गाना: मुझे मिल गया बहाना तेरी दीद का
चित्रपट:बरसात की रात
संगीतकार:रोशन
गीतकार: साहिर
गायिका:लता मंगेशकर
मुझे मिल गया बहाना तेरी दीद का
कैसी खुशी लेके आया चाँद, ईद का
मुझे मिल गया बहाना तेरी दीद का - २
ज़ुल्फ़ मचलके खुल खुल जाये
चाल में मस्ती घुल घुल जाये, घुल घुल जाये
ऐसी खुशी आज मिली आज मिली ऐसी खुशी
आँखों मैं नाम नहीं, नींद का
मुझे मिल गया बहाना ...
जागती आँखें बुनती हैं सपने
तुझको बिठाके पहलू में अपने, पहलू में अपने
दिल की लगी ऐसी बड़ी ऐसी बड़ी दिल की लगी
आँखों मैं नाम नहीं नींद का
मुझे मिल गया बहाना तेरी दीद का
कैसी खुशी लेके आया चाँद ईद का
मुझे मिल गया बहाना तेरी दीद का
Comments
चाँद तकता है इधर आओ कहीं छुप जाएँ' मुझे कालिंदी के तट पर ले जाता है और मैं जोगन हो जाती हूँ.
ईद का चाँद 'उसे' अपने महबूब के दीदार का बहाना बन गया है.वो इसी मे खुश है. दुनिया दिवार ना बनती तो दीदार का ऐसा सुख भी उसे कैसे मिलता.दर्द बढकर दवा यूँ ही नही बन जाता.आसानी से दीदार हो जाते तो चाँद की ख़ूबसूरती और महत्ती भूमिका को ये प्यार करने वाले कैसे समझ पाते.
इतने खूबसूरत गाने के लिए थेंक्स...>>>> नही बोलूंगी.चाहूंगी और भी इससे भी प्यारे प्यारे गाने सुनने को मिले यहाँ.फिलहाल आँखें मूंदकर 'उस नायिका' की खुशी को महसूस कर रही हूँ.मुस्करा रही हूँ.जियो.