किलिमांजारो में बूम बूम रोबो डा.. रोबोट की हरकतों के साथ हाज़िर है रहमान, शंकर और रजनीकांत की तिकड़ी
ताज़ा सुर ताल ३३/२०१०
सुजॊय - आज है ३१ अगस्त! यानी कि आज 'ताज़ा सुर ताल' इस साल का दो तिहाई सफ़र पूरा कर रहा है। पीछे मुड़ कर देखें तो इस साल बहुत ही कम फ़िल्में ऐसी हैं जिन्होंने बॊक्स ऒफ़िस पर कामयाबी के झंडे गाड़े हैं।
विश्व दीपक - हाँ, लेकिन फ़िल्म संगीत की बात करें तो इन फ़िल्मों के अलावा भी कई फ़िल्मों का संगीत सुरीला रहा है। 'वीर', 'इश्क़िया', 'कार्तिक कॊलिंग कार्तिक', 'आइ हेट लव स्टोरीज़', 'मिस्टर सिंह ऐण्ड मिसेस मेहता', 'वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई' जैसे फ़िल्मों के गानें काफ़ी अच्छे हैं। अब देखते हैं कि २०१० का बेस्ट क्या अभी आना बाक़ी है!
सुजॊय - अच्छा विश्व दीपक जी, क्या आप ने कोई ऐसा कम्प्युटर देखा है जिसका स्पीड १ टेरा हर्ट्ज़ हो, और मेमरी १ ज़ीटा बाइट, जिसका प्रोसेसर पेण्टियम अल्ट्रा कोर मिलेनिया वी-२, और एफ़. एच. पी-४५० मोटर हिराटा, जापान का लगा हो?
विश्व दीपक - अरे अरे ये सब क्या पूछे जा रहे हैं आप? यह 'टी. एस. टी' है भई!
सुजॊय - तभी तो! आज हम जिस फ़िल्म के गानें सुनने जा रहे हैं यह उसी से ताल्लुख़ रखता है। ये जो स्पेसिफ़िकेशन्स मैंने अभी बताए, यह दरसल किसी कम्प्युटर का नहीं, बल्कि एक अत्याधुनिक रोबोट का होगा जिसका निर्माण कर रहे हैं फ़िल्म निर्माता कलानिथि मारन निर्देशक शंकर के साथ मिल कर अपनी महत्वाकांक्षी फ़िल्म 'रोबोट' में।
विश्व दीपक - 'रोबोट' इस देश में बनने वाली सब से महँगी फ़िल्म है और इस फ़िल्म के मुख्य कलाकार हैं साउथ सुपरस्टार रजनीकांत और ऐश्वर्या राय बच्चन। फ़िल्म में संगीत दिया है ए. आर. रहमान ने और गीतकार हैं स्वानंद किरकिरे। दोस्तों, इससे पहले कि हम 'रोबोट' की बातों को आगे बढ़ाएँ, आइए फ़िल्म का पहला गाना सुन लेते हैं जिसे गाया है ए. आर. रहमान, सुज़ेन, काश और क्रिसी ने।
गीत - नैना मिले
सुजॊय - फ़िल्म की कहानी और प्लॊट के हिसाब से ज़ाहिर है कि इस फ़िल्म के गानें हाइ टेक्नो बीट्स वाले होंगे और गायन शैली भी उसी तरह का रोबोट वाले अंदाज़ का होगा, और अभी अभी जो हमने गीत सुना उसमें इन सभी बातों का पूरा पूरा ख़याल रखा गया है। "नैना मिले, तुम से नैना मिले", स्वानंद किरकिरे के बोलों को ध्यान से सुना जाए तो उनका ख़ास अंदाज़ महसूस किया जा सकता है। लेकिन जैसा कि मैंने कहा कि 'ध्यान से सुना जाए', क्योंकि टेक्नो बीट्स के चलते गीत के बोल पार्श्व में चले गए हैं और संगीत ही सर चढ़ कर बोल रहा है।
विश्व दीपक - वाक़ई एक 'रोबोटिक' गाना है। हाल में एक फ़िल्म आई थी 'लव स्टोरी २०५०' जिसका संगीत भी कुछ इसी तरह का डिमाण्ड करता था। "मिलो ना मिलो" गीत मशहूर हुआ था लेकिन कुल मिलाकर फ़िल्म पिट गई थी। ख़ैर, 'रोबोट' का दूसरा गीत पहले गीत की तुलना में टेक्नो बीट्स के मामले में हल्का है और एक रोमांटिक युगल गीत है मोहित चौहान और श्रेया घोषाल की आवाज़ों में। सुनते हैं फिर चर्चा करते हैं।
गीत - पागल अनुकन (प्यारा तेरा गुस्सा भी)
