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प्रलय के बाद भी बचा रहेगा लता मंगेशकर का पावन स्वर !

लता मंगेशकर का जन्मदिन हर संगीतप्रेमी के लिये उल्लास का प्रसंग है. फ़िर हमारे प्रिय चिट्ठाकार संजय पटेल के लिये तो विशेष इसलिये है कि वे उसी शहर इन्दौर के बाशिंदे हैं जहाँ दुनिया की सबसे सुरीली आवाज़ का जन्म हुआ था. लताजी और उनका संगीत संजय भाई के लिये इबादत जैसा है. वे लताजी के गायन पर लगातार लिखते और अपनी अनूठी एंकरिंग के ज़रिये बोलते रहे हैं.आज आवाज़ के लिये लता मंगेशकर पर उनका यह भावपूर्ण लेख लता –मुरीदों के लिये एक विशिष्ट उपहार के रूप में पेश है. आइये भगवान से प्रार्थना करें लताजी दीर्घायु हों और उनकी पाक़ आवाज़ से पूरी क़ायनात सुरीली होती रहे...बरसों बरस. आप शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत या चित्रपट या सुगम संगीत के पूरे विश्व इतिहास पर दृष्टि डाल लीजिये, किंतु आप निराश ही होंगे यह जानकर कि एक भी नाम ऐसा नहीं है जो अमरता का वरदान लेकर इस सृष्टि में आया हो; एक अपवाद छोड़कर और वह नाम है स्वर-साम्राज्ञी भारतरत्न लता मंगेशकर। लताजी के जन्मोत्सव की बेला में मन-मयूर जैसे बावला-सा हो गया है। दिमाग पर ज़ोर डालें तो याद आता है कि लताजी अस्सी के अनक़रीब आ गईं.श्रोताओं की चार पीढ़ियों से राब्ता रखने वा...