Skip to main content

Posts

Showing posts with the label aag

सुनो कहानी: आग - असगर वजाहत

'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में गोपाल प्रसाद व्यास का व्यंग्य " झूठ बराबर तप नहीं " का पॉडकास्ट सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं असगर वजाहत की एक कहानी " आग ", जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। कहानी "आग" का कुल प्रसारण समय 4 मिनट 14 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस कथा का टेक्स्ट गद्य कोश पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें। रात के वक्त़ रूहें अपने बाल-बच्चों से मिलने आती हैं। ~ असगर वजाहत हर शनिवार को आवाज़ पर सुनें एक नयी कहानी आग प्रचंड थी। बुझने का नाम न लेती थी। ( असगर वजाहत की "आग" से एक अंश ) नीचे के प्लेयर से सुनें. (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।) यदि आप इस पॉडकास्ट क...

जिन्दा हूँ इस तरह कि गम-ए-जिंदगी नहीं....उफ़ कैसा दर्द है मुकेश के इन स्वरों में...

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 185 मु केश का फ़िल्म जगत में दाख़िला तो सन् १९४१ में ही हो गया था, लेकिन सही मायने में उनके गानें मशहूर हुए थे सन् १९४८ में जब उन्होने फ़िल्म 'मेला', 'अनोखी अदा'और 'आग' में गानें गाये। जी हाँ, यह वही 'आग' है जिससे शुरुआत हुई थी राज कपूर और मुकेश के जोड़ी की। मुकेश ने राज साहब और उनके इस पहली पहली फ़िल्म के बारे में विस्तार से अमीन सायानी के एक इंटरव्यू में बताया था जिसे हमने आप तक पहुँचाया था 'राज कपूर विशेष' के अंतर्गत, लेकिन उस समय हमने आप को फ़िल्म 'आग' का कोई गीत नहीं सुनवाया था। तो आज वह दिन आ गया है कि हम आप तक पहुँचायें राज कपूर की पहली निर्मित व निर्देशित फ़िल्म 'आग' से मुकेश का गाया वह गीत जो मुकेश और राज कपूर की जोड़ी का पहला पहला गीत था। और पहले गीत में ही अपार कामयाबी हासिल हुई थी। "ज़िंदा हूँ इस तरह के ग़म-ए-ज़िंदगी नहीं, जलता हुआ दीया हूँ मगर रोशनी नहीं"। शुरु शुरु में मुकेश सहगल साहब के अंदाज़ में गाया करते थे। यहाँ तक कि १९४५ की फ़िल्म 'पहली नज़र' में अनिल बिस्वास के संगीत...