल्म-संगीत जगत में भाई-बहन की जोड़ियाँ "एक हज़ारों में मेरी बहना है..."  'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार! प्रस्तुत है फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत के विभिन्न पहलुओं से जुड़े विषयों पर आधारित शोधालेखों का स्तंभ ’चित्रशाला’। आज रक्षाबंधन है, इस पावन अवसर पर हम अपने सभी पाठकों का हार्दिक अभिनन्दन करते हैं। दोस्तों, हिन्दी सिने संगीत जगत में कई भाई-बहन की जोड़ियों ने काम किया है। आज रक्षाबंधन के अवसर पर आइए ’चित्रशाला’ के ज़रिए याद करें कुछ ऐसे भाई-बहनों को जिन्होंने फ़िल्म संगीत को समृद्ध किया है। तो आइए क्यों ना आज ’चित्रकथा’ के इस अंक में हम याद करें कुछ ऐसी ही भाई-बहन की जोड़ियों को जिन्होंने फ़िल्म-संगीत जगत में अपनी पहचान बनाई हैं, अपनी छाप छोड़ी है। ए क ही परिवार के दो भाई या दो बहनों के फ़िल्म संगीत जगत में काम करने के उदाहरण तो हमें बहुत से मिल जायेंगे, पर एक ही परिवार से एक भाई और एक बहन की जोड़ियों की संख्या उंगलियों पर गिनी जा सकती है। फ़िल्म संगीत के ...

फिल्मों के राग आधारित होली गीत

स्वरगोष्ठी – 160 में आज रागों के रस-रंग से अभिसिंचित फिल्मों में राधाकृष्ण की होली ‘बिरज में होली खेलत नन्दलाल...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के मंच पर ‘स्वरगोष्ठी’ के एक नए अंक के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र, एक बार पुनः आप सब संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। मित्रों, पिछली कड़ी में अबीर-गुलाल के उड़ते सतरंगी बादलों के बीच सप्तस्वरों के माध्यम से सजाई गई महफिल में आपने धमार के माध्यम से होली के मदमाते परिवेश की सार्थक अनुभूति की है। हम यह चर्चा पहले भी कर चुके हैं कि भारतीय संगीत की सभी शैलियों- शास्त्रीय, उपशास्त्रीय, सुगम, लोक और फिल्म संगीत में फाल्गुनी रस-रंग में पगी रचनाएँ मौजूद हैं, जो हमारा मन मोह लेती हैं। इस श्रृंखला में अब तक हमने फिल्म संगीत के अलावा संगीत की इन सभी शैलियों में से रचनाएँ चुनी हैं। आज के अंक में हम विभिन्न रागों पर आधारित कुछ फिल्मी होली गीत लेकर आपके बीच उपस्थित हुए हैं। आज हम आपको राग काफी, पीलू और भैरवी पर आधारित फिल्मी होली गीत सुनवा रहे हैं।  सां स्कृतिक दृष्टि से ब्रज की होली और इस अवसर के...

विविध रागों में निबद्ध मीरा का एक भक्तिपद

स्वरगोष्ठी – 146 में आज रागों में भक्तिरस – 14 ‘एरी मैं तो प्रेम दीवानी मेरा दर्द न जाने कोय...’   ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘रागों में भक्तिरस’ की चौदहवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीतानुरागियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। मित्रों, जारी श्रृंखला के अन्तर्गत अब तक हम आपके लिए भारतीय संगीत के कुछ भक्तिरस प्रधान राग और उनमें निबद्ध रचनाएँ प्रस्तुत कर चुके हैं। साथ ही उस राग पर आधारित फिल्म संगीत के उदाहरण भी आपको सुनवा रहे हैं। श्रृंखला की आज की कड़ी में हम कुछ बदलाव लाने का प्रयास कर रहे हैं। आज हम आपको भक्त कवयित्री मीराबाई का एक भजन प्रस्तुत करेंगे जिसे अलग-अलग गायिकाओं के स्वरों में और विभिन्न रागों में पिरोया गया है। हम आपको मीरा का यह कृष्णभक्ति से परिपूर्ण पद क्रमशः गायिका वाणी जयराम, लता मंगेशकर, गीता दत्त और सुमन कल्याणपुर की आवाज़ों में सुनवाएँगे। एक ही भजन को चार अलग-अलग आवाज़ों और धुनों में सुन कर आपको भजन की भावभिव्यक्ति और रस की ग्राह्यता में अन्तर करने क...

