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रात के वक्त़ रूहें अपने बाल-बच्चों से मिलने आती हैं। ~ असगर वज़ाहत हर शनिवार को आवाज़ पर सुनें एक नयी कहानी ‘‘अरे सुनो भाई. . .अरे इधर आना लालाजी. . .बात तो सुनो पंडितजी।’’ (असग़र वजाहत की लघुकथा "राजा" से एक अंश) |
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#124th Story, Aag: Asghar Wajahta/Hindi Audio Book/2011/7. Voice: Anurag Sharma
3 टिप्पणियां:
सही है....अच्छा कटाक्ष है अनुराग जी
bahut khoob...pahli baar sunaa..kahani aur aavaaz dono kaa aanand aayaa..
धन्यवाद!
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