ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 633/2010/333
'ओल्ड इज़ गोल्ड' के श्रोता-पाठकों को हमारा नमस्कार! 'सितारों की सरगम' शृंखला में ट्रैजेडी किंग् दिलीप कुमार के बाद आज बारी है ट्रैजेडी क्वीन के आवाज़ की। जी हाँ, मीना कुमारी, जिन्हें हिंदी सिनेमा का ट्रैजेडी क्वीन कहा जाता है। मीना कुमारी जितनी सशक्त अदाकारा थीं उतनी ही अच्छी शायरा भी थीं। उनकी शायरी का संकलन 'I write, I recite' के शीर्षक से जारी हुआ था, जिसको संगीतबद्ध किया था ख़य्याम साहब नें। विनोद मेहता नें मीना कुमारी की जीवनी लिखी जो प्रकाशित हुई थी सन् १९७२ में। इस किताब में मीना जी की शायराना अंदाज़ उन्होंने कुछ इन शब्दों में व्यक्त किया था - "Her poetry is sad, joyless, pessimistic, morbid, but then what do you expect from a women of the temperament of Meena Kumari? Her verses were entirely in character with her life, or at least her comprehension of her life. My heroine was not an outstanding poet, nor a detached poet, nor a penetrating poet, nor a classical poet. She was a learning poet who translated her life into verse. The dominant strain in Meena Kumari's poetry is love, or rather the impossibility of finding love. And it would be true to say that my heroine looked, searched, wept and cried in its pursuit. In fact, she said, "love is my biggest weakness and greatest strength too. I am in love with love. I am craving for love. I have been craving for it since my childhood." We all know she was unsuccessful."
उपलब्ध जानकारी के अनुसार मीना कुमारी नें जिन गिनी-चुनी फ़िल्मों में अपना स्वर दिया, यानी गीत गाये, उनमें शामिल हैं 'पिया घर आजा', 'दुनिया एक सराय', 'बहन', 'अलादिन और जादूई चिराग़' और 'बिछड़े बलम'। १९४७ की फ़िल्म 'पिया घर आजा' में बुलो सी. रानी नें मीना जी पर फ़िल्माये सभी गीत उनसे गवा लिए, जैसे कि "अखियाँ तरस रही उन बिन", "देश पराये जानेवाले भूल न जाना प्रीत निभाना", "एक बार फिर कहो ज़रा आँखों का नूर हो", "मेरे सपनों की दुनिया बसाने वाले", "मिली आज पिया से अखियाँ", "न कोई दिलासा है न बाक़ी है बहाना", "नैन बसे हो राजा दिल में बसे हो" (करण दीवान के साथ), "नैन डोर बांध लियो चितचोर" (करण दीवान के साथ)। इन सभी गीतों को इंद्रचन्द्र कपूर नें लिखा। 'बहन' में अनिल बिस्वास नें मीना कुमारी से सरदार आह सीतापुरी का लिखा "तोरे कजरा लगाऊँ मोरी रानी" गवाया था, तो 'दुनिया के सराय' में हंसराज बहल नें उनसे कई गीत गवाये। एस. एन. त्रिपाठी का संगीत था 'अलादिन और जादूई चिराग़' में। लेकिन मीना कुमारी से सब से ज़्यादा गीत बुलो सी. रानी नें ही गवाये थे। 'पिया घर आजा' के सभी गीतों के अलावा 'बिछड़े बलम' में भी बुलो साहब नें उनसे गीत गवाये और इसी फ़िल्म का एक बहुत ही दुर्लभ गीत आज हम आपके लिए लेकर आये हैं। मीना कुमारी और ए. आर. ओझा की युगल आवाज़ों में यह है "बोल रे बोल रे मेरे प्यारे पपीहे बोल रे"। गीतकार इंद्र चंद्र, जो कुछ फ़िल्मों में आइ. सी. कपूर के नाम से भी जाने गये। इस गीत को सुनवाने से पहले एक और दुर्लभ जानकारी आपको देना चाहेंगे कि बुलो सी. रानी नें ही १९४८ की फ़िल्म 'अंजुमन' में अभिनेत्री नर्गिस से भी गीत गवाया था। नर्गिस और उमा देवी की युगल आवाज़ों में यह मुशायरा गीत था "हज़रात क्योंकि काफ़ी देर हो चुकी है"। हमनें काफ़ी कोशिशें की कि इस गीत को हम कहीं से ढूंढ कर नर्गिस जी पर भी एक अंक इस शृंखला में प्रस्तुत करें, लेकिन अफ़सोस कि फ़िल्म के ग्रामोफ़ोन रेकॊर्ड पर इसे नहीं उतारा गया था और इस फ़िल्म की प्रिण्ट भी कहीं से प्राप्त नहीं कर पाये। इसलिए इसी अंक में इस बात का ज़िक्र हमनें कर दिया। और अब सुनिए मीना कुमारी और ए. आर. ओझा की आवाज़ों में 'बिछड़े बलम' फ़िल्म का गीत। इस गीत को उपलब्ध करवाने में विशेष सहयोग दिया सेशाद्री बुक्कारायासमुद्रम नें। आइए सुनते हैं इस बेहद दुर्लभ गीत को।
क्या आप जानते हैं...
