संगीत समीक्षा - बोल बच्चन
पुस्तक चर्चा - विचार नियम और स्वीकार का जादू
और अंत में आपकी बात- अमित तिवारी के साथ
जिस फिल्म से रोहित शेट्टी का नाम जुड जाता है तो दर्शकों को समझ में आ जाता है कि एक बहुत ही मनोरंजक फिल्म उन्हें देखने को मिलने वाली है.
उनकी फिल्मों का संगीत भी उसी मनोरजन का ही एक हिस्सा होता है, जाहिर है अल्बम से बहुत कर्णप्रिय या लंबे समय तक याद रखने लायक संगीत की अपेक्षा नहीं रखी जा सकती, फिर भी जहाँ नाम हो हिमेश रेशमिया का और अग्निपथ में शानदार संगीत रचने वाले अजय-अतुल का, तो उम्मीदों का जागना भी स्वाभाविक ही है. इस मामले में बोल बच्चन निराश भी नहीं करता.
अल्बम में कुल चार गीत है जिन्हें ४ मुक्तलिफ़ गीतकारों ने अंजाम दिया है. पहले गीत में ही एक बार फिर मनमोहन देसाई सरीखे अंदाज़ की पुनरावर्ती दिख जाती है, जब बिग बी यानी बच्चन साहब अपने चिर परिचित अमर अकबर एंथोनी स्टाइल में विज्ञान के फंडे समझाते हुए गीत शुरू करते हैं. गीतकार फरहाद साजिद ने शब्दों में अच्छा हास्य भरा है, पर फिर भी “माई नेम इज एंथोनी गोंसाल्विस” की बात कुछ और ही थी, ऐसे हमें लगता है. हिमेश आपको फिर एक बार पुराने दौर में ले जाते हैं, इस बार थोडा और पीछे, जहाँ सी रामचंद्र अपने सहज भोलेपन से दिल जीत लिया करते थे. “चलाओ न नैनों के बाण” सुनने में दिलकश लगता है. शब्द है शब्बीर अहमद के. अजय अतुल की एंट्री होती है धमाकेदार “नच ले नच ले” से, पंजाबी रिदम और डांडीये की ताल से समां बंध जाता है, सुखविंदर और श्रेया की आवाजों में गजब की ऊर्जा है और स्वानंद किरकिरे के शब्द भी बढ़िया है. कुल मिलकर अजय अतुल का ये गीत हिमेश के पहले दो गीतों पर भारी पड़ता है. अंतिम गीत एक रोमांटिक नंबर है मोहित चौहान की रूहानी आवाज़ में. पर गीत “जब से देखी है” कुछ खास प्रभावी नहीं बन पाया है.
संक्षेप में बोल बच्चन का संगीत फिल्म के अनुरूप सिचुएशनल है. रेडियो प्लेबैक इसे २.८ के रेटिंग दे रहा हैं ५ में से.
उनकी फिल्मों का संगीत भी उसी मनोरजन का ही एक हिस्सा होता है, जाहिर है अल्बम से बहुत कर्णप्रिय या लंबे समय तक याद रखने लायक संगीत की अपेक्षा नहीं रखी जा सकती, फिर भी जहाँ नाम हो हिमेश रेशमिया का और अग्निपथ में शानदार संगीत रचने वाले अजय-अतुल का, तो उम्मीदों का जागना भी स्वाभाविक ही है. इस मामले में बोल बच्चन निराश भी नहीं करता.
अल्बम में कुल चार गीत है जिन्हें ४ मुक्तलिफ़ गीतकारों ने अंजाम दिया है. पहले गीत में ही एक बार फिर मनमोहन देसाई सरीखे अंदाज़ की पुनरावर्ती दिख जाती है, जब बिग बी यानी बच्चन साहब अपने चिर परिचित अमर अकबर एंथोनी स्टाइल में विज्ञान के फंडे समझाते हुए गीत शुरू करते हैं. गीतकार फरहाद साजिद ने शब्दों में अच्छा हास्य भरा है, पर फिर भी “माई नेम इज एंथोनी गोंसाल्विस” की बात कुछ और ही थी, ऐसे हमें लगता है. हिमेश आपको फिर एक बार पुराने दौर में ले जाते हैं, इस बार थोडा और पीछे, जहाँ सी रामचंद्र अपने सहज भोलेपन से दिल जीत लिया करते थे. “चलाओ न नैनों के बाण” सुनने में दिलकश लगता है. शब्द है शब्बीर अहमद के. अजय अतुल की एंट्री होती है धमाकेदार “नच ले नच ले” से, पंजाबी रिदम और डांडीये की ताल से समां बंध जाता है, सुखविंदर और श्रेया की आवाजों में गजब की ऊर्जा है और स्वानंद किरकिरे के शब्द भी बढ़िया है. कुल मिलकर अजय अतुल का ये गीत हिमेश के पहले दो गीतों पर भारी पड़ता है. अंतिम गीत एक रोमांटिक नंबर है मोहित चौहान की रूहानी आवाज़ में. पर गीत “जब से देखी है” कुछ खास प्रभावी नहीं बन पाया है.
संक्षेप में बोल बच्चन का संगीत फिल्म के अनुरूप सिचुएशनल है. रेडियो प्लेबैक इसे २.८ के रेटिंग दे रहा हैं ५ में से.
पुस्तक चर्चा - विचार नियम और स्वीकार का जादू
सेल्फ हेल्प यानी, खुद के विकास के लिए पुस्तकें लगातार लिखी जा रहीं है, अधिकतर इनमें अंग्रेजी से हिंदी में रूपांतरित पुस्तकें होती है, जो बेस्ट सेलर कहलाती है. पर मूल रूप से हिंदी में लिखी दो पुस्तकें इन दिनों खासी चर्चा में है, जिसकी लगभग ७०००० से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी हैं अब तक. रचनाकार सरश्री तेजपर्खी की लिखी ये दो पुस्तकें हैं, विचार नियम और स्वीकार का जादू जिसके साथ दो सी डी का एक सेट भी मुफ्त है, और इस पूरे सेट की कीमत है मात्र १५० रूपए. तेजज्ञान ग्लोबल फौन्डेशन से प्रकाशित इस सेट में जीवन के सत्यों को स्वीकार कर खुशी पाने और अपने विचारों कर नियंत्रण रख जीवन को सफल बनाने के मन्त्र सहज भाषा में उपलब्ध है. भाषा और कंटेंट के लिहाज से इसे इस श्रेणी की एक महान कृति तो नहीं कहा जा सकता, पर मूल रूप से हिंदी में प्रकाशित सेल्फ हेल्प पुस्तकों में इसे अग्रणी माना जा सकता है. ऐसे पुस्तकें जीवन के किसी मुश्किल दौर में आपके बहुत काम आ सकती है. कीमत के लिहाज से भी इसे अपने संग्रह में रखना कोई नुक्सान वाला सौदा नहीं है.
और अंत में आपकी बात- अमित तिवारी के साथ
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