अक्सर शहरों में रह कर हम लोग लगभग भूल ही चुके हैं कि हमारे देश में छुआ छात, और जात पात जैसी समस्याएँ आज भी किस हद तक मुखरित है. इस सप्ताह आमिर खान द्वारा प्रस्तुत "सत्यमेव जयते" का एपिसोड कम से कम मेरे लिए एक सदमे जैसा था. लगता है जैसे इन जातिगत असमानताओं की जड़ें हमारी सोच में इस कदर पैठ बना चुकी है कि आधुनिक होने का दंभ भरने वाले पढ़े लिखे और सभ्य कहलाये जाने वाले लोग भी इन संकीर्णताओं से पूरी तरह उभर नहीं पायें हैं अब तक. फिल्म निर्देशक स्टालिन का ये वृत्त चित्र अवश्य ही हर भारतीय को देखनी चाहिए. रेडियो प्लेबैक के फीचर्ड विडियो विभाग लेकर आया है आज आपके लिए इसी वृत्त चित्र को. देखिये, सोचिये और कुछ कर गुजरिये.
सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली
सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे
Comments
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समझ नहीं आता कि फ़िल्म की प्रशंसा की जाए या शर्म से मुंह छुपाया जाए कि हम ऐसे समाज में रहते हैं ! एक तरफ देश महाशक्ति होने का दंभ भरता है ... दूसरी तरफ इस तरह की सामजिक कुरीतियाँ, भेदभाव, जातिगत संकीर्णताओं से लोग आज भी ग्रसित हैं !
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फिल्म निर्देशक स्टालिन की इस डाक्यूमेंट्री फिल्म को प्रचारित करने की आवश्यकता है !