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सुनो कहानी का सौवाँ अंक: सुधा अरोड़ा की "रहोगी तुम वही"

सुनो कहानी के शतकांक पर आवाज़ की टीम की ओर से सभी श्रोताओं का हार्दिक आभार!

'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में कृश्न चन्दर की कहानी "एक गधे की वापसी" का अंतिम भाग सुना था।

आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं शतकांक की विशेष प्रस्तुति - प्रसिद्ध लेखिका सुधा अरोड़ा की बहुचर्चित कहानी "रहोगी तुम वही", जिसको स्वर दिया है रंगमंच, दूरदर्शन और सार्थक सिनेमा के प्रसिद्ध कलाकार राजेन्द्र गुप्ता ने। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। कहानी का कुल प्रसारण समय है: 11 मिनट 9 सेकंड।

सुधा अरोड़ा की कथा अन्नपूर्णा मंडल की आखिरी चिट्ठी को आप पहले ही प्रीति सागर की आवाज़ में सुन चुके हैं।


रहोगी तुम वही में पति का एकालाप, ज़ाहिरा तौर पर पत्नी से मुखातिब है। पति के पास, पत्नी से शिक़ायतों का अन्तहीन भन्डार है, जिन्हें वह मुखर हो कर पत्नी पर ज़ाहिर कर रहा है। रोज़मर्रा की आम बातें हैं। उसे पत्नी के हर रूप से शिक़ायत है; और ये रूप अनेक है। वह उन्हें स्वीकारना नहीं चाहता; इसलिए कहे चले जा रहा है कि रहोगी तुम वही, यानी हर हाल, मेरे अयोग्य। निहितार्थ, न मैं बदल सकता हूँ, न तुम्हारे बदलते स्वरूप को सहन कर सकता हूँ, इसलिए रहोगी तुम वही, मुझ से पृथक। पत्नी के पास कहने को बहुत कुछ है पर लेखक को उससे कुछ कहलाने की ज़रूरत नहीं है; अनकहा ज़्यादा मारक ढंग से पाठक तक पहुँच रहा है। क्या कोई पाठक इतना संवेदनहीन हो सकता है कि इस विडम्बना को ग्रहण न कर पाये? शायद हो। मुझे ज़्यादा मुमकिन यह लगता है कि ग्रहण कर लेने के कारण ही, अपने बचाव के लिए वह वही ढोंग करे , जा कहानी का प्रवक्ता पति कर रहा है।~मृदुला गर्ग

सुधा अरोड़ा से उर्मिला शिरीष की बातचीत
सुनो कहानी कार्यक्रम ने आज अपना पहला शतक लगाया है। इस शुभ अवसर पर सभी श्रोताओं को "आवाज़" की टीम की ओर से हार्दिक आभार! ~अनुराग शर्मा

यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।



आत्माएं कभी नहीं मरतीं। इस विराट व्योम में, शून्य में, वे तैरती रहती हैं - परम शान्त होकर।
~ सुधा अरोड़ा

परिचय: चार अक्तूबर १९४६ को लाहौर में जन्मी सुधा जी की शिक्षा-दीक्षा कोलकाता में हुई जहां उन्होंने अध्यापन भी किया। एकदम विशिष्ट पहचान वाली अपनी कहानियों के लिए जानी गयी सुधा जी की जहां अनेकों पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं वहीं वे सम्पादन और स्तम्भ लेखन से भी जुडी हैं। वे आजकल मुम्बई में रहती हैं।

ऐसी ही बीवियों के शौहर फिर खुले दिमाग वाली औरतों के चक्कर में पड़ जाते हैं और तुम्हारे जैसी बीवियां घर बैठ कर टसुए बहाती हैं। पर अपने को सुधरने की कोशिश बिलकुल नहीं करेंगी!
(सुधा अरोड़ा की "रहोगी तुम वही" से एक अंश)


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#100th Story, Rahogi Tum Vohi: Sudha Arora/Hindi Audio Book/2010/32. Voice: Rajendra Gupta

Comments

neelam said…
badhaai sau ank poore karne ke uplaykshaya me ,kahaani sun kar maja aa gaya isse badhiya kya varnan ho sakta tha patni ka ............pati ke dwara

sudha ji ki kahani dil ko chho gayi .kahaani ghar ghar ki
ya phir kahaani har ghar ki

rahogi tum wahi .................
मुझे आज भी वो दिन याद है जब अनुराग जी ने इसे शुरू करने का प्रस्ताव दिया था, देखते ही देखते कैसे १०० अंक बीत गए पता ही नहीं चला, अनुराग जी इस अनूठे प्रयास के लिए, और इतने लम्बे इस सफ़र की सफलता के लिए आपको जितनी बधाई दी जाए कम है, keep it up

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