ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 64
पुराने ज़माने की फ़िल्मों में नायक-नायिका की जोड़ी के अलावा एक जोड़ी और भी साथ साथ फ़िल्म में चलती थी, और यह जोड़ी हुआ करती थी दो हास्य-कलाकारों की। जॉनी वाकर एक बेहद मशहूर हास्य अभिनेता हुआ करते थे उन दिनो और हर फ़िल्म में निभाया हुआ उनका चरित्र यादगार बन कर रह जाता था। उन पर बहुत सारे गाने भी फ़िल्माये गये हैं जिनमें से ज़्यादातर रफ़ी साहब ने गाये हैं। जॉनी वाकर के बेटे नासिर ख़ान ने एक बार कहा भी था कि उनके पिता के हाव भाव की नक़ल गायिकी में रफ़ी साहब के सिवाय और दूसरा कोई नहीं कर पाता था। कुछ उदहारण देखिये रफ़ी साहब और जॉनी भाई की जोड़ी के गानों की "सर जो तेरा चकराये या दिल डूबा जाये", "ऐ दिल है मुश्किल जीना यहाँ", "ऑल लाइन किलियर", "जंगल में मोर नाचा किसी ने ना देखा", "ये दुनिया गोल है", और "मेरा यार बना है दुल्हा" इत्यादि। ऐसी ही एक और फ़िल्म आयी थी 'मिस्टर ऐंड मिसेस ५५' जिसमें जॉनी वाकर और कुमकुम पर एक बहुत ही मशहूर युगल-गीत फ़िल्माया गया था और जिसमें रफ़ी साहब के साथ गीत दत्त ने आवाज़ मिलाई थीं। कुछ मज़ेदार सवालों और उनके शरारती जवाबों को मिलाकर मजरूह सुल्तानपुरी ने इस गीत को बड़े ही मज़ेदार अंदाज़ में लिखा था। और ओ. पी. नय्यर साहब ने भी वैसा ही संगीत दिया जैसा कि इस गीत की ज़रूरत थी। आज 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में पेश है "जाने कहाँ मेरा जिगर गया जी, अभी अभी यहीं था किधर गया जी"। फ़िल्म संगीत के इतिहास में यह गीत 'रोमांटिक कॉमेडी' की एक अद्भुत मिसाल है।
जैसा कि फ़िल्म के शीर्षक से ही पता चलता है 'मिस्टर ऐंड मिसेस ५५' सन् १९५५ की फ़िल्म थी जो बेहद कामयाब रही। १९५४ में फ़िल्म 'आर-पार' की अपार कामयाबी के बाद अगले ही साल गुरु दत्त ने अपने ही बैनर तले 'मिस्टर ऐंड मिसेस ५५' बनाई और ख़ुद नायक बने और मधुबाला बनीं नायिका। इस हास्य फ़िल्म के ज़रिए गुरु दत्त देश में चल रही सामाजिक और राजनैतिक अवस्था को परदे पर लाना चाहते थे और कुछ हद तक कामयाब भी रहे। गीत-संगीत के लिए भी वही टीम बरक़रार रही जो 'आर-पार' में थी, यानी कि नय्यर और मजरूह साहब, और गायकों की सूची में शमशाद बेग़म, गीता दत्त और महम्मद. रफ़ी। प्रस्तुत गीत ओ. पी नय्यर के संगीत में गुरु दत्त साहब का सब से पसंदीदा गीत रहा है, यह बात ख़ुद नय्यर साहब ने एक बार विविध भारती के 'दास्तान-ए-नय्यर' शृंखला में कही थी। उन्होने उसी कार्यक्रम में यह भी कहा था कि गुरु दत्त साहब ने एक बार कहा था कि "O.P. Nayyar translates lyrics into music". यह एक संगीतकार के लिए बहुत बड़ी तारीफ़ थी। तो लीजिए गुरु दत्त, नय्यर और मजरूह साहब, रफ़ी साहब और गीता दत्त, तथा जॉनी वाकर और कुमकुम को याद करते हुए आज का यह गुदगुदानेवाला गीत सुनते हैं।
और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं -
१. ओपी नय्यर, शम्मी कपूर और मोहम्मद रफी की तिकडी.
२. मजरूह साहब के दिलकश बोल.
३. मुखड़े में शब्द है - "मस्त मस्त"
कुछ याद आया...?
पिछली पहेली का परिणाम -
मनु जी, सुमित जी और सलिल जी, एकदम सही जवाब.....बधाई
खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम ६-७ के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.
