पुरुस्कार और म्युजिक थैरेपी इसके अलावा भी उनकी और एलबम आयी जैसे कहकशां, चिराग जो बहुत लोकप्रिय हुईं। कुछ आलोचकों ने ( जी हां कुछ आलोचक अब भी बचे हुए थे) दबी जबान में कहना शुरु किया कि हांSSSSS , जगजीत सिंह सिर्फ़ सेमी क्लासिकल गजल ही गा सकते हैं उनके पास वेरायटी नहीं है। इस का जवाब दिया जगजीत जी ने पंजाबी गाने गा कर जो एकदम फ़ास्ट, जिंदा दिली से भरे हुए गाने थे जिन्हें सुनते ही आप के कदम अपने आप थिरकने लगें। साथ ही उन्हों ने गाये भजन जो मन को इतनी शांती देते हैं कि आप मेडिटेशन कर सकते हैं। सबसे ऊंची प्रेम सगाई और अब सुनिए एक पंजाबी गाना और आज भी जगजीत जी गायकी के क्षेत्र में नये नये प्रयोग कर रहे हैं । लोग कहते हैं कि नब्बे के दशक से उनकी आवाज में, उनकी गायकी में और निखार आ गया है। मानव मन का ऐसा कोई एहसास नहीं जिसे जगजीत जी अपनी गजलों में न उतार सकते हों। इसी कारण अनेकों बार उन्हें अलग अलग सरकारों से सम्मान मिला है। उनके पिता जो साठ के दशक में उनके संगीत में अपना भविष्य बनाने के निश्चय से चिंतित थे आज गर्व से फ़ूले नहीं समाते। लेकिन सबसे बड़ा पुरुस्कार तो जगजीत जी की गायकी को तब मि...