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तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ - चाँद शुक्ला का कलाम

आवाज़ रह-रह कर नयी प्रतिभाओं से आपको रुबरू करवाता रहता है। ऐसे ही एक नये मगर प्रतिभावान संगीतकार-गायक कुमार आदित्य विक्रम से हमने आपको अक्टूबर 2008 में मिलवाया था। कुमार आदित्य विक्रम मुम्बई फिल्म उद्योग में पैर घुसाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। छोटे-बड़े ग़ज़ल-कंसर्टों की नाव पर अपनी ज़िदंगी की नैया खे रहे हैं। संघर्ष के 2-4 महीनों में ये आवाज़ के लिए कुछ करने का समय निकाल ही लेते हैं। इस बार इनकी आवाज़ में हम लाये हैं चाँद शुक्ला 'हदियाबादी' का क़लाम 'तुम्हें मैं गुनगुनाना चाहता हूँ'।

चाँद शुक्ला 'हदियाबादी' अपने 'रेडियो सबरंग' नामक प्रयास के लिए खूब पहचाने जा रहे हैं। इस माध्यम से ये कवियों, कहानीकारों, गीतकारों, गायकों इत्यादी की आवाज़ बुलंद कर रहे हैं। लेकिन आज इनकी उस प्रतिभा का ज़िक्र न करके इनकी क़लम की आवाज़ बुलंद कर रहे हैं। इन्हें ग़ज़लें लिखने का शौक है और कुमार आदित्य विक्रम को गाने का। खुद सुनिए कि इन दो प्रतिभाओं का सार क्या है-



चाँद शुक्ला 'हदियाबादी'

जन्म : भारत के पंजाब प्रांत के जिला कपूरथला के ऐतिहासिक नगर हादियाबाद में।
शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा डलहौज़ी और शिमला में।
संप्रति : बचपन से ही शेरो-शायरी के शौक और जादुई आवाज़ होने के कारण पिछले पन्द्रह वर्षों से स्वतंत्र प्रसार माध्यम 'रेडियो सबरंग' में मानद निदेशक के पद पर आसीन हैं। आल वर्ल्ड कम्युनिटी रेडियो ब्राडकास्टर कनाडा (AMARIK) के सदस्य। आयात-निर्यात का व्यापार।
प्रकाशन एवं प्रसारण : दूरदर्शन और आकाशवाणी जालन्धर द्वारा मान्यता प्राप्त शायर। पंजाब केसरी, शमा (दिल्ली) और देश विदेश में रचनायें प्रकाशित। गजल संग्रह प्रकाशनाधीन।
पुरस्कार - सम्मान : सन्‌ १९९५ में डेनमार्क शांति संस्थान द्वारा सम्मानित किये गये।सन्‌ २००० में जर्मनी के रेडियो प्रसारक संस्था ने 'हेंस ग्रेट बेंच' नाम पुरस्कार से सम्मानित किया
अन्य : कई लघु फ़िल्मों और वृत्त फ़िल्मों में अभिनय।
ई-मेल- chaandshukla@gmail.com
गीत के बोल-

तुझे दिल में बसाना चाहता हूँ
तुझे अपना बनाना चाहता हूँ

जो गहरी झील सी आँखें है तेरी
में इन में डूब जाना चाहता हूँ

घटा सावन की तू मैं खेत सूखा
मैं प्यास अपनी बुझाना चाहता हूँ

ग़ज़ल है तू मेरी मैं तेरा शायर
तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ
--------------------
आदित्य विक्रम की अब तक की प्रस्तुति-
गीत में तुमने सजाया रूप मेरा
चाँद का आँगन
जिस्म कमाने निकल गया है
तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ

Comments

bahut dinon baad aditya vikram kii awaaz sunkar achha laga....chand ji aapka swagat hai awaaz par
बहुत सार्थक प्रयास...बधाई मेरे अभिन्न मित्र चाँद साहेब और गायक संगीतकार विक्रम जी को...
नीरज
bahut hi sundar prayaas .....pyaar me aadami kuchh aisa hi karana chahata hai
Amitabh Saxena said…
चाँद साहब को इतनी खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई! - अमिताभ सक्सेना
Shamikh Faraz said…
चाँद साहब को खूबसूरत ग़ज़ल के लिए के लिए दिली मुबारकबाद. कुबूल फरमाएं.
चाँद साहब!

शे'रों को ताज़ा करना होगा। माना ग़ज़ल मतलब महबूबा से गुफ़्तगू है, लेकिन सरकार थोड़ी अलग तरह की करिए ना।

आदित्य मियाँ को भी गायकी के पक्ष पर बहुत मेहनत की ज़रूरत है।

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