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ए आर रहमान और ढेरों युवा संगीत कर्मियों के जोश को समर्पित एक गीत

ए आर रहमान का ऑस्कर जीतना पूरे भारत के युवा संगीत कर्मियों के लिए एक अनूठी प्रेरणा बन गया है. पहले हमारे संगीत योद्धा जो अब तक फिल्म फेयर या रास्ट्रीय पुरस्कारों के सपने सजाते थे अब उनमें साहस आ गया है कि वो बड़े अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों और सम्मानों के भी ख्वाब देख पा रहे हैं. उनमें अब ये यकीन भर गया है कि अब उनका मंच एक "ग्लोबल औडिएंस" का है और उनके यानी भारतीय अंदाज़ के संगीत के श्रोता और कद्रदान देश विदेश में फैले भारतीय ही नहीं बल्कि वो विदेशी श्रोता भी हैं जो अब तक भारतीय विशेषकर लोकप्रिय भारतीय फिल्म और गैर फ़िल्मी संगीत से जी चुराते थे.

"It is being an interesting Journey till now. I have come across criticism, flattery, highs and lows" - A.R. Rahman.
ए आर के इसी वक्तव्य से प्रेरित होकर आवाज़ के एक संगीत कर्मी प्रदीप पाठक ने एक गीत रचा,
प्रदीप पाठक
इन्टरनेट पर ही मिले संगीतकार सागर पाटिल ने जब इसे पढ़ा तो वो उसे स्वरबद्ध करने के लिए प्रेरित हुए. पुनीत देसाई ने इसे अपनी आवाज़ दी और इस तरह मात्र इंटरनेटिया प्रयासों से तैयार हुआ संगीत के बादशाह ए आर रहमान को समर्पित ये जोशीला गीत जो युवाओं को बेहद सशक्त रूप से प्रेरित करने की कुव्वत रखता है.

इस गीत के गीतकार, प्रदीप पाठक हिंदुस्तान टाईम्स में सॉफ्टवयेर प्रोफेशनल हैं, दिल से कवि हैं और अपने जज़्बात कलम के माध्यम से दुनिया के सामने रखते हैं. मूल रूप से उत्तराखंड निवासी प्रदीप गुलज़ार साहब और प्रसून जोशी के "फैन" हैं. ज़ाहिर है ए आर रहमान उनके पसंदीदा संगीतकार हैं. संगीतकार सागर पाटिल पिछले 3 वर्षों से एक अंतर्राष्ट्रीय संगीत संस्थानों के लिए कार्यरत हैं. उन्हें नए प्रयोगों में आनंद मिलता है, इस कारण ये प्रोजेक्ट भी उनके लिए विशेष महत्त्व रखता है. गीत के गायक पुनीत देसाई वैसे तो इंजीनियरिंग की पढाई कर रहे हैं पर वो खुद को एक गायक के तौर पर देखना अधिक पसंद करते हैं. वो एक रॉक बैंड के सदस्य भी है और गिटार भी अच्छा बजा लेते हैं. तो सुनिए आवाज़ का एक और नजराना, इंटरनेटिया गठबंधन से बना एक और थीम गीत. संगीतकार ए आर रहमान और संगीत की दुनिया में अपना सितारा बुलन्द करने की ख्वाहिश में दिन रात एक करते देश के ढेरों युवा संगीत कर्मियों के जोश को समर्पित ये गीत जिसका सही शीर्षक दिया है प्रदीप ने - "The Journey".



गीत के बोल -
सागर पाटिल
पुनीत देसाई

चुनी राहें हमने भी, खोली बाहें हमने भी ,
सब रातें खाली हुईं हैं ! हम जागे हैं जब कभी।
कुछ सियाही सी , नदिया जो रेत की -
गलियों से गुजरती, भागे है जब कभी।

रुख जो हवाओं का , संग ले गया ज़मी,
वो मस्त बहारों का- रंग, ले गया नमी,
हम जोश मे अपने, करतब दिखाते हैं,
मिट जायें! कभी नही ! ख्वाब वो सजाते हैं।

फिज़ाओं से बही जो- पलकों की बूँद तक,
सजी आँखों मे अपने- खुदा की रूह जब कभी।
चुनी राहें हमने भी...........

मासूम सा एक पल, नई ज़िन्दगी अपनी,
हर इश्क पे सजदा है, नई बंदगी अपनी,
हम होश मे अपने- इश्क को मिलाते हैं,
थम जायें! कभी नही- धुन वो जगाते हैं।

फ़िर चमकती शाम मे, नई मौज सी लगी,
छुपी पत्तों पे जैसे- सूरज की लौ जब कहीं।

चुनी राहें हमने भी, खोली बाहें हमने भी,
सब रातें खाली हुईं हैं ! हम जागे हैं जब कभी



Comments

Biswajeet said…
Excellent preparation.

Bahut badhia prastuti.

Geet, sangeet aur gayaki sab kuch badhia hai. Badhaai.
Biswajeet said…
सागर पाटिल ji ke saath main future mein ek album banana chahunga. :)
जय हो सागर पाटील, प्रदीप पाठक और पुनीत देसाई !!!

सलाम आवाज़ की टीम.
बहुत अच्छी प्रस्तुति...प्रदीप, सागर, पुनीत आप तीनों को बहुत-बहुत बधाई
प्रदीप, सागर और पुनीत तीनों बधाई के पात्र हैं। इससे बढ़िया सलामी और क्या हो सकती है। मैं आप तीनों को सलाम करता हूँ।
aap sabhi ka bahut bahut shukriya...aapko aacha laga....bus ye he humare liye kaafi hai....aage bhi aako sunate rahenge....

Keep reading us....keep listening us...

with love...

- PRADEEP PATHAK
bhawana joshi said…
bahut khubsurat rachna hai . very nice song and good singing too.keep it up ..
Anonymous said…
Interesting read.

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