वर्षा ऋतु के रंग : लोक-रस-रंग में भीगी कजरी के संग

स्वरगोष्ठी – 132में आज कजरी गीतों का लोक स्वरूप ‘कैसे खेले जइबू सावन में कजरिया, बदरिया घेरि आइल ननदी...’     ‘स्वरगोष्ठी’ के एक नए अंक में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत प्रेमियों का मनभावन वर्षा ऋतु के परिवेश में एक बार फिर हार्दिक स्वागत करता हूँ। पिछले अंक से हमने वर्षा ऋतु की मनभावन गीत विधा कजरी पर लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के रंग : कजरी के संग’ के माध्यम से एक चर्चा आरम्भ की थी। आज के अंक में हम उस चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कजरी गीतों के मूल लोक स्वरूप को जानने का प्रयास करेंगे और कुछ पारम्परिक कजरियों का रसास्वादन भी करेंगे। कुछ फिल्मों में भी कजरी गीतों का प्रयोग किया गया है। आज के अंक में ऐसी ही एक मधुर फिल्मी कजरी का रसास्वादन करेंगे। भा रतीय लोक-संगीत के समृद्ध भण्डार में कुछ ऐसी संगीत शैलियाँ हैं, जिनका विस्तार क्षेत्रीयता की सीमा से बाहर निकल कर, राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हुआ है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी और मीरजापुर जनपद तथा उसके आसपास के पूरे पूर्वाञ्चल क्षेत्र में कजरी गीतों की बहुलता है। वर्षा ऋतु के परिवेश...

पारम्परिक ठुमरी भैरवी का मोहक फिल्मी रूप

    स्वरगोष्ठी – 124 में आज भूले-बिसरे संगीतकार की कालजयी कृति – 4 राग भैरवी की रसभरी ठुमरी- ‘बाट चलत नई चुनरी रंग डारी श्याम...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी लघु श्रृंखला ‘भूले-बिसरे संगीतकार की कालजयी कृति’ की यह चौथी कड़ी है और इस कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-रसिकों का एक बार पुनः हार्दिक स्वागत करता हूँ। आज हम आपसे एक अत्यन्त लोकप्रिय पारम्परिक ठुमरी के फिल्मी स्वरूप पर चर्चा करेंगे। राग भैरवी की पारम्परिक ठुमरी- ‘बाट चलत नई चुनरी रंग डारी श्याम...’ का प्रयोग दो फिल्मों, लड़की (1953) और रानी रूपमती (1959) में किया गया था। आज के अंक में हम आपसे इस ठुमरी के पारम्परिक स्वरूप, फिल्म लड़की में गायिका गीता दत्त की प्रस्तुति और फिल्म के संगीतकार धनीराम की चर्चा करेंगे। इसके साथ ही हम सुप्रसिद्ध गायक पण्डित अजय चक्रवर्ती के स्वरों में इस ठुमरी का शास्त्रीय और उपशास्त्रीय प्रयोग भी सुनेंगे। 1953 में विख्यात फिल्म निर्माण संस्था ए.वी.एम. की फिल्म ‘लड़की’ का प्रदर्शन हुआ था। यह फिल्म उत्कृष्ठ स्तर के ...

वर्षा ऋतु के रंग : लोक-रस-रंग में भीगी कजरी के संग

स्वरगोष्ठी – ८३ में आज कजरी का लोक-रंग : ‘कैसे खेले जइबू सावन में कजरिया, बदरिया घेरि आइल ननदी...’ भा रतीय लोक-संगीत के समृद्ध भण्डार में कुछ ऐसी संगीत शैलियाँ हैं, जिनका विस्तार क्षेत्रीयता की सीमा से बाहर निकल कर, राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हुआ है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी और मीरजापुर जनपद तथा उसके आसपास के पूरे पूर्वाञ्चल क्षेत्र में कजरी गीतों की बहुलता है। वर्षा ऋतु के परिवेश और इस मौसम में उपजने वाली मानवीय संवेदनाओं की अभियक्ति में कजरी गीत पूर्ण समर्थ लोक-शैली है। शास्त्रीय और उपशास्त्रीय संगीत के कलासाधकों द्वारा इस लोक-शैली को अपना लिये जाने से कजरी गीत आज राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर सुशोभित है। ‘स्वरगोष्ठी’ के आज के एक नए अंक में, मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का स्वागत करता हूँ और प्रस्तुत करता हूँ कजरी गीतों का लोक-स्वरूप। पिछले अंक में आपने कजरी के आभिजात्य स्वरूप का रस-पान किया था। आज के अंक में हम कजरी के लोक-स्वरूप पर चर्चा करेंगे। कजरी की उत्पत्ति कब और कैसे हुई, यह कहना कठिन है, परन्तु यह तो निश्चित है कि मानव को जब स्वर और शब्...