आज ६ जनवरी जन्मदिन है ए. आर. रहमान का.
जन्म के समय उनका नाम ए एस दिलीप कुमार था जिसे बाद में बदलकर वे ए आर रहमान बने.सुरों के बादशाह रहमान ने हिंदी के अलावा अन्य कई भाषाओं की फिल्मों में भी संगीत दिया है. टाइम्स पत्रिका ने उन्हें मोजार्ट ऑफ मद्रास की उपाधि दी. रहमान गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय हैं.ए. आर. रहमान ऐसे पहले भारतीय हैं जिन्हें ब्रिटिश भारतीय फिल्म स्लम डॉग मिलेनियर में उनके संगीत के लिए तीन ऑस्कर नामांकन हासिल हुआ.इसी फिल्म के गीत जय हो... के लिए सर्वश्रेष्ठ साउंडट्रैक कंपाइलेशन और सर्वश्रेष्ठ फिल्मी गीत की श्रेणी में दो ग्रैमी पुरस्कार मिले.
रहमान ने संगीत की आगे की शिक्षा मास्टर धनराज से प्राप्त की और मात्र ११ वर्ष की उम्र में अपने बचपन के मित्र शिवमणि के साथ रहमान बैंड रुट्स के लिए की-बोर्ड (सिंथेसाइजर) बजाने का कार्य करते.
वे इलियाराजा के बैंड के लिए काम करते थे.१९९१ में रहमान ने अपना खुद का म्यूजिक रिकॉर्ड करना शुरु किया.११९२ में उन्हें फिल्म डायरेक्टर मणिरत्नम की फिल्म रोजा में संगीत देने का मौका मिला.उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.आज वे विश्व के टॉप टेन म्यूजिक कंपोजर्स में गिने जाते हैं.उन्होंने तहजीब, बॉम्बे, दिल से, रंगीला, ताल, जींस, पुकार, फिजा, लगान, मंगल पांडे, स्वदेश, रंग दे बसंती, जोधा-अकबर, जाने तू या जाने ना, युवराज, स्लम डॉग मिलेनियर, गजनी जैसी फिल्मों में संगीत दिया है.
ए. आर. रहमान को रेडियो प्लेबैक इंडिया की ओर से जन्मदिन की शुभकामनाएँ उनके ही संगीतबद्ध १० गीतों के माध्यम से.
जन्म के समय उनका नाम ए एस दिलीप कुमार था जिसे बाद में बदलकर वे ए आर रहमान बने.सुरों के बादशाह रहमान ने हिंदी के अलावा अन्य कई भाषाओं की फिल्मों में भी संगीत दिया है. टाइम्स पत्रिका ने उन्हें मोजार्ट ऑफ मद्रास की उपाधि दी. रहमान गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय हैं.ए. आर. रहमान ऐसे पहले भारतीय हैं जिन्हें ब्रिटिश भारतीय फिल्म स्लम डॉग मिलेनियर में उनके संगीत के लिए तीन ऑस्कर नामांकन हासिल हुआ.इसी फिल्म के गीत जय हो... के लिए सर्वश्रेष्ठ साउंडट्रैक कंपाइलेशन और सर्वश्रेष्ठ फिल्मी गीत की श्रेणी में दो ग्रैमी पुरस्कार मिले.
रहमान ने संगीत की आगे की शिक्षा मास्टर धनराज से प्राप्त की और मात्र ११ वर्ष की उम्र में अपने बचपन के मित्र शिवमणि के साथ रहमान बैंड रुट्स के लिए की-बोर्ड (सिंथेसाइजर) बजाने का कार्य करते.
वे इलियाराजा के बैंड के लिए काम करते थे.१९९१ में रहमान ने अपना खुद का म्यूजिक रिकॉर्ड करना शुरु किया.११९२ में उन्हें फिल्म डायरेक्टर मणिरत्नम की फिल्म रोजा में संगीत देने का मौका मिला.उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.आज वे विश्व के टॉप टेन म्यूजिक कंपोजर्स में गिने जाते हैं.उन्होंने तहजीब, बॉम्बे, दिल से, रंगीला, ताल, जींस, पुकार, फिजा, लगान, मंगल पांडे, स्वदेश, रंग दे बसंती, जोधा-अकबर, जाने तू या जाने ना, युवराज, स्लम डॉग मिलेनियर, गजनी जैसी फिल्मों में संगीत दिया है.
ए. आर. रहमान को रेडियो प्लेबैक इंडिया की ओर से जन्मदिन की शुभकामनाएँ उनके ही संगीतबद्ध १० गीतों के माध्यम से.
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