ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 34
'ओल्ड इस गोल्ड' की एक और शाम लेकर हम हाज़िर हैं दोस्तों! आज हम आप को एक ऐसा गीत सुनवाने जा रहे हैं जिसे आप ने एक लंबे अरसे से नहीं सुना होगा, और आप में से कई लोग तो शायद पहली बार यह गीत सुनेंगे. यह जो आज का गीत है वो है तो एक चर्चित फिल्म से ही, लेकिन इस गीत को शायद उतना बढावा नहीं मिला जीतने फिल्म के दूसरे गीतों को मिला. इससे पहले कि इस गीत का ज़िक्र हम करें, गीता दत्त के बारे में चंद अल्फ़ाज़ कहना चाहूँगा. गीता दत्त की आवाज़ की ख़ासियत यह थी कि कभी उसमें वेदना की आह मिलती तो कभी रूमानियत की शोखी, कभी भक्ति रस में लीन हो जाती तो कभी अपनी आवाज़ को लंबा खींचकर लोगों को भाव-विभोर कर देती. अपने शुरूआती दिनों में गीता दत्त को केवल भक्ति रचनाएँ ही गाने को मिलते थे. उनकी आवाज़ में भक्ति गीत बेहद सुंदर जान पड्ते. ऐसा लगने लगा था कि गीता दत्त की प्रतिभा को भक्ति रस के खाँचे में ही क़ैद कर दिया जाएगा. लेकिन संगीतकार ओ पी नय्यर ने पहली बार अपनी पहली ही फिल्म "आसमान" में गीता दत्त से गाने गवाए और यहाँ से शुरू हुई एक नशीली लंबी यात्रा. फिर तो जैसे नय्यर और गीता के 'हिट' गीतों की लडी ही लग गयी, मसलन, आर पार, सी आई डी, मिस्टर एंड मिसिस 55, हावडा ब्रिज, 12 ओ'क्लॉक वैगेरह. आज 'ओल्ड इस गोल्ड' में 12 ओ'क्लॉक से एक मचलता हुया नग्मा आपकी खिदमत में पेश है.
12 ओ'क्लॉक फिल्म बनी थी 1958 में. प्रमोद चक्रवर्ती की यह 'क्लॅसिक थ्रिलर' कहानी थी वहीदा रहमान अभिनीत लड्की की जिसे ग़लती से अपने भाई के खून के जुर्म में फँसाया गया था, और गुरु दत्त उसके वक़ील बने थे जिन्होने अंत में उसे बेक़सूर साबित करवाया. रोमहर्षक कहानी, जानदार अदाकारी, दिलकश संगीत, कुल मिलाकर जनता को यह फिल्म काफ़ी पसंद आई. इस फिल्म में रफ़ी साहब और गीता दत्त का गाया "तुम जो हुए मेरे हमसफ़र" बेहद मशहूर गीत है. उसकी तुलना में हेलेन पर फिल्माया गया "अरे तौबा यह तेरी अदा" कुछ कमसुना सा रह गया. लेकिन किसी भी दृष्ठि से यह गीत इस फिल्म के अन्य गीतों से कम नहीं है. पाश्चात्य रंग में ढाला हुआ यह गीत 'ऑर्केस्ट्रेशन' की दृष्ठि से काफ़ी ऊँचे स्तर का है और गीता दत्त ने अपनी मचलती आवाज़ से गीत में जान डाल दिया है. तो सुनिए मजरूह सुल्तनुपरी के बोल आज के 'ओल्ड इस गोल्ड' में.
और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाईये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं -
१. मन्ना डे और अर्चना की आवाजें.
२. आर डी बर्मन का संगीत है इस फिल्म में जिसके शीर्षक में तीन शब्द हैं और बीच का शब्द है "मिल" (जैसे-"कोई मिल गया").
३. मुखड़े में शब्द है -"धाम"
कुछ याद आया...?
पिछली पहेली का परिणाम -
डार्क होर्स पी एन साहब रहे आज के बाजीगर. बधाई जनाब. नीरज जी आपकी इमानदारी के सदके. मनु जी और संगीता जी महफिलें सजती रहेंगी, जब तक आप जैसे सुनने वाले होंगे.
खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम ६-७ के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवायेंगे, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.
'ओल्ड इस गोल्ड' की एक और शाम लेकर हम हाज़िर हैं दोस्तों! आज हम आप को एक ऐसा गीत सुनवाने जा रहे हैं जिसे आप ने एक लंबे अरसे से नहीं सुना होगा, और आप में से कई लोग तो शायद पहली बार यह गीत सुनेंगे. यह जो आज का गीत है वो है तो एक चर्चित फिल्म से ही, लेकिन इस गीत को शायद उतना बढावा नहीं मिला जीतने फिल्म के दूसरे गीतों को मिला. इससे पहले कि इस गीत का ज़िक्र हम करें, गीता दत्त के बारे में चंद अल्फ़ाज़ कहना चाहूँगा. गीता दत्त की आवाज़ की ख़ासियत यह थी कि कभी उसमें वेदना की आह मिलती तो कभी रूमानियत की शोखी, कभी भक्ति रस में लीन हो जाती तो कभी अपनी आवाज़ को लंबा खींचकर लोगों को भाव-विभोर कर देती. अपने शुरूआती दिनों में गीता दत्त को केवल भक्ति रचनाएँ ही गाने को मिलते थे. उनकी आवाज़ में भक्ति गीत बेहद सुंदर जान पड्ते. ऐसा लगने लगा था कि गीता दत्त की प्रतिभा को भक्ति रस के खाँचे में ही क़ैद कर दिया जाएगा. लेकिन संगीतकार ओ पी नय्यर ने पहली बार अपनी पहली ही फिल्म "आसमान" में गीता दत्त से गाने गवाए और यहाँ से शुरू हुई एक नशीली लंबी यात्रा. फिर तो जैसे नय्यर और गीता के 'हिट' गीतों की लडी ही लग गयी, मसलन, आर पार, सी आई डी, मिस्टर एंड मिसिस 55, हावडा ब्रिज, 12 ओ'क्लॉक वैगेरह. आज 'ओल्ड इस गोल्ड' में 12 ओ'क्लॉक से एक मचलता हुया नग्मा आपकी खिदमत में पेश है.
12 ओ'क्लॉक फिल्म बनी थी 1958 में. प्रमोद चक्रवर्ती की यह 'क्लॅसिक थ्रिलर' कहानी थी वहीदा रहमान अभिनीत लड्की की जिसे ग़लती से अपने भाई के खून के जुर्म में फँसाया गया था, और गुरु दत्त उसके वक़ील बने थे जिन्होने अंत में उसे बेक़सूर साबित करवाया. रोमहर्षक कहानी, जानदार अदाकारी, दिलकश संगीत, कुल मिलाकर जनता को यह फिल्म काफ़ी पसंद आई. इस फिल्म में रफ़ी साहब और गीता दत्त का गाया "तुम जो हुए मेरे हमसफ़र" बेहद मशहूर गीत है. उसकी तुलना में हेलेन पर फिल्माया गया "अरे तौबा यह तेरी अदा" कुछ कमसुना सा रह गया. लेकिन किसी भी दृष्ठि से यह गीत इस फिल्म के अन्य गीतों से कम नहीं है. पाश्चात्य रंग में ढाला हुआ यह गीत 'ऑर्केस्ट्रेशन' की दृष्ठि से काफ़ी ऊँचे स्तर का है और गीता दत्त ने अपनी मचलती आवाज़ से गीत में जान डाल दिया है. तो सुनिए मजरूह सुल्तनुपरी के बोल आज के 'ओल्ड इस गोल्ड' में.
और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाईये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं -
१. मन्ना डे और अर्चना की आवाजें.
२. आर डी बर्मन का संगीत है इस फिल्म में जिसके शीर्षक में तीन शब्द हैं और बीच का शब्द है "मिल" (जैसे-"कोई मिल गया").
३. मुखड़े में शब्द है -"धाम"
कुछ याद आया...?
पिछली पहेली का परिणाम -
डार्क होर्स पी एन साहब रहे आज के बाजीगर. बधाई जनाब. नीरज जी आपकी इमानदारी के सदके. मनु जी और संगीता जी महफिलें सजती रहेंगी, जब तक आप जैसे सुनने वाले होंगे.
खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम ६-७ के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवायेंगे, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.
Comments
फ़िल्म: बुड्ढा मिल गया
गीत: आयो कहाँ से घनश्याम, रैना बिताई किस धाम
हर लिहाज से आसान प्रशन,,,,
kabhi to cheating karne se baaj aayiye ,agar har lihaaj se aasan sa prashn tha to phir aap rohilla ji ke peeche peeche kyoun chal dete hain ,wo to alarm lagaakar uthte hain ,aur aap alarm se uthte hain ki kab unka jawaab aaye aur ,aap apni shekhi baghaaren ,yahaan to rahne dijiye cheating karne ke liye to baal udyaan hi kaafi hai ,
hahahahahaahahahahahahahahahahahahahhhahahahahahahaahahahahahahahahahahahahhahahahaahahahahahahahahahahahahahahahahaaaaaaaaaaaaahahaahahahahha