गाना: छोटे-छोटे शहरों से चित्रपट: बंटी और बबली संगीतकार: शंकर-एहसान- लॉय गीतकार: गुलज़ार गायक,गायिका:उदित नारायण, सुनिधी चौहान छोटे-छोटे शहरों से खाली भोर-दुपहरों से हम तो झोला उठाके चले बारिश कम-कम लगती है नदिया मद्धम लगती है हम समंदर के अंदर चले हम चले हम चले ओय रामचंद रे धड़क-धड़क धड़क-धड़क धुआँ उड़ाए रे धड़क-धड़क धड़क-धड़क सीटी बजाए रे धड़क-धड़क धड़क-धड़क धुआँ उड़ाए रे धड़क-धड़क धड़क-धड़क मुझे बुलाए रे ओ हो ज़रा रस्ता तो दो थोड़ा-सा बादल चखना है बड़ा-बड़ा कोयले से नाम फ़लक पे लिखना है चाँद से होकर सड़क जाती है उसी पे आगे जाके अपना मकान होगा हम चले हम चले ओय रामचंद रे हम वो चले सर पे लिए अंबर की ठंडी फुलकारियाँ हम ही ज़मीं हम आसमाँ खसमाँ नूँ खाए बाकी जहाँ चाँद का टीका मत्थे लगाके रात-दिन तारों में जीना-वीना ईज़ी नहीं हो हो हो हम चले हम चले ओय रामचंद रे