गीतकास्ट प्रतियोगिता- परिणाम-1: अरुण यह मधुमय देश हमारा
पिछले महीने जब महान कवियों की कविताओं को सुरबद्ध और संगीतबद्ध करने का विचार बना था, तो हमारे मन एक डर था कि बहुत सम्भव है कि इसमें प्रतिभागिता बहुत कम हो। क्योंकि यह प्रतियोगिता कविता प्रतियोगिता जितनी सरल नहीं है। इसमें एक ही कविता को कई बार गाकर, रिकॉर्ड करके साधना होता है। लेकिन आपको भी यह जानकर आश्चर्य होगा कि गीतकास्ट प्रतियोगिता के पहले ही अंक में 12 प्रतिभागियों ने भाग लिया। जयशंकर प्रसाद की प्रसिद्ध कविता 'अरुण यह मधुमय देश हमारा' को 12 अलग धुनों में पिरोया गया। इतना ही नहीं, हमने बहुत से प्रतिभागियों से जब यह कहा कि रिकॉर्डिंग और उच्चारण में कुछ कमी रह गई है, तो उन्होंने दुबारा, तिबारा रिकॉर्ड करके भेजा।
गीतकास्ट प्रतियोगिता के माध्यम से हमारी कोशिश है कि पॉडकास्टिंग की रचनात्मक परम्परा हिन्दी में जुड़े। इस शृंखला में हम पहला प्रयोग या प्रयास छायावाद के चार स्तम्भ कवियों की कविताओं को संगीतबद्ध/सुरबद्ध करके करना चाहते हैं। पाठकों, श्रोताओं, गायकों और संगीतकारों की पूर्ण सहभागिता के बिना यह सफल नहीं हो पायेगा। छायावाद के कवियों की कविताओं के संगीत-संयोजन की पहली कड़ी गीतकास्ट प्रतियोगिता की पहली कड़ी है, जिसमें हमने जयशंकर प्रसाद की कविता को संगीतबद्ध/सुरबद्ध करवाया है। अगली कड़ी सुमित्रानंदन पंत की कविता की होगी, जिसकी उद्घोषणा 10 जून 2009 को की जायेगी।
जयशंकर प्रसाद की कविता 'अरुण यह मधुमय देश हमारा' के लिए प्राप्त कुल 12 प्रविष्टियों से श्रेष्ठ प्रविष्टि चुनने के लिए दो चरणों में निर्णय कराया गया। पहले चरण में तीन निर्णयकर्ता रखे गये। यहाँ से 6 प्रविष्टियों को अंतिम निर्णयकर्ता आदित्य प्रकाश को भेजा गया। आदित्य प्रकाश पहले और दूसरे स्थान की प्रविष्टि में उलझ गये। बहुत सोचा कि किसे प्रथम रखूँ, किसे द्वितीय? यह तय कर पाना उनके लिए मुश्किल हो रहा था क्योंकि एक प्रविष्टि में कविता की आत्मा पूरी तरह से मुखरित हो रही थी तो दूसरे में संगीत का नया प्रयोग नवपीढ़ियों को लगभग 100 साल पुरानी कविता से जोड़ पा रहा था। एक में आवाज़ की मधुरता मन मोह रही थी तो दूसरे में संगीत की विविधता थिरका रही थी। तो आखिरकार आदित्य प्रकाश ने यह निर्णय लिया कि दोनों को प्रथम स्थान दिया जाय और रु 1000 का नग़द इनाम दोनों को ही दिया जाय। मतलब कुल रु 2000 का नगद इनाम पहले स्थान के लिए।
ये दोनों कौन हैं और इन्होंने कैसा गाया है आप खुद पढ़ लें और सुन लें।
स्वप्न मंजूषा 'शैल'
