सावन का महीना और मुकेश का अवतरण


फिल्म ‘मन मन्दिर’ : "ऐ मेरे आँखों के पहले सपने..." : सहगायिका लता मंगेशकर
आज पूरे भारतवर्ष में मुकेश को "दर्द भरे गीतों का जादूगर" कहा जाता है मगर राग आधारित गीतों से भी उनका लगाव रहा है। जब किसी एक साक्षात्कार में मुकेश जी से पूछा गया कि- "आप ने यूं तो सैकड़ों गाने गाये हैं मगर आप को किस तरह के गीत सबसे ज्यादा पसंद हैं?" इस पर उनका जवाब था- "अगर मुझे दस लाइट सॉंग (हलके फुल्के गाने) मिले और एक सैड (दर्द भरा गीत) मिले तो मैं दस लाइट छोड़कर एक सैड पसंद करूँगा और अगर मुझे दस सैड गाने मिले और एक क्लासिकल (शास्त्रीय), तो मैं दस सैड छोड़ कर एक क्लासिकल पसंद करूँगा!" तो आइये उन्ही का गाया एक राग आधारित गीत सुनवाते हैं। १९४८ में नौशाद के संगीत निर्देशन की एक फिल्म थी ‘अनोखी अदा’। इस फिल्म में मुकेश ने राग दरबारी कान्हड़ा पर आधारित एक बेहद सुरीला गाना गाया था- ‘कभी दिल दिल से टकराता तो होगा...’। इस राग पर आधारित जो भी स्तरीय गीत अब तक बने हैं, उनमें यह गीत भी शामिल है। फिल्म में मुकेश के गाये इस गीत का एक दूसरा संस्करण भी है, जिसे शमशाद बेगम ने गाया है। कहने की जरूरत नहीं है कि गीत के दोनों संस्करण में दरबारी के सुर स्पष्ट उभर कर आते हैं।
फिल्म ‘अनोखी अदा’ : ‘कभी दिल दिल से टकराता तो होगा...’ : राग दरबारी कान्हड़ा पर आधारित
यह भी एक विचित्र संयोग है कि मुकेश ने राग तिलक कामोद पर आधारित लगभग ७-८ गाने गाये हैं और ये सभी गाने बहुत लोकप्रिय हुए है। अब आइये आपको सुनवाते हैं, राग तिलक कामोद पर आधारित उनके प्रारंभिक दौर का एक सुमधुर गीत, जो उनके जीवन का पहला हिट गीत- "दिल जलता है तो जलने दे" (पहली नज़र) के आने से कुछ महीने पहले का है। फ़िल्म 'मूर्ति' का यह गीत राग तिलक कामोद पर आधारित है और इस गीत में उनकी सह-गायिकाएँ है- खुर्शीद और हमीदा बानो। संगीत बुलो सी रानी का है।
फिल्म ‘मूर्ति’ : "बदरिया बरस गई उस पार..." : राग तिलक कामोद पर आधारित

फिल्म ‘मिलन’ : "सावन का महीना पवन करे सोर..." राग पहाड़ी पर आधारित
दोस्तों, मुकेश जी को जहाँ हम दर्द भरे गीतों का गायक मानते हैं, वहीँ संगीतकार कल्याणजी-आनंदजी उन्हें "अपने गीतों का सही गवैया" मानते हैं। जब फिल्म सरस्वती चन्द्र का गीत "चन्दन सा बदन चंचल चितवन..." मुकेश की आवाज़ में रिकॉर्ड होना तय हुआ तो किसी शास्त्रीय गायक ने कल्याणजी से कहा- "हम जैसे सुरों के साधक बसों में धक्के खाते फिरते है और मुकेश एक फिल्मी पार्श्वगायक होकर मर्सिडीज़ में कैसे चलते हैं? उस वक्त तो कल्याणजी चुप रहे, मगर गाना रिकॉर्ड होने के बाद जब उन्हें सुनाया तो बोले "अब समझ में आया मुकेश मर्सिडीज़ में क्यों चलते हैं”? मुकेश बिना किसी ट्रेनिंग (प्रशिक्षण) के राग आधारित गीत खूब गा लेते थे। दरअसल ये मुकेश जी का शास्त्रीय संगीत के प्रति लगाव ही था जो ऐसे गीत उनके होंठ लगते ही सुसज्जित हो उठते हैं। गायन की जो कुछ भी शिक्षा उन्होंने पायी, वो शुरुआती दिनों (१९४०-१९४५) में पंडित जगन्नाथ जी से मिली। अब आपको जो गीत सुनाया जा रहा है, वह राग कल्याण पर आधारित है।