पुराने ज़माने की फ़िल्मों में नायक-नायिका की जोड़ी के अलावा एक जोड़ी और भी साथ साथ फ़िल्म में चलती थी, और यह जोड़ी हुआ करती थी दो हास्य-कलाकारों की। जॉनी वाकर एक बेहद मशहूर हास्य अभिनेता हुआ करते थे उन दिनो और हर फ़िल्म में निभाया हुआ उनका चरित्र यादगार बन कर रह जाता था। उन पर बहुत सारे गाने भी फ़िल्माये गये हैं जिनमें से ज़्यादातर रफ़ी साहब ने गाये हैं। जॉनी वाकर के बेटे नासिर ख़ान ने एक बार कहा भी था कि उनके पिता के हाव भाव की नक़ल गायिकी में रफ़ी साहब के सिवाय और दूसरा कोई नहीं कर पाता था। कुछ उदहारण देखिये रफ़ी साहब और जॉनी भाई की जोड़ी के गानों की "सर जो तेरा चकराये या दिल डूबा जाये", "ऐ दिल है मुश्किल जीना यहाँ", "ऑल लाइन किलियर", "जंगल में मोर नाचा किसी ने ना देखा", "ये दुनिया गोल है", और "मेरा यार बना है दुल्हा" इत्यादि। ऐसी ही एक और फ़िल्म आयी थी 'मिस्टर ऐंड मिसेस ५५' जिसमें जॉनी वाकर और कुमकुम पर एक बहुत ही मशहूर युगल-गीत फ़िल्माया गया था और जिसमें रफ़ी साहब के साथ गीत दत्त ने आवाज़ मिलाई थीं। कुछ मज़ेदार सवालों और उनके शरारती जवाबों को मिलाकर मजरूह सुल्तानपुरी ने इस गीत को बड़े ही मज़ेदार अंदाज़ में लिखा था। और ओ. पी. नय्यर साहब ने भी वैसा ही संगीत दिया जैसा कि इस गीत की ज़रूरत थी। आज 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में पेश है "जाने कहाँ मेरा जिगर गया जी, अभी अभी यहीं था किधर गया जी"। फ़िल्म संगीत के इतिहास में यह गीत 'रोमांटिक कॉमेडी' की एक अद्भुत मिसाल है।
जैसा कि फ़िल्म के शीर्षक से ही पता चलता है 'मिस्टर ऐंड मिसेस ५५' सन् १९५५ की फ़िल्म थी जो बेहद कामयाब रही। १९५४ में फ़िल्म 'आर-पार' की अपार कामयाबी के बाद अगले ही साल गुरु दत्त ने अपने ही बैनर तले 'मिस्टर ऐंड मिसेस ५५' बनाई और ख़ुद नायक बने और मधुबाला बनीं नायिका। इस हास्य फ़िल्म के ज़रिए गुरु दत्त देश में चल रही सामाजिक और राजनैतिक अवस्था को परदे पर लाना चाहते थे और कुछ हद तक कामयाब भी रहे। गीत-संगीत के लिए भी वही टीम बरक़रार रही जो 'आर-पार' में थी, यानी कि नय्यर और मजरूह साहब, और गायकों की सूची में शमशाद बेग़म, गीता दत्त और महम्मद. रफ़ी। प्रस्तुत गीत ओ. पी नय्यर के संगीत में गुरु दत्त साहब का सब से पसंदीदा गीत रहा है, यह बात ख़ुद नय्यर साहब ने एक बार विविध भारती के 'दास्तान-ए-नय्यर' शृंखला में कही थी। उन्होने उसी कार्यक्रम में यह भी कहा था कि गुरु दत्त साहब ने एक बार कहा था कि "O.P. Nayyar translates lyrics into music". यह एक संगीतकार के लिए बहुत बड़ी तारीफ़ थी। तो लीजिए गुरु दत्त, नय्यर और मजरूह साहब, रफ़ी साहब और गीता दत्त, तथा जॉनी वाकर और कुमकुम को याद करते हुए आज का यह गुदगुदानेवाला गीत सुनते हैं।
और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं -
१. ओपी नय्यर, शम्मी कपूर और मोहम्मद रफी की तिकडी.
२. मजरूह साहब के दिलकश बोल.
३. मुखड़े में शब्द है - "मस्त मस्त"
कुछ याद आया...?
पिछली पहेली का परिणाम -
मनु जी, सुमित जी और सलिल जी, एकदम सही जवाब.....बधाई
खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम ६-७ के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.
Comments
पूरा गाना एक छोटे से कार्यालय में चित्रीत किया गया है और गाने के आखरी में जब बाकी कर्मचारी आकर जोनी को देखते हैं तब उनके चेहरे की अदा देखने काबील है. यह युगल गीत (और दूसरा गीत "ठंडी हवा काली घटा") इस फिल्म का सबसे लोकप्रीय गीत है.
वैसे फिल्म याद नहीं आ रही,,,,
Jawaniyaan ye mast mast bin piye
Jalati chal rahi hai raah me diye
na jane inme kiske vaaste hoon main
na jane inme kaun hai mere liye
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
इस बार गलत जवाब दे दिया, अगली बार कोशिश करेंगें, सही जवाब देने की
सुमित भारद्वाज
Javaaniyan ye mast mast bin piye//Op/Rafi
Tumsa nahi dekha