Skip to main content

Posts

Showing posts with the label chor bazari do nayanon kii pahli thi aadat

तू न बदली मैं न बदला, दिल्ली सारी देख बदल गयी....जी हाँ बदल रहा है "लव आजकल"

ताजा सुर ताल (10) ता रुफ़ रोग हो जाए तो उसको भूलना बेहतर, ताल्लुक बोझ बन जाए तो उसको तोड़ना अच्छा ... साहिर साहब ने ये शब्द बहुत दुःख के साथ कहे होंगे, अक्सर हमारी फिल्मों में नायक नायिका को जब किसी कारणवश अलग होना पड़ता है तो अमूमन वो बहुत दुःख की घडी होती है, मन की पीडा "वक़्त ने किया क्या हसीं सितम" जैसे किसी दर्द से भरे गीत के माध्यम से परदे पर जाहिर होती रही है, शायद ही कभी हमारे नायक-नायिका ने उस बात पर गौर किया हो जो साहिर ने उपरोक्त शेर की अगली पंक्तियों में कहा है - वो अफ़साना जिसे अन्जाम तक लाना न हो मुमकिन, उसे एक ख़ूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा... अब जब रिश्ता ऐसी अवस्था में आ गया है कि साथ चल कर कोई मंजिल नहीं पायी जा सकेगी, और बिछड़ना लाजमी हो जाए तो क्यों न इस बिछड़ने के पलों को भी खुल कर जी लिया जाए. घुटन भरे रिश्ते से मिली आजादी को खुल कर आत्मसात कर लिया जाए...कुछ ऐसा ही तय किया होगा आने वाली फिल्म "लव आजकल" के युवा जोड़ी ने. तभी तो बना ये अनूठा गीत, याद नहीं कभी किसी अन्य फिल्म में कोई इस तरह का गीत आया हो जहाँ नायक नायिका बिछड़ने के इन पलों इस त...