ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 81
'ओल्ड इज़ गोल्ड' की कड़ी नम्बर ८१ में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। दोस्तों, कुछ रोज़ पहले हमने आपको हेमन्त कुमार की आवाज़ में फ़िल्म कोहरा का एक गीत सुनवाया था "ये नयन डरे डरे"। इस गीत को सुनकर कुछ श्रोताओं ने हमसे हेमन्त कुमार के गाए कुछ और गीत सुनवाने का अनुरोध किया था। तो आज उन सभी श्रोताओं की फ़रमाइश पूरी हो रही है क्यूंकि आज हम आप तक पहुँचा रहे हैं हेमन्तदा का गाया फ़िल्म 'बीस साल बाद' का एक बड़ा ही चुलबुला सा गाना। दोस्तों, जब हमने फ़िल्म 'कोहरा' का गीत सुनवाया था तो हमने आपको यह भी बताया था कि हेमन्तदा ने अपने बैनर 'गीतांजली पिक्चर्स' के तले कुछ 'सस्पेन्स थ्रिलर' फ़िल्मों का निर्माण किया था और इस सिलसिले की पहली फ़िल्म थी 'बीस साल बाद' जो बनी थी सन् १९६२ में। बिरेन नाग निर्देशित इस फ़िल्म के मुख्य कलाकार थे विश्वजीत और वहीदा रहमान। विश्वजीत पर हेमन्तदा की आवाज़ कुछ ऐसी जमी कि आगे चलकर प्रदीप कुमार की तरह विश्वजीत के लिए भी दादा ने एक से बढ़कर एक पार्श्वगायन किया। यहाँ कुछ गीतों के नाम गिनाएँ आपको? "ये नयन डरे डरे" तो है ही, इसके अलावा "एक बार ज़रा फिर कहदो मुझे शर्माके तुम दीवाना", "ज़रा नज़रों से कहदो जी निशाना चूक न जाये", "जब जाग उठे अरमान तो कैसे नींद आये", "ज़िन्दगी कितनी ख़ूबसूरत है आइए आप की ज़रूरत है", "तुम्हे जो भी देख लेगा किसी का न हो सकेगा", और भी न जाने कितने और ऐसे लाजवाब गीत हैं जो मुझे इस वक़्त याद आ रहे हैं। एक और ऐसा ही गीत है, जो आज हम आपको सुनवा रहे हैं फ़िल्म 'बीस साल बाद' से और वह गीत है "बेक़रार करके हमें यूँ न जाइए, आपको हमारी क़सम लौट आइए"।
'बीस साल बाद' फ़िल्म के इस गीत की खासियत यह है कि गीत का संगीत पाश्चात्य होते हुए भी इसमें इतनी ज़्यादा मेलडी है कि एक बार जिसने यह गीत सुबह को सुन लिया तो दिन भर बस इसी के बोल उसके लबों पर थरथराते रहते हैं। कहने का मतलब यह है कि इस गीत का असर इतना व्यापक है कि एक बार सुनते ही गीत होठों पर चढ़ जाता है और बहुत देर तक उतरने का नाम नहीं लेता। शक़ील बदायूनी ने भी क्या ख़ूब बोल लिखे हैं - "देखिए गुलाब की वो डालियाँ बढ़के चूम ले ना आपके क़दम, खोए खोए भँवरे भी हैं बाग़ में कोई आपको बना ना ले सनम, बहकी बहकी नज़रों से ख़ुद को बचाइए, आपको हमारी क़सम लौट आइए"। नायक का नायिका को अपनी तरफ़ आकर्षित करने का इससे बेहतर अंदाज़ कोई दूसरा शायद नहीं हो सकता। हेमन्तदा, जो गम्भीर और वज़नदार गीतों के लिए ज़्यादा जाने जाते हैं, तो उन्होने भी कुछ इस तरह के हल्के फुल्के गीत भी गाए हैं जिनका रंग उनके दूसरे गीतों से बिल्कुल अलग है, जुदा है। और इन गीतों में भी उनकी आवाज़ इतनी ज़्यादा रुमानीयत से भरपूर है कि उस ज़माने के किसी भी दूसरे लोकप्रिय मशहूर गायक को सीधी टक्कर दे दे। तो लीजिए हेमन्त कुमार के चाहनेवालों के लिए यह ख़ास नज़राना पेश-ए-ख़िदमत है आज के 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में।
और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं -
१. संगीत एक बार फिर हेमंत दा का पर आवाज़ लता मंगेशकर की है.
