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देखो, वे आर डी बर्मन के पिताजी जा रहे हैं...

सचिन देव बर्मन साहब की ३३ वीं पुण्यतिथि पर दिलीप कवठेकर का विशेष आलेख - सचिन देव बर्मन एक ऐसा नाम है, जो हम जैसे सुरमई संगीत के दीवानों के दिल में अंदर तक जा बसा है. मेरा दावा है कि अगर आप और हम से यह पूछा जाये कि आप को सचिन दा के संगीतबद्ध किये गये गानों में किस मूड़ के, या किस Genre के गीत सबसे ज़्यादा पसंद है, तो आप कहेंगे, कि ऐसी को विधा नही होगी, या ऐसी कोई सिने संगीत की जगह नही होगी जिस में सचिन दा के मेलोड़ी भरे गाने नहीं हों. आप उनकी किसी भी धुन को लें. शास्त्रीय, लोक गीत, पाश्चात्य संगीत की चाशनी में डूबे हुए गाने. ठहरी हुई या तेज़ चलन की बंदिशें. संवेदनशील मन में कुदेरे गये दर्द भरे नग्में, या हास्य की टाईमिंग लिये संवाद करते हुए हल्के फ़ुल्के फ़ुलझडी़यांनुमा गीत. जहां उनके समकालीन गुणी संगीतकारों नें अपने अपने धुनों की एक पहचान बना ली थी, सचिन दा हमेशा हर धुन में कोई ना कोई नवीनता देने के लिये पूरी मेहनत करते थे. इसीलिये, उनके बारे में सही ही कहा है, देव आनंद नें (जिन्होने अपने लगभग हर फ़िल्म में - बाज़ी से प्रेम पुजारी तक सचिन दा का ही संगीत लिया था)- He was One of the Most Cultu

गुरु दत्त , एक अशांत अधूरा कलाकार !

महान फिल्मकार गुरुदत्त की पुण्यतीथी पर एक विशेष प्रस्तुति लेकर आए हैं दिलीप कवठेकर कुछ दिनों पहले मैंने एक सूक्ति कहीं पढ़ी थी - To make simple thing complicated is commonplace. But ,to make complicated things awesomely simple is Creativity. गुरुदत्त की अज़ीम शख्सियत पर ये विचार शत प्रतिशत खरे उतरते है. वे महान कलाकार थे , Creative Genre के प्रायः लुप्तप्राय प्रजाति, जिनके सृजनात्मक और कलात्मक फिल्मों के लिए उन्हें हमेशा याद किया जायेगा. आज से ४४ साल पहले १० अक्टुबर सन १९६४ को, उन्होंने अपने इस कलाजीवन से तौबा कर ली. रात के १ बजे के आसपास उनसे विदा लेने वाले आख़िरी शख्स थे अबरार अल्वी. उनके निधन से हमें उन कालजयी फिल्मों से मरहूम रहना पडा, जो उनके Signature Fims कही जाती है. वसंथ कुमार शिवशंकर पदुकोने के नाम से इस दुनिया में आँख खोलने वाले इस महान कलाकार नें एक से बढ़कर एक ऐसी फिल्मों से हमारा त,अर्रूफ़ करवाया जो विश्वस्तरीय Masterpiece थीं. गुरुदत्त नें गीत संगीत की चासनी में डूबी, यथार्थ से एकदम नज़दीक खट्टी मीठी कहानियों की पर बनी फ़िल्मों से, उन जीवंत सीधे सच्चे संवेदनशील चरित्रों से हम