ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 65
फ़िल्म जगत और ख़ास कर फ़िल्म संगीत जगत के लिए १९५५ का साल बहुत महत्वपूर्ण साल रहा है क्योंकि इसी साल एक ऐसी तिकड़ी बनी थी तीन कलाकारों की जिन्होने मिल कर फ़िल्म संगीत को एक नयापन दिया, और फ़िल्मी गीतों को एक नये लिबास, एक नये अंदाज़ में पेश किया। ये तिकड़ी थी अभिनेता शम्मी कपूर, संगीतकार ओ. पी. नय्यर और गायक मोहम्मद. रफ़ी की। ये तीनों पहले से ही फ़िल्म जगत में सक्रीय थे लेकिन अब तक तीनों कभी एक साथ में नहीं आए थे। १९५५ की वह पहली फ़िल्म थी 'मिस कोका कोला' जिसमें शम्मी कपूर के साथ नायिका बनी थीं गीता बाली। और आपको यह भी बता दें कि इसी साल शम्मी कपूर और गीता बाली की शादी भी हुई थी। 'मिस कोका कोला' 'हिट' तो हुई लेकिन बहुत ज़्यादा भी नहीं। जिस फ़िल्म से इस तिकड़ी ने फ़िल्म जगत में हंगामा मचा दिया वह फ़िल्म थी १९५७ की 'तुमसा नहीं देखा'. फ़िल्मिस्तान के बैनर तले बनी इस फ़िल्म का निर्देशन किया था नासिर हुसैन ने और शम्मी कपूर की नायिका इस फ़िल्म में बनीं अमीता। इसी फ़िल्म से शम्मी कपूर की उन जानी-पहचानी ख़ास अदाओं, और उन अनोखे 'मैनरिज़म्स' की शुरुआत भी हुई थी। फ़िल्म 'ब्लाक्बस्टर' साबित हुई और इस कामयाबी के बाद इस तिकड़ी ने कई ऐसे लाजवाब 'म्युज़िकल' फ़िल्में हमें दीं। 'तुमसा नहीं देखा' के सभी गाने ख़ूब चले और उस ज़माने में हर गली, हर चौराहे पर गूंजे, और आज भी अकसर रेडियो पर सुनाई दे जाते हैं। ये वो दौर था दोस्तों जब ओ. पी. नय्यर सबसे महँगे संगीतकार बन चुके थे।
'तुमसा नहीं देखा' फ़िल्म का जो गीत आज हमने 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के लिए चुना है वो रफ़ी साहब की एकल आवाज़ में है। यह गीत एक नौजवान दिल के जज़्बात बयाँ करता है। बचपन बीतने के बाद जवानी के आते ही दिल किस तरह से मचल उठता है किसी साथी की तलाश में, उसी का लेखा-जोखा है यह गीत। मजरूह सुल्तानपुरी ने इस गीत में जवानी के इसी मोड़ को अपने हसीन शब्दों में पिरोया है। गाने में एक अजीब नशीलापन है जो रफ़ी साहब की आवाज़ में ढलकर और भी मादक बन पड़ा है। जहाँ तक इस गीत के 'और्केस्ट्रेशन' की बात है, तो नय्यर साहब ने पूरे गाने में 'क्लेरिनेट', 'मेंडोलिन' और 'स्टिंग्स' का सुन्दर प्रयोग किया है। तो सुनिये "जवानियाँ ये मस्त मस्त बिन पीये", लेकिन ज़रा संभल के, कहीं लड़खड़ाकर गिर ना जाना!
और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं -
१. संगीतकार विनोद का सबसे हिट गीत.
२. लता की आवाज़ में एक नटखट नग्मा.
३. मुखड़े में शब्द है - "झूठे"
कुछ याद आया...?
पिछली पहेली का परिणाम -
नए विजेता हैं आज, अनिल जी सही गीत पहचानने के लिए बधाई, अटलांटा से आये हर्षद जी और मनु जी ने भी सही जवाब दिया, फिल्म का नाम तो अब तक पता चल ही गया होगा. भरत पंड्या जी, सलिल जी और सुमित ने भी दूसरी कोशिश में सही जवाब दिया है. पराग जी, त्रुटि सुधार के लिए धन्यवाद. आपकी पसंद का "ठंडी हवा काली घटा" गीत भी ओल्ड इस गोल्ड पर आ चुका है, उसे भी सुनियेगा....
खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम ६-७ के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.
फ़िल्म जगत और ख़ास कर फ़िल्म संगीत जगत के लिए १९५५ का साल बहुत महत्वपूर्ण साल रहा है क्योंकि इसी साल एक ऐसी तिकड़ी बनी थी तीन कलाकारों की जिन्होने मिल कर फ़िल्म संगीत को एक नयापन दिया, और फ़िल्मी गीतों को एक नये लिबास, एक नये अंदाज़ में पेश किया। ये तिकड़ी थी अभिनेता शम्मी कपूर, संगीतकार ओ. पी. नय्यर और गायक मोहम्मद. रफ़ी की। ये तीनों पहले से ही फ़िल्म जगत में सक्रीय थे लेकिन अब तक तीनों कभी एक साथ में नहीं आए थे। १९५५ की वह पहली फ़िल्म थी 'मिस कोका कोला' जिसमें शम्मी कपूर के साथ नायिका बनी थीं गीता बाली। और आपको यह भी बता दें कि इसी साल शम्मी कपूर और गीता बाली की शादी भी हुई थी। 'मिस कोका कोला' 'हिट' तो हुई लेकिन बहुत ज़्यादा भी नहीं। जिस फ़िल्म से इस तिकड़ी ने फ़िल्म जगत में हंगामा मचा दिया वह फ़िल्म थी १९५७ की 'तुमसा नहीं देखा'. फ़िल्मिस्तान के बैनर तले बनी इस फ़िल्म का निर्देशन किया था नासिर हुसैन ने और शम्मी कपूर की नायिका इस फ़िल्म में बनीं अमीता। इसी फ़िल्म से शम्मी कपूर की उन जानी-पहचानी ख़ास अदाओं, और उन अनोखे 'मैनरिज़म्स' की शुरुआत भी हुई थी। फ़िल्म 'ब्लाक्बस्टर' साबित हुई और इस कामयाबी के बाद इस तिकड़ी ने कई ऐसे लाजवाब 'म्युज़िकल' फ़िल्में हमें दीं। 'तुमसा नहीं देखा' के सभी गाने ख़ूब चले और उस ज़माने में हर गली, हर चौराहे पर गूंजे, और आज भी अकसर रेडियो पर सुनाई दे जाते हैं। ये वो दौर था दोस्तों जब ओ. पी. नय्यर सबसे महँगे संगीतकार बन चुके थे।
'तुमसा नहीं देखा' फ़िल्म का जो गीत आज हमने 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के लिए चुना है वो रफ़ी साहब की एकल आवाज़ में है। यह गीत एक नौजवान दिल के जज़्बात बयाँ करता है। बचपन बीतने के बाद जवानी के आते ही दिल किस तरह से मचल उठता है किसी साथी की तलाश में, उसी का लेखा-जोखा है यह गीत। मजरूह सुल्तानपुरी ने इस गीत में जवानी के इसी मोड़ को अपने हसीन शब्दों में पिरोया है। गाने में एक अजीब नशीलापन है जो रफ़ी साहब की आवाज़ में ढलकर और भी मादक बन पड़ा है। जहाँ तक इस गीत के 'और्केस्ट्रेशन' की बात है, तो नय्यर साहब ने पूरे गाने में 'क्लेरिनेट', 'मेंडोलिन' और 'स्टिंग्स' का सुन्दर प्रयोग किया है। तो सुनिये "जवानियाँ ये मस्त मस्त बिन पीये", लेकिन ज़रा संभल के, कहीं लड़खड़ाकर गिर ना जाना!
और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं -
१. संगीतकार विनोद का सबसे हिट गीत.
२. लता की आवाज़ में एक नटखट नग्मा.
३. मुखड़े में शब्द है - "झूठे"
कुछ याद आया...?
पिछली पहेली का परिणाम -
नए विजेता हैं आज, अनिल जी सही गीत पहचानने के लिए बधाई, अटलांटा से आये हर्षद जी और मनु जी ने भी सही जवाब दिया, फिल्म का नाम तो अब तक पता चल ही गया होगा. भरत पंड्या जी, सलिल जी और सुमित ने भी दूसरी कोशिश में सही जवाब दिया है. पराग जी, त्रुटि सुधार के लिए धन्यवाद. आपकी पसंद का "ठंडी हवा काली घटा" गीत भी ओल्ड इस गोल्ड पर आ चुका है, उसे भी सुनियेगा....
खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम ६-७ के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.
Comments
Ek Thi Ladki is film.
First stanza has Jhoote word.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
पर हमें बिलकुल नहीं पता ,,,,
गीत खूब सूना हुआ है,,
मीना कुमारी की फिल्म और शायद वस्ति हीरो था ,,,,,,
एक थी लडकी,,,,
जब मैने दूसरी बार टिप्पणी करी थी तब मैने जवाब देख लिया था, वैसे मै उस वक्त ये बता रहा था कि मेरा जवाब गलत हो गया, इसलिए मेरे जवाब को सही ना माना जाए
वो लिखने मे कुछ ऐसा लिखा गया कि आपको लगा मैने जवाब बताया है
सुमित भारद्वाज
agar lata ji ki aawaj nahi pahchaante to nischit hi tumhaare kaanon ko ilaaj ki jaroorat hai ,
(aajkal baaludyaan me aana kyoun band kiya hua hai ,tumhe dhoondha jaa rahe hai ,shanno ji kaan pakad kar le jaane waali hain phir se
और दूसरी बात ऐसा नही मै लता जी की आवाज नही पहचानता बस जिस तरह रफी साहब और मुकेश जी की पहचान लेता हूँ उस तरह पहचान नही पाता, कारण ये है मैने ज्यादातर गाने रफी साहब और मुकेश जी के ही सुने है
मानिटर बनने की जिम्मेदारी मै नही उठा सकता, क्योकि मेरी परीक्षा की date आ गयी है इसलिए ये जिम्मेदारी संभालना मेरे लिए मुशकिल होगा
मानिटर बनने की जिम्मेदारी मै नही उठा सकता, क्योकि मेरी परीक्षा की date आ गयी है इसलिए ये जिम्मेदारी संभालना मेरे लिए मुशकिल होगा
हमने आपको यहाँ पकड़ (देख) लिया है इसलिए बताइ देत हैं कि हमने आप को इस बार तो माफ़ कर दिया है लेकिन भविष्य में जब भी फुर्सत मिले परीक्षा के बाद आप कृपा करके नीलम जी की मनोकामना अवश्य पूर्ण करें. उनकी हार्दिक अभिलाषा है कि आप कुर्सी का वजन संभालें. हमारा भी कहना है कि आप तकल्लुफ बिलकुल ना करें. हम खुद ही आपके आने पर अपनी मानीटरी वाली कुर्सी को खाली कर देंगे, किसी को हमको धक्का देने की जरूरत नहीं पड़ने वाली. मुनुआ आप बस हमका चुपके से बताइ देना कक्षा में धीरे से कि आप कुर्सी पर कब बैठना चाहते हैं. हम सबही आपका बेसब्री से इंतज़ार करति रहे लेकिन आप तो छूमंतर हो गये थे वहां से.
इस दफा तो आपने उल्झन मे डाल दिया,बहोत स॓र खुजया ,पोप्युलर गीत केहके हमारी मुश्किल दुर करदी= विनोद् (एरिक रोबर्ट)क 'ऍक थि लडकि"का
लारा लपा गाना "दे कर जुठे लारे" लेकीन मेरे हिद्साबसे उनका सब्से अछ्छा गाना
"टुटॅ हुवे अर्मनोकि कि एक दुनिया बसाके" लाहोर्
"अब हाले दील या हाले जिगर" "एक्थि लड्की रफि केसाथ लता या फिर तलतसाबकी गझल
"जब किसिके रिख्पे जुल्फे "अन्मोल रतन"
लेकीन पसंद अपनी अपनी खयाल अपना अपना
भरत पन्ड्या
मानिटर बनने का काम बहुत ही मुशकिल है फिर भी परीक्षा के बाद मै इसे निंभाने की पूरी कोशिश करूँगा
आप अपनी परीक्षा की तरफ पूरा धयान दें और डट कर पढ़ाई करें. मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं. उसके बाद फुर्सत से मॉनिटर की position का जायका लेना. ओ.के. लेकिन भूलना मत कि पहेली का इम्तिहान भी आपका जब-तब इंतज़ार करेगा और उसकी कक्षा की रौनक भी आप सभी से ही है.