अक्सर शहरों में रह कर हम लोग लगभग भूल ही चुके हैं कि हमारे देश में छुआ छात, और जात पात जैसी समस्याएँ आज भी किस हद तक मुखरित है. इस सप्ताह आमिर खान द्वारा प्रस्तुत "सत्यमेव जयते" का एपिसोड कम से कम मेरे लिए एक सदमे जैसा था. लगता है जैसे इन जातिगत असमानताओं की जड़ें हमारी सोच में इस कदर पैठ बना चुकी है कि आधुनिक होने का दंभ भरने वाले पढ़े लिखे और सभ्य कहलाये जाने वाले लोग भी इन संकीर्णताओं से पूरी तरह उभर नहीं पायें हैं अब तक. फिल्म निर्देशक स्टालिन का ये वृत्त चित्र अवश्य ही हर भारतीय को देखनी चाहिए. रेडियो प्लेबैक के फीचर्ड विडियो विभाग लेकर आया है आज आपके लिए इसी वृत्त चित्र को. देखिये, सोचिये और कुछ कर गुजरिये.
स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’ और बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन...
Comments
-
समझ नहीं आता कि फ़िल्म की प्रशंसा की जाए या शर्म से मुंह छुपाया जाए कि हम ऐसे समाज में रहते हैं ! एक तरफ देश महाशक्ति होने का दंभ भरता है ... दूसरी तरफ इस तरह की सामजिक कुरीतियाँ, भेदभाव, जातिगत संकीर्णताओं से लोग आज भी ग्रसित हैं !
-
फिल्म निर्देशक स्टालिन की इस डाक्यूमेंट्री फिल्म को प्रचारित करने की आवश्यकता है !