24 अगस्त को राँची में जन्मी स्वप्न मंजूषा 'शैल' कविमना हैं। कला के प्रति रुझान बचपन से रहा, नाटक और संगीत में भरपूर रूचि होने के कारण आकाशवाणी और दूरदर्शन से लम्बे समय तक जुड़ी रहीं, टी-सीरिज में गाने का सौभाग्य मिला और प्रोत्साहन भी, संगीत की बहुत सारी प्रतियोगिताओं में भाग लिया और पुरस्कृत हुईं। आकाशवाणी रांची और दिल्ली के कई नाटकों में आवाज़ दी, जैसे महाभारत में रामायण, एक बेचारा शादी-शुदा इत्यादि। इंदिरा गाँधी मुक्त विश्वविद्यालय में, सॉफ्टवेर इंजिनियर के पद पर ५ वर्षों तक कार्यरत होने के बाद, मॉरीसस ब्रोडकास्टिंग कारपोरेशन के लिए २ वर्षों तक टेलिविज़न पर प्रोग्राम प्रस्तुत किया, मॉरीसस में, हिंदी को टेलिविज़न के माध्यम से लोकप्रिय, बनाने की शुरुआत में, पति संतोष शैल और इन्होंने एक छोटी सी लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पिछले कई वर्षों से कनाडा में हैं और कनाडियन गवर्नमेंट के विभिन्न विभागों ( HRDC, PWGSC, National Defence, Correctional Services of Canada ) में सिस्टम्स अनालिस्ट के पद पर कार्यरत रह चुकी हैं। अब पेशे से प्रोजेक्ट मैनेजेर हैं, हाल ही में Ethiopian Govenment की Educational Television Program production का प्रोजेक्ट जिसमें ४५० फिल्में मात्र ३ महीने में बनायीं गई, कि प्रोजेक्ट मैनेजेर ये ही थीं।
२००४ में कनाडा में Chin Radio पर हिंदी में "आरोही " प्रोग्राम ९७.९ FM की शुरुआत की और उसे लोगों के दिलों तक पहुँचाया, इस कार्यक्रम ने लोकप्रियता का नया कीर्तमान ओटावा कि भूमि पर स्थापित किया।
बचपन से ही कविता लिखने का शौक़ रहा, इनकी २ कवितायेँ पुरस्कृत हुई हैं "गुमशुदा" और 'एकादशानन' ।
कई कविताएँ 'काव्यालय', 'अभिव्यक्ति', 'अनुभूति', 'गर्भनाल', जैसी साइट्स पर छप चुकीं हैं, इनकी एक पुस्तक भी छपी है, जिसका नाम है 'काव्य मंजूषा'।
पुरस्कार- प्रथम पुरस्कार, रु 1000 का नग़द इनाम
विशेष- भारतीय समयानुसार 8 जून 2009 की सुबह 7:30 बजे डैलास, अमेरिका के एफएम चैनल रेडियो सलाम नमस्ते के 'कवितांजलि' कार्यक्रम में आदित्य प्रकाश से इस गीत पर सीधी बात।
गीत सुनें-
64kbps
128kbps
कृष्ण राज कुमार
एक नौजवान संगीतकार और गायक हैं। कृष्ण राज कुमार जो मात्र २२ वर्ष के हैं, और जिन्होंने अभी-अभी अपने B.Tech की पढ़ाई पूरी की है, पिछले १४ सालों से कर्नाटक गायन की दीक्षा ले रहे हैं। इन्होंने हिन्द-युग्म के दूसरे सत्र के संगीतबद्धों गीतों में से एक गीत 'राहतें सारी' को संगीतबद्ध भी किया है। ये कोच्चि (केरल) के रहने वाले हैं। जब ये दसवीं में पढ़ रहे थे तभी से इनमें संगीतबद्ध करने का शौक जगा।
पुरस्कार- प्रथम पुरस्कार, रु 1000 का नग़द इनाम