विश्व दीपक - भले ही एक नर्मोनाज़ुक रूमानीयत से भरा गीत है, लेकिन स्वानंद किरकिरे इसमें भी वैज्ञानिक शब्दों को डालना नहीं भूले हैं। हिंदी सिनेमा का यह पहला गीत है जिसमें "न्युट्रॊन" और "ईलेक्ट्रॊन" शब्दों का इस्तमाल हुआ है।
सुजॊय - आइए अब इस फ़िल्म के प्रमुख किरदार रोबोट का परिचय आप से करवाया जाए। इस ऐण्ड्रो-ह्युमानोएड रोबोट का नाम है 'चिट्टी'। यह एक इंसान है जिसने जन्म नहीं लिया, बल्कि जिसका निर्माण हुआ है। चिट्टी गा सकता है, नाच सकता है, लड़ सकता है, पानी और आग का उस पर कोई असर नहीं होता। वो हर वो सब कुछ कर सकता है जो एक इंसान कर सकता है लेकिन शायद उससे भी बहुत कुछ ज़्यादा। वो विद्युत-चालित है और वो झूठ नहीं बोल सकता। चिट्टी की कुछ विशेषताओं के बारे में हमने आपको बताया, आइए अब सुनते हैं 'चिट्टी डान्स शोकेस'।
विश्व दीपक - 'चिट्टी डान्स शोकेस' एक डान्स नंबर है प्रदीप विजय, प्रवीन मणि, रैग्ज़ और योगी बी. का।
गीत - चिट्टी डान्स शोकेस
सुजॊय - वाक़ई ज़बरदस्त इन्स्ट्रुमेन्टल पीस था। हिप-हॊप डान्स के शौकीनों के लिए बहुत अच्छा पीस है। इस फ़्युज़न ट्रैक का इस्तमाल टीवी पर होने वाले डान्स रियल्टी शोज़ में किया जा सकता है।
विश्व दीपक - और अब एक ऐसा गीत जिसे सुनते हुए आप शायद ९० के दशक में पहुँच जाएँगे। और वह इसलिए कि इसमें आवाज़ें हैं हरिहरण और साधना सरगम की। लेकिन गाने के अंदाज़ में ९० के दशक की कोई छाप नहीं है। यह तो इसी दौर का गीत है। यह गीत दर-असल इस रोबोट की गरिमा और महिमा का बखान करता है। रहमान के शुरुआती दिनों में दक्षिण के फ़िल्मों में वो जिस तरह का संगीत दिया करते थे, इस गीत में कुछ कुछ उस शैली की छाया मिलती है। सुनते हैं "अरिमा अरिमा"।
गीत - अरिमा अरिमा
विश्व दीपकव - स्वानंद किरकिरे ने केवल "ईलेक्ट्रॊन" और "न्युट्रॊन" तक ही अपने आप को सीमित नहीं रखा, अब एक ऐसा गीत जिसमें किलिमांजारो और मोहंजोदारो का उल्लेख है, और उल्लेख क्या, गीत के मुखड़े में ही ये दो शब्द हैं जिन पर इस गीत को आधार किया गया है। इस तरह के शब्दों के चुनाव का तो यही उद्येश्य हो सकता है कि धुन पहले बनी होगी और उस धुन पर ये शब्द फ़िट किए गए होंगे।
सुजॊय - जावेद अली और चिनमयी का गाया यह गीत एक मस्ती भरा गीत है जिसमें वह रोबोटिक शैली नहीं है, बल्कि तबले का भी इस्तमाल हुआ है। जावेद अली धीरे धीरे कामयाबी की सीढ़ियाँ चढ़ते जा रहे हैं। आज के दौर के गायकों में उन्होंने अपनी एक अलग जगह बना ही ली है और फ़िल्म संगीत संसार में उन्होंने अपने क़दम मज़बूती से जमा लिए हैं। आइए सुनते हैं "किलिमांजारो"।
गीत - किलिमांजारो
विश्व दीपक - फ़िल्म के शुरु में चिट्टी कोई भी काम तो कर सकता है, लेकिन वो इंसान के जज़्बातों को समझ नहीं सकता। उसमें कोई ईमोशन नहीं है। और तभी डॊ. वासी चिट्टी के प्रोसेसर को अपग्रेड करते हैं और उसमें ईमोशन्स का सिम्युलेशन करते हैं यह सोचे बिना कि इसके परिणाम क्या क्या हो सकते हैं। अब चिट्टी महसूस कर सकता है और सब से पहले जो वो महसूस करता है, वह है प्यार। क्या यही प्यार डॊ. वासी के रास्ते पे दीवार बन कर खड़ा हो जाएगा? क्या डो. वासी का क्रिएशन ही उनका विनाश कर देगा? यही कहानी है 'रोबोट' की।
