ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 12
आज 'ओल्ड इस गोल्ड' में हम सलाम कर रहे हैं फिल्म जगत के दो महान सुर साधकों को. एक हैं गायिका गीता दत्त और दूसरे संगीतकार मदन मोहन. यूँ तो मदन मोहन के साथ लता मंगेशकर का ही नाम सबसे पहले जेहन में आता है, लेकिन गीता दत्त ने भी कुछ बडे ही खूबसूरत नगमें गाये हैं मदन मोहन के लिए. इनमें से एक है फिल्म "भाई भाई" का, "ऐ दिल मुझे बता दे तू किसपे आ गया है, वो कौन है जो आकर ख्वाबों पे छा गया है". दोस्तों, अगर आप ने कल का 'ओल्ड इस गोल्ड' सुना होगा तो आपको पता होगा कि हमने उसमें आशा भोसले का गाया "आँखों में जो उतरी है दिल में" गाना सुनवाया था. वो गाना ज़िंदगी में किसी के आ जाने की खुशी को उजागर करता है. वैसे ही "भाई भाई" फिल्म का यह गाना भी कुछ उसी अंदाज़ का है. किसी का अचानक दिल में आ जाना, ख्वाबों पर भी उसी का राज होना, पहले पहले प्यार की वो मीठी मीठी अनुभूतियाँ, यही तो है इस गीत में.
"भाई भाई" 1956 की फिल्म थी जिसका निर्माण दक्षिण के नामचीं 'बॅनर' ऐ वी एम् ने किया था. अशोक कुमार, किशोर कुमार, निम्मी, श्यामा और निरूपा रॉय अभिनीत इस फिल्म का निर्देशन किया था एम् वी रमण ने. राजेंदर किशन और मदन मोहन के जोडी, और साथ में गीता दत्त की नशीली आवाज़. गीता-जी के बारे में ऐसा कहा जाता था की वो गले से नहीं बल्कि दिल से गाती थी, तभी तो उनका हर एक गीत सुननेवाले के दिल पर असर किये बिना नहीं रहता. इस गीत का 'ऑर्केस्ट्रेशन' भी कमाल का है. उन दिनो शीक चॉक्लेट एक मशहूर 'ट्रंपिट प्लेयर' हुया करते थे जो अमेरिका के लूयिस आर्मस्ट्रॉंग से काफ़ी प्रभावित थे. शीक चॉक्लेट ने कुछ फिल्मों में संगीत भी दिया था, लेकिन उनकी असली पहचान बतौर साज़िन्दे ही बनी और अपने आखिरी दम तक, यानी साल 1967 तक, वो हिन्दी फिल्मों में साज़ बजाते रहे. उन्होने 'जॅज़', 'ब्लूस' और 'गोन कथोलिक' पारंपरिक संगीत का 'फ्यूज़न' करके फिल्मी गीतों में इस्तेमाल किया. और ख़ासकर इस गाने में उन्होने एक 'पोर्चुगीज़ फडो' "कोयाम्ब्रा" से एक 'फ्रेज़' का इस्तेमाल किया था. जिन पाठकों को 'फडो' के बारे में जानकारी नहीं है उन्हे हम यह बता दें की 'फडो' एक प्रकार के पोर्चुगीज़ लोक संगीत का नाम है जिसमें दर्द भरे सुर और बोल होते हैं. 'कोवैंबा फडो', 'फडो' का एक प्रकार है जिसकी शुरुआत पोर्चुगल के कोयाम्ब्रा नामक शहर में हुई थी. तो इसी जानकारी के साथ अब सुनिए "भाई भाई" फिल्म का यह मचलता हुया नग्मा.
और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाईये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं -
१. शैलेन्द्र -सलिल दा की जोड़ी, मशहूर लोक संगीत पर आधारित धुन जिस पर आगे भी बहुत गीत बने.
२. आवाजें हेमंत कुमार और गीता दत्त की. अभिनय था भारत भूषण और चाँद उस्मानी का.
३. मुखड़े में शब्द हैं - "जियरा".
कुछ याद आया...?
पिछली पहेली का जवाब -
क्या बात है नीलम जी ने भी आखिर शतक लगा ही दिया, मनु जी और उज्जवल जी भी परीक्षा में खरे उतरे. पी एन सुब्रमनियन जी आपका स्वागत है. आपका भी जवाब एकदम सही है...बधाई. मनु जी माफ़ कीजियेगा आपको जन्मदिन की शुभकामनायें देना हम सब भूल गए. आवाज़ की पूरी टीम की तरफ से हमारे तेंदुलकर को देर से ही सही पर ढेरों बधाईयाँ.
प्रस्तुति - सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम ६-७ के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवायेंगे, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.
