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सुर संगम में आज - पंडित बृज नारायण का सरोद वादन - राग श्री

सुर संगम - 04 राग श्री, एक प्राचीन उत्तर भारतीय राग है पूर्वी ठाट का। इसे भगवान शिव से जोड़ा जाता है। यह राग सिख धर्म में गाया जाता है गुरु ग्रंथ साहिब के तहत। गुरु ग्रंथ साहिब में कुल ३१ राग हैं और उसमें राग श्री सब से पहले आता है। गुरु ग्रंथ साहिब के १४ से लेकर ९४ पृष्ठों में जो कम्पोज़िशन है, वो इसी राग में है। सु प्रभात! सुर-संगम स्तंभ के सभी पाठकों व श्रोताओं का स्वागत है आज के इस अंक में। आज इसमें हम चर्चा करेंगे सुप्रसिद्ध सरोद वादक पंडित बृज नारायण की, जिनका बजाया हुआ राग श्री आपको सुनवाएँगे। साथ ही एक ऐसी फ़िल्मी रचना भी सुनवाएँगे जिसमें पंडित जी ने सरोद बजाया है और उस गीत में सरोद का बड़ा ही प्रॊमिनेण्ट प्रयोग हुआ है। बृज नारायण सुप्रसिद्ध सारंगी वादक पंडित राम नारायण के बड़े बेटे हैं। उनका जन्म २५ अप्रैल १९५२ को राजस्थान के उदयपुर में हुआ था। वैसे तो पिता के ज़रिये वो सारंगी भी बजा लेते थे, लेकिन धीरे धीरे उनकी रुचि सरोद में हो गई। बहुत ही कम उम्र से सीखने की वजह से उन्होंने इस विधा में महारथ हासिल की और एक नामचीन सरोद वादक के रूप में जाने गये। बृज नारायण कुछ समय तक अपने चाच...