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Showing posts with the label ustad gulam mustafa khan

राग दुर्गा : SWARGOSHTHI – 416 : RAG DURGA

स्वरगोष्ठी – 416 में आज बिलावल थाट के राग – 4 : राग दुर्गा उस्ताद गुलाम मुस्तफा खाँ से राग दुर्गा की बन्दिश और लता व मुकेश से फिल्मी गीत सुनिए उस्ताद गुलाम मुस्तफा खाँ अपने  साथियों के साथ चाँद परदेशी “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर हमारी श्रृंखला “बिलावल थाट के राग” की चौथी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट-व्यवस्था है। भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 स्वरों में से कम से कम 5 स्वरों का होना आवश्यक है। संगीत में थाट, रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार 7 मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते हैं। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु न...

राग भीमपलासी : SWARGOSHTHI – 294 : RAG BHIMPALASI

स्वरगोष्ठी – 294 में आज नौशाद के गीतों में राग-दर्शन – 7 : भीमपलासी के स्वर में पिरोया गीत “तेरे सदक़े बलम न करे कोई ग़म.....” ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी श्रृंखला – “नौशाद के गीतों में राग-दर्शन” की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। आज के अंक में हम आपसे राग भीमपलासी पर चर्चा करेंगे। इस श्रृंखला में हम भारतीय फिल्म संगीत के शिखर पर विराजमान नौशाद अली के व्यक्तित्व और उनके कृतित्व पर चर्चा कर रहे हैं। श्रृंखला की विभिन्न कड़ियों में हम आपको फिल्म संगीत के माध्यम से रागों की सुगन्ध बिखेरने वाले अप्रतिम संगीतकार नौशाद अली के कुछ राग-आधारित गीत प्रस्तुत कर रहे हैं। इस श्रृंखला का समापन हम आगामी 25 दिसम्बर को नौशाद अली की 98वीं जयन्ती के अवसर पर करेंगे। 25 दिसम्बर, 1919 को सांगीतिक परम्परा से समृद्ध शहर लखनऊ के कन्धारी बाज़ार में एक साधारण परिवार में नौशाद का जन्म हुआ था। नौशाद जब कुछ बड़े हुए तो उनके पिता वाहिद अली घसियारी मण्डी स्थित अपने नए घर में आ गए। यह...

एक गीत और सात रागों की इन्द्रधनुषी छटा

स्वरगोष्ठी – 115 में आज रागों के रंग रागमाला गीत के संग – 3 राग रामकली, तोड़ी, शुद्ध सारंग, भीमपलासी, यमन कल्याण, मालकौंस और भैरवी के इन्द्रधनुषी रंग दो सप्ताह के अन्तराल के बाद लघु श्रृंखला ‘रागों के रंग, रागमाला गीत के संग’ की तीसरी कड़ी लेकर मैं, कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों की इस गोष्ठी में उपस्थित हूँ। इस लघु श्रृंखला की तीसरी कड़ी में आज हम जो रागमाला गीत प्रस्तुत कर रहे हैं, उसे हमने 1981 में प्रदर्शित फिल्म ‘उमराव जान’ से लिया है। भारतीय फिल्मों में शामिल रागमाला गीतों में यह उच्चस्तर का गीत है, जिसमें क्रमशः राग रामकली, तोड़ी, शुद्ध सारंग, भीमपलासी, यमन कल्याण, मालकौंस और भैरवी का समिश्रण किया गया है। वास्तव में फिल्म का यह रागमाला गीत इन रागों की पारम्परिक बन्दिशों की स्थायी पंक्तियों का मोहक संकलन है। गीत में रागों का क्रम प्रहर के क्रमानुसार है।    भा रतीय संगीत की परम्परा में जब किसी एक गीत में कई रागों का क्रमशः प्रयोग हो और सभी राग अपने स्वतंत्र अस्तित्व में उपस्थित हों तो उस रचना को रागमाला कहते हैं। रा...