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मन के मंजीरे आज खनकने लगे

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष


हिंद युग्म आवाज़ के सभी महिला श्रोताओं को अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस की ढेरों शुभकामनायें. दुनिया की आधी आबादी को समर्पित इस दिन को सलाम. सशक्त होती नारी शक्ति को सलाम. फिर भी कुछ सवाल हैं आज भी, जो अनुत्तरित हैं. ऐसे ही कुछ सवालों पर केन्द्रित विचार लेकर उपस्थित हैं नीलम मिश्रा. स्वागत करें नीलम जी का -



आज के समाज में महिलायें हर क्षेत्र में अपनी काबलियत साबित कर चुकी हैं. घर बाहर दोनों के बीच सामंजस्य बिठाती आज की नारी पढ़ी लिखी है, महत्वकांक्षी है, और अपने स्वस्थ, और परिवार की जरूरतों के प्रति जगुरुक भी. आवाज़ मंच पर भी नीलम जी के अलावा, रंजना जी, शोभा जी, शिवानी जी, अनीता जी, सीमा जी, पूजा अनिल और पारुल के साथ मृदुल जी और शन्नो जी ने अपनी आवाज़ और रचनात्मकता का लोहा मनवाया है. गायिकाओं में भी मानसी, मिथिला, प्रत्याक्षा, रम्या और तरन्नुम मालिक जैसी गायिकाओं ने यहाँ अपनी प्रतिभा से सबके मन को जीता है. आप सभी को समर्पित है शुभा मुदगल की आवाज़ में ये जोरदार गीत - "मन के मंजीरे".





Comments

shanno said…
नीलम जी,
आपके साहस के लिए शाबाशी देती हूँ.... एक नारी ही नारी की भावनाओं को समझ सकती है. और उसमें भी कुछ ही आगे बढ़कर किसी दूसरे के मान की रक्षा के लिए तैयार होती हैं. अधिकतर लोग तो बस तमाशा ही देखते रहते हैं. यदि हम सब एकमत होकर अपने मान सम्मान की सुरक्षा करने की कोशिश करें ऐसे मौकों पर, और अपमान करने वाले को सबक दें, तो कितना अच्छा हो.
शोभा मुद्गल जी का गीत अनमोल उपहार है. युग्म का आभार. शोषण का हल्ला मचाना मात्र पर्याप्त नहीं है. नारियों में पारस्परिक सहयोग, नारियों का सम्मान करनेवालों के विचारों का प्रसार, नारी की अवमानना करनवालों का प्रतिकार जमीन पर होना जरूरी है. आपका प्रयास सराहनीय है.
rachana said…
नीलम जी
बात सच है और सोचने लायक है आप बहुत बहादुर है जो आप ने असा किया पर यदि सभी मिल के एसा करते तो शायद अगली बार उसकी हिम्मत न होती एसा करने की .
एक बात बताऊँ जब हम भारत में थे तो अविनाश के साथ कहीं जाते डरती थी कुछ भी गलत हो रहा हो तो बस बोले बिना रहा नहीं जाता था कभी तो लोग साथ देते थे कभी अकेले ही ..................जब मै कुछ कहती तो बोलते थे की आज मै हूँ कल शायद कोई और हो बहुत नहीं तो कुछ फरक तो पड़ेगा .
नीलम जी आप को मै बधाई देती हूँ इतनी हिम्मत करने की
रचना
neelam said…
shanno ji ,aur rachna ji ,
hum aapse sahmat nahi hain ,isme koi
bahaaduri,aur saahas ki baat nahi hai ,yah sirf baat hai apne antarman ki aawaj sunne ki ,hum kisi ki madad kyuon kare ki bhaavna hume apne man se hataani hogi ,tabhi kuch..........
aacharya ji prayaas ko sarahneey bataane ke liye aapka bahut bahut
shukriya

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