विशेष- भारतीय समयानुसार 8 जून 2009 की सुबह 7:30 बजे डैलास, अमेरिका के एफएम चैनल रेडियो सलाम नमस्ते के 'कवितांजलि' कार्यक्रम में आदित्य प्रकाश से इस गीत पर सीधी बात।
गीत सुनें-
64kbps
128kbps
अब हम बात करते हैं तीसरे स्थान के विजेता की, जिन्होंने संगीतबद्ध तो नहीं किया, लेकिन सुरबद्ध ज़रूर किया है।
धर्मेंद्र कुमार सिंह
हिंदी-भोजपुरी के युवा गायक हैं. स्टेज, रेडियो, दूरदर्शन और विभिन्न चैनलों पर कार्यक्रम पेश कर चुके हैं, लेकिन अभी भी एक ऐसा प्लेटफार्म मिलना बाकी है जो इन्हें मुकाम तक पहुँचा सके। आजकल भोजपुरी के स्तरीय गीतों और गज़लों को आवाज देने में लगे हैं।
पुरस्कार- तृतीय पुरस्कार, रु 500 का नग़द इनाम
विशेष- भारतीय समयानुसार 15 जून 2009 की सुबह 7:30 बजे डैलास, अमेरिका के एफएम चैनल रेडियो सलाम नमस्ते के 'कवितांजलि' कार्यक्रम में आदित्य प्रकाश से इस गीत पर सीधी बात।
गीत सुनें-
64kbps
128kbps
इसके अतिरिक्त हमारी टीम को मनोहर लेले की प्रविष्टि भी सराहनीय लगी। हम वह प्रविष्टि भी अपने श्रोताओं के समक्ष रख रहे हैं।
विभा झालानी, लतिका भटनागर, कमल किशोर सिंह, रमेश धुस्सा, पूजा अनिल, कमलप्रीत सिंह, मुकेश सोनी और अम्बरीष श्रीवास्तव के भी आभारी हैं जिन्होंने इस प्रतियोगिता में भाग लेकर इसे सफल बनाया। इन सभी प्रतिभागियों की प्रविष्टियों में भी कविता को अलग ढंग से सुनने का अपना आनंद है, लेकिन कविता और रिकॉर्डिंग दोनों की तकनीकी और कलात्मक खूबियों और ख़ामियों के मद्देनज़र हमारी टीम ने उपर्युक्त निर्णय लिया है। हम उम्मीद करते हैं कि सभी प्रतिभागी इसे सकारात्मक लेंगे और गुजारिश करते हैं कि अगली बार भी गीतकास्ट आयोजन में ज़रूर भाग लें।
इस कड़ी के प्रायोजक रेडियो सलाम नमस्ते के उद्घोषक, कवि, वैज्ञानिक और हिन्दीकर्मी आदित्य प्रकाश हैं। यदि आप भी इस आयोजन को स्पॉनसर करता चाहते हैं तो hindyugm@gmail.com पर सम्पर्क करें।
पिछले महीने जब महान कवियों की कविताओं को सुरबद्ध और संगीतबद्ध करने का विचार बना था, तो हमारे मन एक डर था कि बहुत सम्भव है कि इसमें प्रतिभागिता बहुत कम हो। क्योंकि यह प्रतियोगिता कविता प्रतियोगिता जितनी सरल नहीं है। इसमें एक ही कविता को कई बार गाकर, रिकॉर्ड करके साधना होता है। लेकिन आपको भी यह जानकर आश्चर्य होगा कि गीतकास्ट प्रतियोगिता के पहले ही अंक में 12 प्रतिभागियों ने भाग लिया। जयशंकर प्रसाद की प्रसिद्ध कविता 'अरुण यह मधुमय देश हमारा' को 12 अलग धुनों में पिरोया गया। इतना ही नहीं, हमने बहुत से प्रतिभागियों से जब यह कहा कि रिकॉर्डिंग और उच्चारण में कुछ कमी रह गई है, तो उन्होंने दुबारा, तिबारा रिकॉर्ड करके भेजा।
गीतकास्ट प्रतियोगिता के माध्यम से हमारी कोशिश है कि पॉडकास्टिंग की रचनात्मक परम्परा हिन्दी में जुड़े। इस शृंखला में हम पहला प्रयोग या प्रयास छायावाद के चार स्तम्भ कवियों की कविताओं को संगीतबद्ध/सुरबद्ध करके करना चाहते हैं। पाठकों, श्रोताओं, गायकों और संगीतकारों की पूर्ण सहभागिता के बिना यह सफल नहीं हो पायेगा। छायावाद के कवियों की कविताओं के संगीत-संयोजन की पहली कड़ी गीतकास्ट प्रतियोगिता की पहली कड़ी है, जिसमें हमने जयशंकर प्रसाद की कविता को संगीतबद्ध/सुरबद्ध करवाया है। अगली कड़ी सुमित्रानंदन पंत की कविता की होगी, जिसकी उद्घोषणा 10 जून 2009 को की जायेगी।
जयशंकर प्रसाद की कविता 'अरुण यह मधुमय देश हमारा' के लिए प्राप्त कुल 12 प्रविष्टियों से श्रेष्ठ प्रविष्टि चुनने के लिए दो चरणों में निर्णय कराया गया। पहले चरण में तीन निर्णयकर्ता रखे गये। यहाँ से 6 प्रविष्टियों को अंतिम निर्णयकर्ता आदित्य प्रकाश को भेजा गया। आदित्य प्रकाश पहले और दूसरे स्थान की प्रविष्टि में उलझ गये। बहुत सोचा कि किसे प्रथम रखूँ, किसे द्वितीय? यह तय कर पाना उनके लिए मुश्किल हो रहा था क्योंकि एक प्रविष्टि में कविता की आत्मा पूरी तरह से मुखरित हो रही थी तो दूसरे में संगीत का नया प्रयोग नवपीढ़ियों को लगभग 100 साल पुरानी कविता से जोड़ पा रहा था। एक में आवाज़ की मधुरता मन मोह रही थी तो दूसरे में संगीत की विविधता थिरका रही थी। तो आखिरकार आदित्य प्रकाश ने यह निर्णय लिया कि दोनों को प्रथम स्थान दिया जाय और रु 1000 का नग़द इनाम दोनों को ही दिया जाय। मतलब कुल रु 2000 का नगद इनाम पहले स्थान के लिए।
ये दोनों कौन हैं और इन्होंने कैसा गाया है आप खुद पढ़ लें और सुन लें।
स्वप्न मंजूषा 'शैल'
24 अगस्त को राँची में जन्मी स्वप्न मंजूषा 'शैल' कविमना हैं। कला के प्रति रुझान बचपन से रहा, नाटक और संगीत में भरपूर रूचि होने के कारण आकाशवाणी और दूरदर्शन से लम्बे समय तक जुड़ी रहीं, टी-सीरिज में गाने का सौभाग्य मिला और प्रोत्साहन भी, संगीत की बहुत सारी प्रतियोगिताओं में भाग लिया और पुरस्कृत हुईं। आकाशवाणी रांची और दिल्ली के कई नाटकों में आवाज़ दी, जैसे महाभारत में रामायण, एक बेचारा शादी-शुदा इत्यादि। इंदिरा गाँधी मुक्त विश्वविद्यालय में, सॉफ्टवेर इंजिनियर के पद पर ५ वर्षों तक कार्यरत होने के बाद, मॉरीसस ब्रोडकास्टिंग कारपोरेशन के लिए २ वर्षों तक टेलिविज़न पर प्रोग्राम प्रस्तुत किया, मॉरीसस में, हिंदी को टेलिविज़न के माध्यम से लोकप्रिय, बनाने की शुरुआत में, पति संतोष शैल और इन्होंने एक छोटी सी लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पिछले कई वर्षों से कनाडा में हैं और कनाडियन गवर्नमेंट के विभिन्न विभागों ( HRDC, PWGSC, National Defence, Correctional Services of Canada ) में सिस्टम्स अनालिस्ट के पद पर कार्यरत रह चुकी हैं। अब पेशे से प्रोजेक्ट मैनेजेर हैं, हाल ही में Ethiopian Govenment की Educational Television Program production का प्रोजेक्ट जिसमें ४५० फिल्में मात्र ३ महीने में बनायीं गई, कि प्रोजेक्ट मैनेजेर ये ही थीं।