कि मीना कुमारी का असली नाम था महजबीन बानो और उनका जन्म १ अगस्त १९३२ को हुआ था अली बक्श और इक़बाल बेगम के घर।
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली 4/शृंखला 14
गीत का ये हिस्सा सुनें-
अतिरिक्त सूत्र - बेहद मशहूर गीत एक मशहूर अभिनेत्री का गाया.
सवाल १ - कौन है ये गायिका/नायिका - १ अंक
सवाल २ - गीतकार बताएं - २ अंक
सवाल ३ - कितनी बार इस नायिका को फिल्म फेयर पुरस्कार मिला है - ३ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
जो हमने कहना था वो अनजाना जी ने कह दिया अमित जी से....इतने मुश्किल गीत को १ मं में पहचान गए आप लोग ताज्जुब है वाकई बधाई
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
'ओल्ड इज़ गोल्ड' के श्रोता-पाठकों को हमारा नमस्कार! 'सितारों की सरगम' शृंखला में ट्रैजेडी किंग् दिलीप कुमार के बाद आज बारी है ट्रैजेडी क्वीन के आवाज़ की। जी हाँ, मीना कुमारी, जिन्हें हिंदी सिनेमा का ट्रैजेडी क्वीन कहा जाता है। मीना कुमारी जितनी सशक्त अदाकारा थीं उतनी ही अच्छी शायरा भी थीं। उनकी शायरी का संकलन 'I write, I recite' के शीर्षक से जारी हुआ था, जिसको संगीतबद्ध किया था ख़य्याम साहब नें। विनोद मेहता नें मीना कुमारी की जीवनी लिखी जो प्रकाशित हुई थी सन् १९७२ में। इस किताब में मीना जी की शायराना अंदाज़ उन्होंने कुछ इन शब्दों में व्यक्त किया था - "Her poetry is sad, joyless, pessimistic, morbid, but then what do you expect from a women of the temperament of Meena Kumari? Her verses were entirely in character with her life, or at least her comprehension of her life. My heroine was not an outstanding poet, nor a detached poet, nor a penetrating poet, nor a classical poet. She was a learning poet who translated her life into verse. The dominant strain in Meena Kumari's poetry is love, or rather the impossibility of finding love. And it would be true to say that my heroine looked, searched, wept and cried in its pursuit. In fact, she said, "love is my biggest weakness and greatest strength too. I am in love with love. I am craving for love. I have been craving for it since my childhood." We all know she was unsuccessful."
