Skip to main content

कैटरीना कैफ को हिंदी सिखायेंगे क्या ?

सप्ताह की संगीत सुर्खियाँ (12)
चमकते सितारों ने मनाया हिंदी फिल्मों का सबसे बड़ा उत्सव
ऑस्कर के चर्चे पुराने हुए, अब बारी है हमारी अपनी फिल्म इंडस्ट्री के सबसे बड़े पुरस्कार समारोह की. YRF स्टूडियो अँधेरी (मुंबई) में संपन्न हुए ५४ वें फिल्म फेयर समारोह में कल सितारे जमीं पर उतरे. "कहने को जश्ने बहारां है.." लिखने वाले जावेद अख्तर साहब ने सर्वश्रेष्ठ गीतकार के लिए तो संगीतकार ए आर रहमान ने "जाने तू या जाने न" के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का खिताब जीता. श्रेया घोषाल "तेरी ओर..." (सिंग इस किंग) गाने से सर्वश्रेष्ठ गायिका चुनी गयी, ओर वहीँ "हौले हौले..." से दिलों पर राज़ करने वाले सुखविंदर ने सर्वश्रेष्ठ गायक के लिए फिल्म फेयर ट्रोफी जिसे "ब्लैक लेडी" भी कहा जाता है, हासिल किया. फिल्म "जोधा अकबर" के लिए ए आर आर ने सर्वश्रेष्ठ पार्श्व संगीत का सम्मान जीता ओर सर्वश्रेष्ठ ध्वनि रिकॉर्डिंग के लिए बेयलोन फोन्सेका और विनोद सुब्रमनियन ने फिल्म "रॉक ऑन" के लिए इसे प्राप्त किया. उभरते हुए संगीत कर्मी को दिए जाने वाला आर डी बर्मन सम्मान मिला "जाने तू..", "गजिनी" और "युवराज" के सफल गानों को गाने वाले प्रतिभाशाली गायक बेन्नी दयाल को. "पप्पू कांट डांस" गाने के लिए सर्वश्रेष्ठ नृत्य संयोजन का पुरस्कार जीता लोनिगिनस फर्नांडीस ने. ऋतिक रोशन सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और प्रियंका चोपडा सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री चुनी गयी. आशुतोष गोवारिकर को उनकी फिल्म "जोधा अकबर" के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक घोषित किया गया और उनकी फिल्म को सर्वश्रेष्ठ फिल्म. इस पूरे समारोह की विस्तृत रिपोर्ट हम अगले रविवार के एपिसोड में लेकर आयेंगे. फिलहाल सभी विजेताओं को जम कर बधाई.



ऑस्कर और भारतीय

ऑस्कर के लेकर विवादों का सिलसिला जारी है. ऑस्कर में भारतीयों के अब तक के प्रदर्शन पर एक नज़र -
ए आर आर से पहले भानु अथैया (परिधान सज्जा) पहले भारतीय थे जिन्हें फिल्म "गाँधी" के लिए ऑस्कर मिला. गौरतलब है कि ये फिल्म भी "स्लम डोग" की ही तरह भारतीय परिवेश पर बनी विदेशी फिल्म थी.
फिल्म गाँधी के लिए ही पंडित रवि शंकर को सर्वश्रेष्ठ संगीतकार श्रेणी में नामांकन मिला था.
सत्यजित राय ने अपनी उत्कृष्ट फिल्मों के योगदान के विशेष पुरस्कार जीता १९९२ में.
१९५८ में सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म श्रेणी में नामांकित हुई "मदर इंडिया", १९८९ में मीरा नायर की "सलाम बॉम्बे" और २००२ में आमिर खान की आशुतोष गोवरिकर निर्देशित "लगान" ने भी इस तरफ कदम बढाए, पर अंतिम सफलता हाथ नहीं लगी.
और अंत में हम तो इतना ही कहेंगे कि "जय हो" गीत के लिए रहमान- गुलज़ार को मिला सम्मान, सम्मान है हिंदी फिल्म संगीत का जिसे आज दुनिया भर में सुना जा रहा है. क्या ये काफी नहीं जश्न के लिए.


