बात एक एल्बम की # ०१
फीचर्ड आर्टिस्ट ऑफ़ दा मंथ - भूपेन हजारिका.
फीचर्ड एल्बम ऑफ़ दा मंथ - मैं और मेरा साया, - भूपेन हजारिका (गीत अनुवादन - गुलज़ार)
दोस्तों आज बात एक ऐसी शख्सियत की हो रही है जिनके बारे में कुछ कहने में ढेरों मुश्किलों से साक्षत्कार होना पड़ता है. इस एक शख्स में कई शख्सियत समायी हुई है ।बुद्धिजीवी संगीतकार, उत्कृष्ट गायक, सवेदनशील कवि, अभिनेता, लेखक, निर्देशक, समाज सेवक और न जाने कितने रूप. दोस्तों मै दादा साहेब फाल्के सम्मान से सम्मानित डॉक्टर भूपेन हजारिका के बारे में बात कर रहा हूँ .जब भी हिन्दी सिने जगत में लोकसंगीत की बात आएगी तो भूपेन दा के का नाम शीर्ष पर रहेगा. उन्होंने अपने संगीत के जरिये आसाम की मिट्टी की सोंधी खुश्बू कायनात में घोल दी है.
बचपन में पिता शंकर देव का उपदेश ज्यादातर गेय रूप में प्राप्त होता था. उन्ही दिनों उनके मन में संगीत ने अपना घर बना लिया और वे ज्योति प्रसाद अग्रवाल, विष्णु प्रसाद शर्मा और फणी शर्मा जैसे संगीतविदों के संपर्क में आकर लोकगीत की तालीम लेने लगे।
भूपेन दा के आवाज़ में वह बंजारापन है जो उस्तादों से लेकर आम जन -जन को अपने गिरफ्त में ले लेता हैं और अपनी आवाज़ को सबकी आवाज़ बना देता हैं। भूपेन दा की रचनाओं की वेदना की गहराई का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है जब वे एक दफ़ा नागा रिबेल्स से बात करने गए तो आपनी एक रचना 'मानुहे मनोहर बाबे' को वहां के एक नागा युवक को उन्हीं कि अपनी भाषा में अनुवाद करने को कहा और जब उन लोगों ने इस गीत को सुना तो सभी के आंखों में आँसू आ गए। भूपेन दा के इस गीत के बंगला अनुवाद 'मानुष मनुषेरे जन्में', को बी.बी.सी.की तरफ़ से 'सॉंग ऑफ द मिलेनियम,के खिताब से नवाजा गया. इस गीत के जरिये भूपेन दा का कवि रूप का चिंतन हमारे सामने आता है.
हमारे फीचर्ड आर्टिस्ट भूपेन दा पर होंगी और बातें अगले मंगलवार, फिलहाल सुनते हैं इस महीने की फीचर्ड एल्बम, "मैं और मेरा साया" से भूपेन हजारिका की आवाज़. भूपेन दा के मूल गीत का हिंदी अनुवाद किया है गुलज़ार साहब ने.
साप्ताहिक आलेख - उज्जवल कुमार
"बात एक एल्बम की" एक साप्ताहिक श्रृंखला है जहाँ हम पूरे महीने बात करेंगे किसी एक ख़ास एल्बम की, एक एक कर सुनेंगे उस एल्बम के सभी गीत और जिक्र करेंगे उस एल्बम से जुड़े फनकार/फनकारों की. इस स्तम्भ को आप तक ला रहे हैं युवा स्तंभकार उज्जवल कुमार. यदि आप भी किसी ख़ास एल्बम या कलाकार को यहाँ देखना सुनना चाहते हैं तो हमें लिखिए.
फीचर्ड आर्टिस्ट ऑफ़ दा मंथ - भूपेन हजारिका.
फीचर्ड एल्बम ऑफ़ दा मंथ - मैं और मेरा साया, - भूपेन हजारिका (गीत अनुवादन - गुलज़ार)
दोस्तों आज बात एक ऐसी शख्सियत की हो रही है जिनके बारे में कुछ कहने में ढेरों मुश्किलों से साक्षत्कार होना पड़ता है. इस एक शख्स में कई शख्सियत समायी हुई है ।बुद्धिजीवी संगीतकार, उत्कृष्ट गायक, सवेदनशील कवि, अभिनेता, लेखक, निर्देशक, समाज सेवक और न जाने कितने रूप. दोस्तों मै दादा साहेब फाल्के सम्मान से सम्मानित डॉक्टर भूपेन हजारिका के बारे में बात कर रहा हूँ .जब भी हिन्दी सिने जगत में लोकसंगीत की बात आएगी तो भूपेन दा के का नाम शीर्ष पर रहेगा. उन्होंने अपने संगीत के जरिये आसाम की मिट्टी की सोंधी खुश्बू कायनात में घोल दी है.
बचपन में पिता शंकर देव का उपदेश ज्यादातर गेय रूप में प्राप्त होता था. उन्ही दिनों उनके मन में संगीत ने अपना घर बना लिया और वे ज्योति प्रसाद अग्रवाल, विष्णु प्रसाद शर्मा और फणी शर्मा जैसे संगीतविदों के संपर्क में आकर लोकगीत की तालीम लेने लगे।
भूपेन दा के आवाज़ में वह बंजारापन है जो उस्तादों से लेकर आम जन -जन को अपने गिरफ्त में ले लेता हैं और अपनी आवाज़ को सबकी आवाज़ बना देता हैं। भूपेन दा की रचनाओं की वेदना की गहराई का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है जब वे एक दफ़ा नागा रिबेल्स से बात करने गए तो आपनी एक रचना 'मानुहे मनोहर बाबे' को वहां के एक नागा युवक को उन्हीं कि अपनी भाषा में अनुवाद करने को कहा और जब उन लोगों ने इस गीत को सुना तो सभी के आंखों में आँसू आ गए। भूपेन दा के इस गीत के बंगला अनुवाद 'मानुष मनुषेरे जन्में', को बी.बी.सी.की तरफ़ से 'सॉंग ऑफ द मिलेनियम,के खिताब से नवाजा गया. इस गीत के जरिये भूपेन दा का कवि रूप का चिंतन हमारे सामने आता है.
हमारे फीचर्ड आर्टिस्ट भूपेन दा पर होंगी और बातें अगले मंगलवार, फिलहाल सुनते हैं इस महीने की फीचर्ड एल्बम, "मैं और मेरा साया" से भूपेन हजारिका की आवाज़. भूपेन दा के मूल गीत का हिंदी अनुवाद किया है गुलज़ार साहब ने.
साप्ताहिक आलेख - उज्जवल कुमार
"बात एक एल्बम की" एक साप्ताहिक श्रृंखला है जहाँ हम पूरे महीने बात करेंगे किसी एक ख़ास एल्बम की, एक एक कर सुनेंगे उस एल्बम के सभी गीत और जिक्र करेंगे उस एल्बम से जुड़े फनकार/फनकारों की. इस स्तम्भ को आप तक ला रहे हैं युवा स्तंभकार उज्जवल कुमार. यदि आप भी किसी ख़ास एल्बम या कलाकार को यहाँ देखना सुनना चाहते हैं तो हमें लिखिए.
Comments
आगे इस तरह के और भी गीत सुनवाते रहियेगा, please.
भूपेन दा हैं छोड़ते, अद्भुत 'सलिल' प्रभाव.