उपलब्ध जानकारी के अनुसार मीना कुमारी नें जिन गिनी-चुनी फ़िल्मों में अपना स्वर दिया, यानी गीत गाये, उनमें शामिल हैं 'पिया घर आजा', 'दुनिया एक सराय', 'बहन', 'अलादिन और जादूई चिराग़' और 'बिछड़े बलम'। १९४७ की फ़िल्म 'पिया घर आजा' में बुलो सी. रानी नें मीना जी पर फ़िल्माये सभी गीत उनसे गवा लिए, जैसे कि "अखियाँ तरस रही उन बिन", "देश पराये जानेवाले भूल न जाना प्रीत निभाना", "एक बार फिर कहो ज़रा आँखों का नूर हो", "मेरे सपनों की दुनिया बसाने वाले", "मिली आज पिया से अखियाँ", "न कोई दिलासा है न बाक़ी है बहाना", "नैन बसे हो राजा दिल में बसे हो" (करण दीवान के साथ), "नैन डोर बांध लियो चितचोर" (करण दीवान के साथ)। इन सभी गीतों को इंद्रचन्द्र कपूर नें लिखा। 'बहन' में अनिल बिस्वास नें मीना कुमारी से सरदार आह सीतापुरी का लिखा "तोरे कजरा लगाऊँ मोरी रानी" गवाया था, तो 'दुनिया के सराय' में हंसराज बहल नें उनसे कई गीत गवाये। एस. एन. त्रिपाठी का संगीत था 'अलादिन और जादूई चिराग़' में। लेकिन मीना कुमारी से सब से ज़्यादा गीत बुलो सी. रानी नें ही गवाये थे। 'पिया घर आजा' के सभी गीतों के अलावा 'बिछड़े बलम' में भी बुलो साहब नें उनसे गीत गवाये और इसी फ़िल्म का एक बहुत ही दुर्लभ गीत आज हम आपके लिए लेकर आये हैं। मीना कुमारी और ए. आर. ओझा की युगल आवाज़ों में यह है "बोल रे बोल रे मेरे प्यारे पपीहे बोल रे"। गीतकार इंद्र चंद्र, जो कुछ फ़िल्मों में आइ. सी. कपूर के नाम से भी जाने गये। इस गीत को सुनवाने से पहले एक और दुर्लभ जानकारी आपको देना चाहेंगे कि बुलो सी. रानी नें ही १९४८ की फ़िल्म 'अंजुमन' में अभिनेत्री नर्गिस से भी गीत गवाया था। नर्गिस और उमा देवी की युगल आवाज़ों में यह मुशायरा गीत था "हज़रात क्योंकि काफ़ी देर हो चुकी है"। हमनें काफ़ी कोशिशें की कि इस गीत को हम कहीं से ढूंढ कर नर्गिस जी पर भी एक अंक इस शृंखला में प्रस्तुत करें, लेकिन अफ़सोस कि फ़िल्म के ग्रामोफ़ोन रेकॊर्ड पर इसे नहीं उतारा गया था और इस फ़िल्म की प्रिण्ट भी कहीं से प्राप्त नहीं कर पाये। इसलिए इसी अंक में इस बात का ज़िक्र हमनें कर दिया। और अब सुनिए मीना कुमारी और ए. आर. ओझा की आवाज़ों में 'बिछड़े बलम' फ़िल्म का गीत। इस गीत को उपलब्ध करवाने में विशेष सहयोग दिया सेशाद्री बुक्कारायासमुद्रम नें। आइए सुनते हैं इस बेहद दुर्लभ गीत को।
क्या आप जानते हैं...
कि मीना कुमारी का असली नाम था महजबीन बानो और उनका जन्म १ अगस्त १९३२ को हुआ था अली बक्श और इक़बाल बेगम के घर।
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली 4/शृंखला 14
गीत का ये हिस्सा सुनें-
अतिरिक्त सूत्र - बेहद मशहूर गीत एक मशहूर अभिनेत्री का गाया.
सवाल १ - कौन है ये गायिका/नायिका - १ अंक
सवाल २ - गीतकार बताएं - २ अंक
सवाल ३ - कितनी बार इस नायिका को फिल्म फेयर पुरस्कार मिला है - ३ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
जो हमने कहना था वो अनजाना जी ने कह दिया अमित जी से....इतने मुश्किल गीत को १ मं में पहचान गए आप लोग ताज्जुब है वाकई बधाई
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को
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1 Supporting Actres
आज तो आप सबसे मिलने आई हूँ.