Skip to main content

सिने-पहेली # 1

सिने-पहेली # 1

रेडियो प्लेबैक इण्डिया के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का सप्रेम नमस्कार! दोस्तों, आज से हम इस मंच पर शुरु कर रहे हैं यह नया साप्ताहिक स्तंभ 'सिने-पहेली'। जैसा कि शीर्षक से ही आपने अंदाज़ा लगा लिया होगा कि इसमें हम आपसे सवाल पूछने वाले हैं, जिनका आपको जवाब लिख भेजने हैं। ये सवाल सिनेमा और संगीत से जुड़े सवाल होंगे, पर जवाब शायद इतने आसान न हों। पर हमें उम्मीद है कि इस स्तंभ का भरपूर आनन्द लेंगे और अपना पूरा-पूरा सहयोग हमें देंगे। हर नए सप्ताह में पिछले सप्ताह के विजेताओं का नाम घोषित किये जाएगें, और ५० अंकों के बाद 'महा-विजेता' भी चुना जाएगा और उन्हें पुरस्कृत भी किया जाएगा। इस प्रतियोगिता के नियम हम बाद में बतायेंगे, पहले आइए आपको बताएँ आज के पाँच सवाल जिन्हें हल करना है आपको।


*********************************************

सवाल-1: गोल्डन वॉयस

पहला सवाल के लिए हम हर सप्ताह चुनेंगे एक गोल्डन वॉयस को, जो सिनेमा के पहले दौर से ताल्लुख रखते होंगे। तो यह रहा आज का गोल्डन वॉयस, ज़रा पहचानिए तो किन गायिका-अभिनेत्री की यह आवाज़ है?



सवाल-2: चित्र पहेली

दूसरे सवाल के रूप में आपको हल करने हैं एक चित्र पहेली का। नीचे दिए गए चित्र को ध्यान से देखिए। इसमें देव आनन्द साहब को तो आपने ज़रूर ही पहचान लिया होगा। पर सवाल है कि देव साहब के कम्धे पे हाथ रखे हुए ये कौन हैं?



सवाल-3: सुनिये तो...

तीसरा सवाल भी ऑडियो है। ज़रा इस बोलती हुई आवाज़ को ग़ौर से सुनें। यह एक मशहूर गीतकार के किसी साक्षात्कार का एक छोटा सा हिस्सा है। क्या इन बातों से और इनकी आवाज़ से आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि ये गीतकार कौन हैं?



सवाल-4: भूले बिसरे

और अब चौथा सवाल। सोहराब मोदी निर्देशित 'मिनर्वा मूवीटोन' की प्रसिद्ध ऐतिहासिक फ़िल्म 'सिकन्दर' (१९३९) का एक गीत अपने समय में बहुत ही मशहूर हुआ था - "ज़िन्दगी है प्यार से प्यार में बिताए जा"। इस गीत के गायक कलाकारों के नाम बताइए।

सवाल-5: आख़िरी सवाल!

और अब पाँचवा और आज का आख़िरी सवाल। दो ऐसी फ़िल्मों के नाम बताइए जिनमें शर्मीला टैगोर सैफ़ अली ख़ान की माँ बनी हैं।


तो दोस्तों, हमने पूछ लिए हैं आज के पाँचों सवाल, और अब ये रहे इस प्रतियोगिता में भाग लेने के कुछ आसान से नियम....

१. अगर आपको सभी पाँच सवालों के जवाब मालूम है, फिर तो बहुत अच्छी बात है, पर सभी जवाब अगर मालूम न भी हों, तो भी आप भाग ले सकते हैं, और जितने भी जवाब आप जानते हों, वो हमें लिख भेज सकते हैं।

२. जवाब भेजने के लिए आपको करना होगा एक ई-मेल cine.paheli@yahoo.com के ईमेल पते पर। 'टिप्पणी' में जवाब कतई न लिखें, वो मान्य नहीं होंगे।

३. ईमेल के सब्जेक्ट लाइन में "Cine Paheli # 1" अवश्य लिखें, और जवाबों के नीचे अपना नाम, आयु, और स्थान ज़रूर लिखें।

४. आपका ईमेल हमें शुक्रवार 06 जनवरी तक मिल जाने चाहिए।


है न बेहद आसान! तो अब देर किस बात की, लगाइए अपने दिमाग़ पे ज़ोर और जल्द से जल्द लिख भेजिए अपने जवाब। जैसा कि हमने शुरु में ही कहा है कि हर सप्ताह हम सही जवाब भेजने वालों के नाम घोषित किया करेंगे, और पचासवे अंक के बाद "महाविजेता" का नाम घोषित किया जाएगा। तो आज बस इतना ही, अगले सप्ताह आपसे इसी स्तंभ में दोबारा मुलाक़ात होगी, तब तक के लिए अनुमति दीजिए सुजॉय चटर्जी को, नमस्कार!

Comments

manu said…
sawaal no 2....vaijanti mala
sujoy chatterjee said…
sabhi pathakon se anurodh hai ki jawaab keval cine.paheli@yahoo.com par hi bhejeN.

Regards
Sujoy
नया स्तम्भ खूब फले-फूले और लोकप्रिय हो, मेरी शुभकामनाएँ। स्तम्भ के लिए व्यंग्य चित्र और दोहा आकर्षक है, दोहे की पहली पंक्ति होनी चाहिए- ‘बूझें संग सुजॉय के आप (रोज़) पहेली गीत....’।
Sajeev said…
ye vyang chitra manu ji ka hi banay hua hai krishn ji, wo jald hi naya banakar dengen

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु की

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन दस थाट