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आज के हिंद के युवा का, नया मन्त्र है - " बढ़े चलो ", WORLD WIDE OPENING OF THE SONG # 02 "BADHE CHALO"

जुलाई माह का दूसरा शुक्रवार, और हम लेकर हाज़िर हैं सत्र का दूसरा गीत. पिछले सप्ताह आपने सुना, युग्म के साथ सबसे नए जुड़े संगीतकार निखिल वर्गीस का गीत " संगीत दिलों का उत्सव है ", और आज उसके ठीक विपरीत, हम लाये हैं युग्म के सबसे वरिष्ठ संगीतकार ऋषि एस का स्वरबद्ध किया, नया गीत, अब तक ऋषि, युग्म को अपने तीन बेहद खूबसूरत गीतों से नवाज़ चुके हैं, पर उनका यह गीत उन सब गीतों से कई मायनों में अलग है, मूड, रंग और वाद्य-संयोजन के आलावा इसमें, उन्हें पहले से कहीं अधिक लोगों की टीम के साथ काम करना पड़ा, तीन गीतकारों, और दो गायकों के साथ समन्वय बिठाने के साथ साथ उन्होंने इस गीत में बतौर गायक अपनी आवाज़ भी दी है, शायद तभी इस गीत को मुक्कमल होने में लगभग ६ महीने का समय लगा है. गीत का मूल उद्देश्य, हिंद युग्म की विस्तृत सोच को आज के युवा वर्ग से जोड़ कर उन्हें एक नया मन्त्र देने का है - "बढ़े चलो" के रूप में. गीत के दोनों अंतरे युग्म के स्थायी कवि अलोक शंकर द्वारा लिखी एक कविता, जिसे युग्म का काव्यात्मक परिचय भी माना जाता है , से लिए गए हैं. ”बढ़े चलो” का नारा कवि अवनीश गौतम ने दिया