फिल्म ‘सरस्वती चन्द्र’ : "चन्दन सा बदन चंचल चितवन..." : राग कल्याण पर आधारित
संगीतकार रोशन और गायक मुकेश न केवल फ़िल्मी दुनिया में एक दूसरे के व्यावसायिक तौर पर मित्र थे अपितु दोनों बचपन में एक ही विद्यालय के सहपाठी भी थे। जब भी कभी कोई विद्यालय में संगीत, नाटक इत्यादि कार्यक्रम का आयोजन होता, दोनों लोग ज़रूर शरीक होते। जहाँ मुकेश गीत गाते वहीँ रोशन संगीत की बागडोर सँभालते, उनका बखूबी साथ निभाते थे। तो आइये क्यूँ न एक बहुत ही लोकप्रिय गीत सुना जाये जो इन दो कलाकारों द्वारा सृजित किया गया है। इस गीत के बनने का किस्सा बड़ा ही दिलचस्प है। इन्दीवर के लिखे इस गीत के लिए रोशन ने कुछ धुन तैयार की थी मगर उन्हें कुछ पसंद नहीं आ रहा था। यूँ लगता था मानो कुछ कमी है, कुछ नया होना चाहिए जो उस समय के माझी, नाव, नदी आदि गीतों की धुनों से अलग हो। करीब पूरा महीना बीत गया मगर कुछ बात नहीं बनी। ऐसे में अचानक एक दिन रोशन, मुकेश और इन्दीवर के साथ अपना हारमोनियम लेकर कार से सैर पर निकले। एक जगह तालाब दिखा तो बैठ कर कुछ क्षण बिताने का मन हुआ। रोशन ने जैसे ही अपना पांव तालाब के शीतल जल में डाला, अचानक दोनों साथियों से बोल पड़े- "धुन बन रही है", जल्दी से कार से हारमोनियम लाये और वहीँ बैठे तीनों ने मिल कर गीत के संगीत की रचना कर डाली। अगले ही दिन स्टूडियो में जाकर यह गीत रिकॉर्ड हो गया। यह गीत लोक-धुन की सोंधी खुशबू से सराबोर है।
फिल्म ‘अनोखी रात’ : “ओह रे ताल मिले नदी के जल में..." : लोक संगीत पर आधारित
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फिल्म ‘तीसरी कसम’ : “दुनिया बनाने वाले..." : राग भैरवी पर आधारित
शोध व आलेख- पंकज मुकेश
इसी गीत के साथ हम सब गायक मुकेश को अपनी भावांजलि अर्पित करते है। अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए radioplaybackindia@live.com पर मेल भेजें।
5 टिप्पणियां:
waah kya geet hai, pankaj ji swagat aapka
bahut bahut shukriya sajeev ji!!aur sath mein main apna abhaar radioplaybackindia ke sthai sadasyon ke liye prakat karna chahunga jo mere vichaar ko mahatw dete huwey, aaj isko ye roop diya. Mukhya roop se main abhaari hoon aapke margadarshan ka ki is aalekh ko aaj ke din post kiya jaye jo apne mein special hai. aur sath mein Krishna mohan ji aur Sujoy ji ka, jinke kar kamalon dwaara is aalekh mein aur nikhaar aayaa!!Bahut Bahut dhanyawaad!!
http://legendarysingermukesh.blogspot.in/
अमर गायक मुकेश जी के जन्म-दिवस पर यह पोस्ट बेहतरीन बन गई है !
गानों का चयन और उनसे जुडी बातें जानकर बहुत ही अच्छा लगा !
पंकज मुकेश जी को बहुत बहुत बधाई और आभार !
सुन्दर पोस्ट. मुकेश के गायन ने न जाने कितने जीवन छुए हैं। कितने बच्चे उनके गीत गुनगुनाते ही बड़े हुए हैं।
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