२. राजेंदर कृष्ण का लिखा ये गाना जिस फिल्म का है उसका संगीत बरसों तक संगीतप्रेमियों को झूमने पर मजबूर करता रहा है.
३. मुखड़े में शब्द युगल है -"भीगा भीगा".
कुछ याद आया...?
पिछली पहेली का परिणाम -
शरद तैलंग जी विजेता हुए हैं आप..बधाई...रचना जी भी लगतार अच्छा प्रदर्शन कर दिग्गजों के लिए चुनौती बन रही हैं...मनु जी और नीरज जी सावधान..
खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम ६-७ के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.
'ओल्ड इज़ गोल्ड' की कड़ी नम्बर ८१ में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। दोस्तों, कुछ रोज़ पहले हमने आपको हेमन्त कुमार की आवाज़ में फ़िल्म कोहरा का एक गीत सुनवाया था "ये नयन डरे डरे"। इस गीत को सुनकर कुछ श्रोताओं ने हमसे हेमन्त कुमार के गाए कुछ और गीत सुनवाने का अनुरोध किया था। तो आज उन सभी श्रोताओं की फ़रमाइश पूरी हो रही है क्यूंकि आज हम आप तक पहुँचा रहे हैं हेमन्तदा का गाया फ़िल्म 'बीस साल बाद' का एक बड़ा ही चुलबुला सा गाना। दोस्तों, जब हमने फ़िल्म 'कोहरा' का गीत सुनवाया था तो हमने आपको यह भी बताया था कि हेमन्तदा ने अपने बैनर 'गीतांजली पिक्चर्स' के तले कुछ 'सस्पेन्स थ्रिलर' फ़िल्मों का निर्माण किया था और इस सिलसिले की पहली फ़िल्म थी 'बीस साल बाद' जो बनी थी सन् १९६२ में। बिरेन नाग निर्देशित इस फ़िल्म के मुख्य कलाकार थे विश्वजीत और वहीदा रहमान। विश्वजीत पर हेमन्तदा की आवाज़ कुछ ऐसी जमी कि आगे चलकर प्रदीप कुमार की तरह विश्वजीत के लिए भी दादा ने एक से बढ़कर एक पार्श्वगायन किया। यहाँ कुछ गीतों के नाम गिनाएँ आपको? "ये नयन डरे डरे" तो है ही, इसके अलावा "एक बार ज़रा फिर कहदो मुझे शर्माके तुम दीवाना", "ज़रा नज़रों से कहदो जी निशाना चूक न जाये", "जब जाग उठे अरमान तो कैसे नींद आये", "ज़िन्दगी कितनी ख़ूबसूरत है आइए आप की ज़रूरत है", "तुम्हे जो भी देख लेगा किसी का न हो सकेगा", और भी न जाने कितने और ऐसे लाजवाब गीत हैं जो मुझे इस वक़्त याद आ रहे हैं। एक और ऐसा ही गीत है, जो आज हम आपको सुनवा रहे हैं फ़िल्म 'बीस साल बाद' से और वह गीत है "बेक़रार करके हमें यूँ न जाइए, आपको हमारी क़सम लौट आइए"।
'बीस साल बाद' फ़िल्म के इस गीत की खासियत यह है कि गीत का संगीत पाश्चात्य होते हुए भी इसमें इतनी ज़्यादा मेलडी है कि एक बार जिसने यह गीत सुबह को सुन लिया तो दिन भर बस इसी के बोल उसके लबों पर थरथराते रहते हैं। कहने का मतलब यह है कि इस गीत का असर इतना व्यापक है कि एक बार सुनते ही गीत होठों पर चढ़ जाता है और बहुत देर तक उतरने का नाम नहीं लेता। शक़ील बदायूनी ने भी क्या ख़ूब बोल लिखे हैं - "देखिए गुलाब की वो डालियाँ बढ़के चूम ले ना आपके क़दम, खोए खोए भँवरे भी हैं बाग़ में कोई आपको बना ना ले सनम, बहकी बहकी नज़रों से ख़ुद को बचाइए, आपको हमारी क़सम लौट आइए"। नायक का नायिका को अपनी तरफ़ आकर्षित करने का इससे बेहतर अंदाज़ कोई दूसरा शायद नहीं हो सकता। हेमन्तदा, जो गम्भीर और वज़नदार गीतों के लिए ज़्यादा जाने जाते हैं, तो उन्होने भी कुछ इस तरह के हल्के फुल्के गीत भी गाए हैं जिनका रंग उनके दूसरे गीतों से बिल्कुल अलग है, जुदा है। और इन गीतों में भी उनकी आवाज़ इतनी ज़्यादा रुमानीयत से भरपूर है कि उस ज़माने के किसी भी दूसरे लोकप्रिय मशहूर गायक को सीधी टक्कर दे दे। तो लीजिए हेमन्त कुमार के चाहनेवालों के लिए यह ख़ास नज़राना पेश-ए-ख़िदमत है आज के 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में।
और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं -
१. संगीत एक बार फिर हेमंत दा का पर आवाज़ लता मंगेशकर की है.
२. राजेंदर कृष्ण का लिखा ये गाना जिस फिल्म का है उसका संगीत बरसों तक संगीतप्रेमियों को झूमने पर मजबूर करता रहा है.
३. मुखड़े में शब्द युगल है -"भीगा भीगा".
कुछ याद आया...?
पिछली पहेली का परिणाम -
शरद तैलंग जी विजेता हुए हैं आप..बधाई...रचना जी भी लगतार अच्छा प्रदर्शन कर दिग्गजों के लिए चुनौती बन रही हैं...मनु जी और नीरज जी सावधान..
खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम ६-७ के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.
Comments
1)n hume tumhe jaane ntum hume jaano
2)tum pukaar lo
geet jinka aapne jikr hi nahi kiya bhi sunne ka man hai ,kab sunvaayenge
gaana hai shaayad se bheega bheega hai sama ,mera dil bhi pukaare aaja
बहुत ही प्रभावशाली आवाज़ थी |
लेख के लिए धन्यवाद |
अवनीश तिवारी
भीगा भीगा है समां एसे में है तू कहाँ
नागिन का है ये गीत
सादर
रचना
बीन की मस्त धुन इस गीत को और भी जबरदस्त बनाती है,,,,
एक छोटी सी झलक मेरे मिटने तलक
ओ चाँद;;;;;;;;;;;;;;;;;;;
ओ चाँद मेरे दिखला जा,,,,,,,,,
mujhe umeed hai aapke saare shrotaao ko pasand aayega..
(tadap ye din raat ki,faqat ye bin baat ki,bhala ye rog hai kaisa,sajan ab to bata de..)
Paheli ka uttar to Rachnaji ne de hi diya hai.Prasangvash, yeh jankari bhi de di jaye ki film 'Nagin' mein been ki madhur awaz ke kalakar the Hemant da ke Assistant Kalyanji Virji Shah,jinhen baad mein mashhoor sangitkar Kalyanji ke naam se pehchan mili. Aur yeh been bajayi gayi hai Clavioline naam ke instrument par. Yane ki Been vaadya ka prayog hi nahin kiya gaya tha. Par kya baat hai. Lajawab.
Avadh Lal