आज 'ओल्ड इस गोल्ड' में हम सलाम कर रहे हैं फिल्म जगत के दो महान सुर साधकों को. एक हैं गायिका गीता दत्त और दूसरे संगीतकार मदन मोहन. यूँ तो मदन मोहन के साथ लता मंगेशकर का ही नाम सबसे पहले जेहन में आता है, लेकिन गीता दत्त ने भी कुछ बडे ही खूबसूरत नगमें गाये हैं मदन मोहन के लिए. इनमें से एक है फिल्म "भाई भाई" का, "ऐ दिल मुझे बता दे तू किसपे आ गया है, वो कौन है जो आकर ख्वाबों पे छा गया है". दोस्तों, अगर आप ने कल का 'ओल्ड इस गोल्ड' सुना होगा तो आपको पता होगा कि हमने उसमें आशा भोसले का गाया "आँखों में जो उतरी है दिल में" गाना सुनवाया था. वो गाना ज़िंदगी में किसी के आ जाने की खुशी को उजागर करता है. वैसे ही "भाई भाई" फिल्म का यह गाना भी कुछ उसी अंदाज़ का है. किसी का अचानक दिल में आ जाना, ख्वाबों पर भी उसी का राज होना, पहले पहले प्यार की वो मीठी मीठी अनुभूतियाँ, यही तो है इस गीत में.
"भाई भाई" 1956 की फिल्म थी जिसका निर्माण दक्षिण के नामचीं 'बॅनर' ऐ वी एम् ने किया था. अशोक कुमार, किशोर कुमार, निम्मी, श्यामा और निरूपा रॉय अभिनीत इस फिल्म का निर्देशन किया था एम् वी रमण ने. राजेंदर किशन और मदन मोहन के जोडी, और साथ में गीता दत्त की नशीली आवाज़. गीता-जी के बारे में ऐसा कहा जाता था की वो गले से नहीं बल्कि दिल से गाती थी, तभी तो उनका हर एक गीत सुननेवाले के दिल पर असर किये बिना नहीं रहता. इस गीत का 'ऑर्केस्ट्रेशन' भी कमाल का है. उन दिनो शीक चॉक्लेट एक मशहूर 'ट्रंपिट प्लेयर' हुया करते थे जो अमेरिका के लूयिस आर्मस्ट्रॉंग से काफ़ी प्रभावित थे. शीक चॉक्लेट ने कुछ फिल्मों में संगीत भी दिया था, लेकिन उनकी असली पहचान बतौर साज़िन्दे ही बनी और अपने आखिरी दम तक, यानी साल 1967 तक, वो हिन्दी फिल्मों में साज़ बजाते रहे. उन्होने 'जॅज़', 'ब्लूस' और 'गोन कथोलिक' पारंपरिक संगीत का 'फ्यूज़न' करके फिल्मी गीतों में इस्तेमाल किया. और ख़ासकर इस गाने में उन्होने एक 'पोर्चुगीज़ फडो' "कोयाम्ब्रा" से एक 'फ्रेज़' का इस्तेमाल किया था. जिन पाठकों को 'फडो' के बारे में जानकारी नहीं है उन्हे हम यह बता दें की 'फडो' एक प्रकार के पोर्चुगीज़ लोक संगीत का नाम है जिसमें दर्द भरे सुर और बोल होते हैं. 'कोवैंबा फडो', 'फडो' का एक प्रकार है जिसकी शुरुआत पोर्चुगल के कोयाम्ब्रा नामक शहर में हुई थी. तो इसी जानकारी के साथ अब सुनिए "भाई भाई" फिल्म का यह मचलता हुया नग्मा.
और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाईये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं -
१. शैलेन्द्र -सलिल दा की जोड़ी, मशहूर लोक संगीत पर आधारित धुन जिस पर आगे भी बहुत गीत बने.
२. आवाजें हेमंत कुमार और गीता दत्त की. अभिनय था भारत भूषण और चाँद उस्मानी का.
३. मुखड़े में शब्द हैं - "जियरा".
कुछ याद आया...?
पिछली पहेली का जवाब -
क्या बात है नीलम जी ने भी आखिर शतक लगा ही दिया, मनु जी और उज्जवल जी भी परीक्षा में खरे उतरे. पी एन सुब्रमनियन जी आपका स्वागत है. आपका भी जवाब एकदम सही है...बधाई. मनु जी माफ़ कीजियेगा आपको जन्मदिन की शुभकामनायें देना हम सब भूल गए. आवाज़ की पूरी टीम की तरफ से हमारे तेंदुलकर को देर से ही सही पर ढेरों बधाईयाँ.
प्रस्तुति - सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम ६-७ के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवायेंगे, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.
Comments
"जब से मिली तोसे अखियाँ, जियरा डोले रे,
मीठे-मीठे प्यार के ये हिचकोले रे"
वैसे इस कड़ी में जो जानकारियाँ दी गई हैं, उसकी प्रशंसा के लिए शब्द भी कम पड़ रहे हैं।
-विश्व दीपक
'जब से मेले तो से अंखिया
जियरा डोले हो डोले
मीठे -२ प्यार के ले हिचकोले रे
हो डोले हो डोले .
अब मेरे ख्याल से सचिन को आज्ञा दी जाए:::))) और धोनी का स्वागत किया जाये,,,,
जी तनहा जी, ना तो हमें मालूम था....और ना ही यहाँ तक पहुंचा जाता,,,,
ठीक ही होगा,इसलिए बिना परिणाम जाने बधाई देता हूँ
उज्जवल जिआप्को भी,,,
ऐ दिल मुझे बता दे............ये गाना मैने सुना हुआ था पर मै भाग लेना ही भूल गया,
आज के सवाल पर मै क्लीन बोल्ड हो गया
सुमित भारद्वाज