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देखो कसम से...कसम से, कहते हैं तुमसे हाँ.....प्यार की मीठी तकरार में...

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 73

दोस्तों, अभी हाल ही में हमने आपको फ़िल्म 'तुमसा नहीं देखा' का एक गीत सुनवाया था रफ़ी साहब का गाया हुआ। आज भी 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में हमने इसी फ़िल्म से एक दोगाना चुना है जिसमें रफ़ी साहब के साथ हैं आशा भोंसले। फ़िल्म 'तुमसा नहीं देखा' से संबंधित जानकारियाँ तो हमने उसी दिन आपको दे दिया था, इसलिए आज यहाँ पर हम उन्हे नहीं दोहरा रहे हैं। आशा भोंसले और मोहम्मद रफ़ी साहब की जोड़ी ने फ़िल्म संगीत जगत को तीन दशकों तक बेशुमार लाजवाब युगल गीत दिए हैं जो बहुत से अलग अलग संगीतकारों के धुनों पर बने हैं। सफलता की दृष्टि से देखा जाये तो ओ. पी. नय्यर साहब का 'स्कोर' इस मामले में बहुत ऊँचा रहा है। इस फ़िल्म में नय्यर साहब के संगीत में आशाजी और रफ़ी साहब के कई युगल गीत लोकप्रिय हुए थे जैसे कि "सर पर टोपी लाल हाथ मे रेशम का रूमाल हो तेरा क्या कहना", "आये हैं दूर से मिलने हुज़ूर से, ऐसे भी चुप ना रहिए, कहिए भी कुछ तो कहिए दिन है के रात है" और "देखो क़सम से क़सम से कहते हैं तुमसे हाँ, तुम भी जलोगे हाथ मलोगे रूठ के हमसे हाँ"। यही तीसरा गीत आज हम यहाँ पर आपके लिए पेश कर रहे हैं। नय्यर साहब का एक अंदाज़ ऐसा भी था कि मुखड़े के बाद जैसे ही अंतरा शुरु होता है तो गाने का 'रिदम' बिलकुल बदल जाती है, और यह गीत भी कुछ इसी तरह के अंदाज़ का है। मुखड़ा पाश्चात्य संगीत को छू रहा है तो अंतरे में तबले के ठेके मचलने लगते हैं। अमीन सयानी के गीतमाला कार्यक्रम के वार्षिक अंक में फ़िल्म 'तुमसा नहीं देखा' के दो गीत शामिल हुए थे। उनमें से एक था "सर पे टोपी लाल", जो १४-वीं पायदान पे था और दूसरा गीत था "यूँ तो हमने लाख हसीं देखे हैं", जिसको स्थान मिला १० नंबर का। प्रस्तुत गीत को भले कोई पुरस्कार ना मिला हो लेकिन सुननेवालों का स्नेह ज़रूर नसीब हुआ और आज भी वही प्यार साफ़ झलकता है।

"ओ दिलबर-जानिया, रूठने मनाने में ना बीते ये जवानियाँ", जी हाँ, इस गीत में भी रूठने मनाने की बात हो रही है। नायक के रूठ जाने पर नायिका उसे क़सम दे रही है। मजरूह सुल्तानपुरी ने इस छेड़-छाड़ वाले गीत में अपनी लेखनी का बड़ा ख़ूबसूरत नमूना पेश किया है। गीत सुनते हुए आप जैसे ही अनुभव करेंगे कि "क़सम" शब्द बहुत ज़्यादा हो रहा है गाने में, तभी रफ़ी साहब गा उठते हैं कि "क्या लगाई तुमने यह 'क़सम क़सम से', लो ठहर गये हम कुछ कहो भी हम से"। यही है इस गाने की ख़ासीयत कि ख़ुद अंतरा ही अपने मुखड़े में किसी एक शब्द के भरमार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रही है। तो लीजिए बोलचाल की भाषा में लिखी गयी इस मज़ेदार गीत का आनंद उठाते हैं आज के 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में याद करते हुए शम्मी कपूर और अमीता की उस नोक-झोंक वाले अंदाज़ को।



और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं -

१. हेमंत दा और गीता दत्त की आवाजों में एक मधुर युगल गीत.
२. राजेंदर कृष्ण के बोल और हेमंत दा का संगीत.
३. गीत शुरू होता है सी शब्द से - "गुमसुम".

कुछ याद आया...?

पिछली पहेली का परिणाम -
पराग जी, नीरज जी, मनु जी और संगीता जी आप सभी का जवाब सही है...बहुत बहुत बधाई हो.

खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी



ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम ६-७ के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.


Comments

Parag said…
नय्यर साहब के इस प्यारे युगल गीत के बाद अगला गीत हैं संगीतकार गायक हेमंतकुमार साहब का और बोल हैं

गुमसुम सा यह जहाँ
यह रात यह हवा
एक साथ आज दो दिल
धड़केंगे बेजुबान

सुरीला और नशीला गीत. और ख़ास बात यह है की हेमंतदा और गीता जी दोनोकी आवाजे एक दूसरेको पूरक हैं इस गाने में.

आभारी
पराग
manu said…
गुमसुम सा यह जहाँ
यह रात यह हवा,,,,

इतनी लाइन तो याद आ रही हैं ,,खूब सुनी सी लग रही हैं,,,
यही होगा,,,,पराग जी ने ठीक ही बताया होगा पर मुझे नहीं पता था,,,
shanno said…
उम्दा गाना. लाजबाब!
rachana said…
जी आप ने ठीक कहा यही गाना है
गुमसुम सा ये जहाँ ये रात ये हवा
एक साथ आज दो दिल धड्काएं दिलरुबा
saader
rachana
Anonymous said…
Bahut Khub! Kintu, yeh geet "Dekho Kasam Se" ki shrunkhala hogi 73?

Kish...
neelam said…
waah kya gana sunwaya hai aapne ,
magar ye kaun sa geet hai hemant da ki aawaj me jo humse rah gaya shaayad sun kar hi yaad aaye

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