जैसाकि आपने १२ मार्च को ख़बरों में पढ़ा था कि १४ मार्च २००९ को सुबह ११ बजे हिन्दी भवन, आईटीवो, नई दिल्ली में दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के हाथों १३ नई साहित्यिक कृतियों का विमोचन होगा। इन १३ पुस्तकों में हिन्द-युग्म के कहानीकार विमल चंद्र पाण्डेय का प्रथम कहानी-संग्रह 'डर' भी शामिल है। उल्लेखनीय है भारत की सर्वोच्च साहित्यिक संस्था भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा हर वर्ष दो लेखकों की कृतियों (एक गद्य तथा दूसरा पद्य में) को नवलेखन पुरस्कार दिया जाता है, जिसमें रु २५,००० ना नग़द इनाम और उस संग्रह का प्रकाशन शामिल है। वर्ष २००८ के गद्य का नवलेखन पुरस्कार विमल चंद्र पाण्डेय को उनके पहले कहानी-संग्रह 'डर' के लिए दिया गया है।
आज सुबह ११ बजे इस पुस्तक का विमोचन भी होगा, इसी कार्यक्रम में विमल चंद्र पाण्डेय का कथापाठ भी होगा। अभी कुछ महीने पहले से हमने राकेश खण्डेलवाल के पहले कविता (गीत)-संग्रह 'अंधेरी रात का सूरज' का पॉडकास्ट और ऑनलाइन विमोचन कर हिन्दी पुस्तकों के विमोचन करने की परम्परा को नया रूप दिया है। अनुराग शर्मा तथा अन्य ५ कवियों के पहले कविता-संग्रह 'पतझड़ सावन बसंत बहार' की कविताओं को रचनाकार की ही आवाज़ में रिकॉर्ड कर पॉडकास्ट कवि सम्मेलन में जोड़कर विमोचन को और व्यापक किया था। हमारे ऑनलाइन विमोचन की ख़ास बात यह है कि इसमें हर पाठक व श्रोता अपने हाथों पुस्तक का विमोचन करता है, माउस रूपी कैंची से ग्राफिक्स रूपी फीते को काटकर।
आज हम इस कड़ी में एक और नया पृष्ठ जोड़ रहे हैं, जिसके तहत विमल चंद्र पाण्डेय के प्रथम कथा-संग्रह 'डर' का ऑनलाइन व पॉडकास्ट विमोचन आपके हाथों करवा रहे हैं। नीचे के ग्राफिक्स से आप सारी बात समझ जायेंगे।
आज सुबह ११ बजे इस पुस्तक का विमोचन भी होगा, इसी कार्यक्रम में विमल चंद्र पाण्डेय का कथापाठ भी होगा। अभी कुछ महीने पहले से हमने राकेश खण्डेलवाल के पहले कविता (गीत)-संग्रह 'अंधेरी रात का सूरज' का पॉडकास्ट और ऑनलाइन विमोचन कर हिन्दी पुस्तकों के विमोचन करने की परम्परा को नया रूप दिया है। अनुराग शर्मा तथा अन्य ५ कवियों के पहले कविता-संग्रह 'पतझड़ सावन बसंत बहार' की कविताओं को रचनाकार की ही आवाज़ में रिकॉर्ड कर पॉडकास्ट कवि सम्मेलन में जोड़कर विमोचन को और व्यापक किया था। हमारे ऑनलाइन विमोचन की ख़ास बात यह है कि इसमें हर पाठक व श्रोता अपने हाथों पुस्तक का विमोचन करता है, माउस रूपी कैंची से ग्राफिक्स रूपी फीते को काटकर।
आज हम इस कड़ी में एक और नया पृष्ठ जोड़ रहे हैं, जिसके तहत विमल चंद्र पाण्डेय के प्रथम कथा-संग्रह 'डर' का ऑनलाइन व पॉडकास्ट विमोचन आपके हाथों करवा रहे हैं। नीचे के ग्राफिक्स से आप सारी बात समझ जायेंगे।
Comments
ऐसा लगता- सुन रहा, कोई सुमधुर गीत.
कोई सुमधुर गीत, मिला है स्वर अपना भी.
बिना डरे डर से रहना है, एक सपना ही.
कहे 'सलिल कविराय विमल-डर साथ-साथ हैं.
भारतवासी जुड़े युग्म में, मिला हाथ हैं.
विमल जी, युग्म परिवार और शीला जी को बधाई. पुनः निवेदन के साथ की विमोचित कृतियों की ख़रीदी दिल्ली के पुस्तकालयों के लिए कराकर एक स्वस्थ्य परंपरा स्थापित करें.