कुछ और सुर्खियाँ

कैटरीना कैफ नज़र आयेंगीं बेहद कम मेक अप के साथ फिल्म "राजनीति" में, और वो इस फिल्म के लिए हिंदी भी सीखना चाहती हैं. पर क्या आपको नहीं लगता कि हिंदी फिल्मों में काम चाहने वाले हर कलाकार के लिए हिंदी सीखना अनिवार्य होना चाहिए ? खैर कैटरीना इस शुभ काम के लिए हमारे किसी भी हिंदी ब्लोग्गर बधुओं से संपर्क कर सकती हैं :)

कैलाश खेर आखिरकार विवाह बंधन में बंध ही गए. उनकी धरमपत्नी का नाम शीतल है. जब पत्रकारों ने शीतल से पूछा कि कहीं ये प्रेम विवाह तो नहीं तो वो बोली कि क्या आपको लगता है कि कैलाश प्रेम विवाह जैसा कोई कदम उठाने वाले इंसान हैं. सीधे सरल और पारंपरिक चाल चलन वाले कैलाश और शीतल को वैवाहिक जीवन की शुभकामनाएं.

करण जोहर ने शाहरुख़ अभिनीत अपनी आने वाली फिल्म "माई नेम इस खान" के लिए जावेद साहब को शीर्षक गीत लिखने के लिए तैयार कर लिया है पहले जावेद साहब ये कहकर मुकर गए थे कि वो किसी अन्य गीतकार के साथ क्रेडिट शेयर नहीं करेंगे. इस फिल्म के लिए अन्य गीत एक नए गीतकार के होंगे.


मरम्मत मुक्कदर की कर दो मौला

इस सप्ताह का गीत है फिल्म "दिल्ली ६" से. दिल्ली ६ की मसकली से तो आपको पहले ही मिलवा चुके हैं, और गायिका रेखा भारद्वाज के बहाने हमने "गैन्दाफूल" का भी जिक्र किया था. तो आज पेश है इसी फिल्म का और मधुर गीत- "अर्जियाँ". फिल्म प्रर्दशित हो चुकी है और मिली जुली प्रतिक्रियां आई हैं जनता की. पर जहाँ तक फिल्म के संगीत की बात है, सब एकमत हैं कि फिल्म का संगीत फिल्म की जान है. प्रस्तुत गीत में आवाजें हैं कैलाश खेर और रहमान के प्रिय गायक जावेद अली की. प्रसून के लिखे और ए आर रहमान के संगीतबद्ध इस गीत की लम्बाई आम गीतों से कुछ ज्यादा है. ८-९ मिनट लम्बे इस सूफियाना गीत को फिल्म में अलग अलग सन्दर्भों में स्थान मिला है, और यही वो गीत है जो फिल्म के मूल सन्देश को हम तक पहुंचाता है. तो इस रविवार की सुबह को रोशन कीजिये इस गुजारिश से -
जो भी तेरे दर आया, झुकने जो सर आया,
मस्तियाँ पिये सबको झूमता नज़र आया,
प्यास लेके आया था. दरिया वो भर लाया,
नूर की बारिश में भीगता सा तर आया....
दरारें दारारें हैं माथे पे मौला...मरम्मत मुक्कदर की कर दो मौला...
मेरे मौला....

Comments

कैटरीना ही क्या कोइ भी इन्सान ईमानदारी से हिदी सीखना चाहता हो तो सिखाना चाहूँगा. हमारे राजनेता तो कई दशकों तक जनप्रतिनिधि रहकर भी हिन्दी बोलने से बचते हैं. कैटरीना हिन्दी सीखना चाहती हैं तो वे सराहना की पात्र हैं.

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे...

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु...

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन...