एक गीत सौ कहानियाँ - 95
'जाने कहाँ गए वो दिन ...'
रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। दोस्तों, हम रोज़ाना रेडियो पर, टीवी पर, कम्प्यूटर पर, और न जाने कहाँ-कहाँ, जाने कितने ही गीत सुनते हैं, और गुनगुनाते हैं। ये फ़िल्मी नग़में हमारे साथी हैं सुख-दुख के, त्योहारों के, शादी और अन्य अवसरों के, जो हमारे जीवन से कुछ ऐसे जुड़े हैं कि इनके बिना हमारी ज़िन्दगी बड़ी ही सूनी और बेरंग होती। पर ऐसे कितने गीत होंगे जिनके बनने की कहानियों से, उनसे जुड़े दिलचस्प क़िस्सों से आप अवगत होंगे? बहुत कम, है न? कुछ जाने-पहचाने, और कुछ कमसुने फ़िल्मी गीतों की रचना प्रक्रिया, उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें, और कभी-कभी तो आश्चर्य में डाल देने वाले तथ्यों की जानकारियों को समेटता है 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' का यह स्तम्भ 'एक गीत सौ कहानियाँ'। इसकी 95-वीं कड़ी में आज जानिए 1970 की फ़िल्म ’मेरा नाम जोकर’ के मशहूर गीत "जाने कहाँ गए वो दिन..." के बारे में जिसे मुकेश ने गाया था। बोल हसरत जयपुरी के और संगीत शंकर-जयकिशन का।
मुकेश, दत्ताराम, हसरत |
मेरे क़दम जहाँ पड़े सजदे किए थे यार ने,
अपनी नज़र में आजकल दिन भी अन्धेरी रात है,
साया ही अपने साथ था, साया ही अपने साथ है।
लेकिन जब इस गीत को रेकॉर्ड किया गया तब दो नहीं पूरे पाँच अन्तरों के साथ रेकॉर्ड किया गया था। बाद में, फ़िल्म की लम्बाई बहुत ज़्यादा हो रही थी, इसलिए तीन अन्तरे हटा दिए गए। गीत लिखा था हसरत जयपुरी ने और उन्होंने सिचुएशन के हिसाब केवल दो ही अन्तरे लिखे क्योंकि फ़िल्म में इस गाने के बाद सर्कस के कलाकार स्टेज पर एन्ट्री करते हैं और दूसरा गाना "जीना यहाँ मरना यहाँ" शुरु हो जाता है। म्युज़िक सिटिंग् में हसरत साहब ने जब यह गाना सुनाया तो वहाँ मुकेश जी भी मौजूद थे। मुकेश जी बोले, गीत तो बहुत अच्छा है मगर बहुत छोटा लग रहा है। इसे थोड़ा लम्बा होना चाहिए। उस वक़्त सभी को लगा कि मुकेश जी ठीक कह रहे हैं। सब ने कहा हसरत साहब से कि कुछ और अन्तरे लिख दीजिए। ये तीन अन्तरे लिखे गए...
इस दिल के आशियाने में उनके ख़याल रह गए,
तोड़ के वो दिल चल दिए हम फिर अकेले रह गए।
मेरे निगाह-ए-शोख़ में आँसुओं के मेले रह गए,
आँसू भी मेरे कह रहे साथी तेरे किधर गए।
हमने तो अपना जानकर उनको गले लगाया था,
पत्थर को हमने पूज कर अपना ख़ुदा बनाया था।
राज कपूर, हसरत, शंकर-जयकिशन, शैलेन्द्र - जाने कहाँ गए वो दिन |
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आलेख व प्रस्तुति : सुजॉय चटर्जी
प्रस्तुति सहयोग: कृष्णमोहन मिश्र
Comments
Special thanx to both of you for sharing such an interesting but an important fact on Legendary Singer Mukesh songs. In general mukesh ji use to start his concerts with song Honthon pe sachhai rahati hai from JDMGBH and end up with Jane kahan gaye wo din. As per my collections of concerts, it suggests that the second line of antara "Is dil ke aashiyan mein.." is as-"TOD KE DIL WO CHAL DIYE.." not as TOD KE WO DIL CHAL DIYE..he sang this antara, at least in Bangalore concert and his last trip Canada/USA concert with lata, nitin mukesh and hridaynath mangeshkar etc.. Kindly, please let me know or share the record in which he sang this antara as-"TOD KE WO DIL" (means WO first then DIL). Moreover, these are concerts records which does not have authenticity as compared with that of the original sound track record of song. Even some time singers (or even mukesh ji himself) sings the song differently in concerts than in original record. for example koi jab tumhara hriday tod de- from poorab aur paschim or ek din bik jayega -dharam karam. Please reply, whether this lyrics is from original record or original lyrics of late Hasrat sahab.
Thank you for super episode of EK GEET SAU KAHANIYAN...
Thanks a lot for complete information of this tragedy song👍🙏👏👌