२००४ में कनाडा में Chin Radio पर हिंदी में "आरोही " प्रोग्राम ९७.९ FM की शुरुआत की और उसे लोगों के दिलों तक पहुँचाया, इस कार्यक्रम ने लोकप्रियता का नया कीर्तमान ओटावा कि भूमि पर स्थापित किया।
बचपन से ही कविता लिखने का शौक़ रहा, इनकी २ कवितायेँ पुरस्कृत हुई हैं "गुमशुदा" और 'एकादशानन' ।
कई कविताएँ 'काव्यालय', 'अभिव्यक्ति', 'अनुभूति', 'गर्भनाल', जैसी साइट्स पर छप चुकीं हैं, इनकी एक पुस्तक भी छपी है, जिसका नाम है 'काव्य मंजूषा'।
पुरस्कार- प्रथम पुरस्कार, रु 1000 का नग़द इनाम
विशेष- भारतीय समयानुसार 8 जून 2009 की सुबह 7:30 बजे डैलास, अमेरिका के एफएम चैनल रेडियो सलाम नमस्ते के 'कवितांजलि' कार्यक्रम में आदित्य प्रकाश से इस गीत पर सीधी बात।
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कृष्ण राज कुमार
एक नौजवान संगीतकार और गायक हैं। कृष्ण राज कुमार जो मात्र २२ वर्ष के हैं, और जिन्होंने अभी-अभी अपने B.Tech की पढ़ाई पूरी की है, पिछले १४ सालों से कर्नाटक गायन की दीक्षा ले रहे हैं। इन्होंने हिन्द-युग्म के दूसरे सत्र के संगीतबद्धों गीतों में से एक गीत 'राहतें सारी' को संगीतबद्ध भी किया है। ये कोच्चि (केरल) के रहने वाले हैं। जब ये दसवीं में पढ़ रहे थे तभी से इनमें संगीतबद्ध करने का शौक जगा।
पुरस्कार- प्रथम पुरस्कार, रु 1000 का नग़द इनाम
विशेष- भारतीय समयानुसार 8 जून 2009 की सुबह 7:30 बजे डैलास, अमेरिका के एफएम चैनल रेडियो सलाम नमस्ते के 'कवितांजलि' कार्यक्रम में आदित्य प्रकाश से इस गीत पर सीधी बात।
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अब हम बात करते हैं तीसरे स्थान के विजेता की, जिन्होंने संगीतबद्ध तो नहीं किया, लेकिन सुरबद्ध ज़रूर किया है।
धर्मेंद्र कुमार सिंह
हिंदी-भोजपुरी के युवा गायक हैं. स्टेज, रेडियो, दूरदर्शन और विभिन्न चैनलों पर कार्यक्रम पेश कर चुके हैं, लेकिन अभी भी एक ऐसा प्लेटफार्म मिलना बाकी है जो इन्हें मुकाम तक पहुँचा सके। आजकल भोजपुरी के स्तरीय गीतों और गज़लों को आवाज देने में लगे हैं।
पुरस्कार- तृतीय पुरस्कार, रु 500 का नग़द इनाम
विशेष- भारतीय समयानुसार 15 जून 2009 की सुबह 7:30 बजे डैलास, अमेरिका के एफएम चैनल रेडियो सलाम नमस्ते के 'कवितांजलि' कार्यक्रम में आदित्य प्रकाश से इस गीत पर सीधी बात।
