ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 564/2010/264 'ओ ल्ड इज़ गोल्ड' के दोस्तों नमस्कार, और बहुत बहुत स्वागत है इस स्तंभ में। आज है ५ जनवरी, और आज ही के दिन सन् १९८२ में हमसे हमेशा के लिए जुदा हुए थे वो संगीतकार और गायक जिन्हें हम चितलकर रामचन्द्र के नाम से जानते हैं। उन्हीं के स्वरबद्ध और गाये गीतों से सजी लघु शृंखला 'कितना हसीं है मौसम' इन दिनों जारी है 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर और आज इस शृंखला की है चौथी कड़ी। दोस्तों, सी. रामचन्द्र का ५ जनवरी १९८२ को बम्बई के 'के. ई. एम. अस्पताल' में निधन हो गया। पिछले कुछ समय से वे अल्सर से पीड़ित थे। २२ दिसम्बर १९८१ को उन्हें जब अस्पताल में भर्ती किया गया था, तभी से उनकी हालत नाज़ुक थी। अपने पीछे वे पत्नी, एक पुत्र तथा एक पुत्री छोड़ गये हैं। दोस्तों, अभी कुछ वर्ष पहले जब मैं पूना में कार्यरत था, तो मैं एक दिन सी. रामचन्द्र जी के बंगले के सामने से गुज़रा था। यकीन मानिए कि जैसे एक रोमांच हो आया था उस मकान को देख कर कि न जाने कौन कौन से गीत सी. रामचन्द्र जी ने कम्पोज़ किए होंगे इस मकान के अंदर। मेरा मन तो हुआ था एक बार अदर जाऊँ और उनके