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इसके अतिरिक्त हमारी टीम को मनोहर लेले की प्रविष्टि भी सराहनीय लगी। हम वह प्रविष्टि भी अपने श्रोताओं के समक्ष रख रहे हैं।
विभा झालानी, लतिका भटनागर, कमल किशोर सिंह, रमेश धुस्सा, पूजा अनिल, कमलप्रीत सिंह, मुकेश सोनी और अम्बरीष श्रीवास्तव के भी आभारी हैं जिन्होंने इस प्रतियोगिता में भाग लेकर इसे सफल बनाया। इन सभी प्रतिभागियों की प्रविष्टियों में भी कविता को अलग ढंग से सुनने का अपना आनंद है, लेकिन कविता और रिकॉर्डिंग दोनों की तकनीकी और कलात्मक खूबियों और ख़ामियों के मद्देनज़र हमारी टीम ने उपर्युक्त निर्णय लिया है। हम उम्मीद करते हैं कि सभी प्रतिभागी इसे सकारात्मक लेंगे और गुजारिश करते हैं कि अगली बार भी गीतकास्ट आयोजन में ज़रूर भाग लें।
इस कड़ी के प्रायोजक रेडियो सलाम नमस्ते के उद्घोषक, कवि, वैज्ञानिक और हिन्दीकर्मी आदित्य प्रकाश हैं। यदि आप भी इस आयोजन को स्पॉनसर करता चाहते हैं तो hindyugm@gmail.com पर सम्पर्क करें।
Comments
बहुत सुन्दर मनहर प्रस्तुति पर एवम् पुरस्कृत होने पर बधाई
कृष्ण राज व धर्मेन्द्र जी आप भी साधुवाद के पात्र हैं आप सभी गायक ,संगीतज्ञ शब्द को पैरह~
[पोशाक] पहना कर अभिनव कार्य कर रहे हैं-विस्तार दे रहे हैं
ऐसे आयोजनों की संख्या में दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि हो ,ईश्वर से यही प्रार्थना है |
kam se kam 5 baar record kiya tha koi baat nahi .
अब यदि निराला जी की रचना 'राम की शक्ति पूजा' को भी स्वर दे दें तो क्या बात हो ! लम्बी कविता के प्रारम्भ की लाइनें दे रहा हूँ:
रवि हुआ अस्त ज्योति के पत्र पर लिखा अमर
रह गया राम-रावण का अपराजेय समर।
आज का तीक्ष्ण शरविधृतक्षिप्रकर, वेगप्रखर,
शतशेल सम्वरणशील, नील नभगर्जित स्वर,
प्रतिपल परिवर्तित व्यूह भेद कौशल समूह
राक्षस विरुद्ध प्रत्यूह, क्रुद्ध कपि विषम हूह,
विच्छुरित वह्नि राजीवनयन हतलक्ष्य बाण,
लोहित लोचन रावण मदमोचन महीयान,
राघव लाघव रावण वारणगत युग्म प्रहर,
उद्धत लंकापति मर्दित कपि दलबल विस्तर,
अनिमेष राम विश्वजिद्दिव्य शरभंग भाव,
विद्धांगबद्ध कोदण्ड मुष्टि खर रुधिर स्राव,
रावण प्रहार दुर्वार विकल वानर दलबल,
मुर्छित सुग्रीवांगद भीषण गवाक्ष गय नल,
वारित सौमित्र भल्लपति अगणित मल्ल रोध,
गर्जित प्रलयाब्धि क्षुब्ध हनुमत् केवल प्रबोध,
उद्गीरित वह्नि भीम पर्वत कपि चतुःप्रहर,
जानकी भीरू उर आशा भर, रावण सम्वर।
लौटे युग दल। राक्षस पदतल पृथ्वी टलमल,
बिंध महोल्लास से बार बार आकाश विकल।
वानर वाहिनी खिन्न, लख निज पति चरणचिह्न
चल रही शिविर की ओर स्थविरदल ज्यों विभिन्न।
(कविता आभार: राजकमल पेपरबैक)
मात्रा संयोजन के कारण इसे संगीत देना कठिन तो है लेकिन असम्भव नहीं। सबसे बड़ी बात प्रतिभाओं की कमी नहीं है।
इस गीत को स्वप्न मंजूषा शैल जी की मधुर आवज में सुनना बहुत ही प्रीतिकर है । प्रसाद की कविता का गायन उनके गीतों जैसी सुकुमारिता का भाव अपना कर ही हो, तो शायद प्रसाद के गीतों का आत्म तत्व अक्षुण्ण रहेगा, और प्रसाद की आत्मा भी तृप्त होगी । इस मोर्चे पर कृष्ण राज कुमार बहुत सफल नहीं हुए । सही हकदार तो मंजूषा जी ही हैं इस स्थान की ।
स्थान चयन से कोई मतलब तो नहीं, पर मनोहर लेले जी का गायन ज्यादा मनोहर था ।
अपने ढंग के अनोखे और बहुमूल्य प्रयास के लिये हिन्द-युग्म बधाई का पात्र है । प्रसाद के इस गीत को मंजूषा जी की आवाज में सुनकर विभोर हूँ ।
हिन्द युग्म का यह प्रयास प्रश्स्य है।
अभिवादन...
बहुत भला लगा तीनो को सुनना,,,
हिंद-युग्म को इस शानदार आयोजन की बधाई,,,
यह कविता अनेकों बार पढी है,पर धुन का अपना ही आनन्द होता है. आज एक नहीं कई कई बार सुनता ही रहा ,इन मधुर गायकों की 'आवाज़'.
हिन्द-युग्म को इस आयोजन पर बधाई.
कृष्ण राजकुमार जी, की सगीत सज्जा निसंदेह, आधुनिक, गतिमय और कर्णप्रिय है, उनका प्रयास सराहनीय है लेकिन इस प्रतियोगिता में श्री जयशंकर प्रसाद जी की इस कविता को जीवंत, मंजूषा जी की मधुर आवाज़ ने ही किया है
Aati uttam.
Manju Gupta.
हिन्दयुग्म को बधाई
सादर
रचना
सुन के दिल खुश होगया
रचना
गीतकास्ट प्रतियोगिता के तीनों गीतों को सुना । स्वपन जी का गीत बहुत ही मधुर था, बिल्कुल गीत के मुखड़े की तरह। कृष्ण राज जी का नया अन्दाज़ था लेकिन बहुत प्रभावशाली बना। उनकी आवाज़ में प्रतिभाशाली गायकी के सभी गुण मिले। और संगीत भी कर्णप्रिय था । धर्मेन्द्र जी की प्रस्तुति अत्यन्त सुन्दर थी। पार्शव संगीत के बिना उनकी जो आवाज़ उभरी है वह हमें बहुत, बहुत ही पसन्द आई। इन सभी गायकों कॊ हमारी और से हार्दिक बधाई पहुँचाएँ तथा उज्जवल भविष्य के लिये शुभकामनाएं।
आपने ने यह प्रतियोगिता आरम्भ कर के दो काम किये हैं। एक तो छायावादी कवियों की मधुर रचनायों से जन-जन को अवगत कराया है ताकि ऐसी अमूल्य नीधियां पुस्तकों में ही बन्द न रह जाएं और दूसरा नई पीढ़ी को अपनी साहित्यिक धरोहर से जोड़ने का प्रयास किया है। इस तरह की प्रतियोगिताएं काव्य एवम् संगीत प्रेमियों में एक नया उत्साह भरेंगी । इस मंगल अनुष्ठान के लिये हमारी बहुत बहुत बधाई ।
मंगल कामनायों सहित
शशि पाधा
आकर्षित करने का अच्छा प्रयास है.
आप सभी को बहुत-बहुत बधाई |
सादर,
अम्बरीष श्रीवास्तव
आप सभी को बहुत-बहुत बधाई |
सादर,
नील श्रीवास्तव
छात्र कक्षा : आठ