सुजॊय - और अब एक और रोबोटिक नंबर, फिर से टेक्नो बीट्स की भरमार लिए यह है "बोम बूम रोबोडा", जिसे गाया है रैग्ज़, योगी बी., मधुश्री, कीर्ति सगठिया और तन्वी शाह ने। मधुश्री को ए. आर. रहमान ने कई ख़ूबसूरत गीतों में गवाया है। बहुत ही मिठास है उनकी आवाज़ में। यह ताज्जुब की ही बात है कि मुंबई के फ़िल्मी संगीतकार क्यों उनसे गानें नहीं गवाते! ख़ैर, सुनते हैं यह गीत।
गीत - बूम बूम रोबोडा
विश्व दीपक - और अब फ़िल्म का अंतिम गीत "ओ नए इंसान"। श्रीनिवास और खतिजा रहमान का गाया यह गीत है। श्रीनिवास ने बिलकुल रोबोटिक अंदाज़ में यह गाया है। श्रीनिवास ने इस गीत में दो अलग अलग आवाज़ें निकाली हैं, जो एक दूसरे से बिलकुल अलग है। ऒर्केस्ट्रेशन पूरी तरह से ईलेक्ट्रॊनिक है और इस गीत को सुनते हुए एक साइ-फ़ाइ फ़ील आता है।
सुजॊय - और जिन्हें मालूम नहीं है, उन्हें हम यह बताना चाहेंगे कि खतिजा रहमान ए. आर. रहमान की बेटी है जो इस गीत के ज़रिए हिंदी पार्श्व गायन में क़दम रख रही है। चलिए सुनते हैं यह गीत।
गीत - ओ नए इंसान
सुजॊय - हाँ तो विश्व दीपक जी, कैसा रहा इन रोबोटिक गीतों का अनुभव? मुझे तो बुरा नहीं लगा। हाल के कुछ फ़िल्मों में रहमान का जिस तरह का संगीत आ रहा था, ज़्यादातर सूफ़ियाने अंदाज़ का, उससे बिलकुल अलग हट के, बहुत दिनों के बाद इस तरह का संगीत सुनने में आया है। वैसे हाल में 'शिवाजी' में रहमान ने इस तरह का संगीत दिया था, लेकिन हिंदी के श्रोताओं में 'शिवाजी' के गानें कुछ ख़ास असर नहीं कर सके थे। अब देखना है कि 'रोबोट' के गीतों को किस तरह का रेसपॊन्स मिलता है! "पागल अनुकन" और "किलिमांजारो", ये दोनों गीत मुझे सब से ज़्यादा पसंद आए।
विश्व दीपक - सुजॊय जी, भले हीं गाने सुनने के दौरान मैंने इलेक्ट्रान, प्रोटॉन, किलिमांजारो और मोहनजोदाड़ो जैसे शब्दों के लिए स्वानंद किरकिरे को क्रेडिट दिया था, लेकिन एक बात मेरे दिल में चुभ-सी रही थी.. शुरू में सोचा कि रहने देता हूँ, हर बात कहनी ज़रूरी नहीं होती, लेकिन जब हम समीक्षा हीं कर रहे हैं तो हमें कुछ भी छुपाने का हक़ नहीं मिलता। शायद आपने रोबोट के तमिल वर्ज़न ऐंदिरन के गाने नहीं सुने। मैंने सुने हैं.. गाने के बोल तो समझ नहीं आए लेकिन ऊपर बताए गए शब्द पकड़ में आ गए थे} और जब मैंने हिन्दी के गाने सुने और हिन्दी में उन्हीं शब्दों की पुनरावृत्ति मिली तो मुझे पक्का यकीन हो गया कि गीतकार ने गाने का बस अनुवाद हीं किया है और कुछ नहीं। नहीं तो तमिल का "डा" (बूम बूम रोबो डा), जो हिन्दी के "रे" या "अरे" के समतुल्य है, हिन्दी में भी "डा" हीं क्यों होता। और भी ऐसे बहुत सारे उदाहरण हैं.. जिन्हें सुनने पर मुझे लगा था कि किसी साधारण-से गीतकार से गाने लिखवाए (अनुवाद करवाए) गए हैं। लेकिन गीतकार के रूप में "स्वानंद किरकिरे" का नाम देखकर मुझे झटका-सा लगा। अब जैसा कि आपके साथ हुआ और दूसरे हिन्दी-भाषी श्रोताओं के साथ होने वाला है, हम तो बस हिन्दी के गाने हीं सुनते हैं और उसी को "असल" समझ बैठते हैं। अब यहाँ पर दोषी कौन है, यह तो कहा नहीं जा सकता, लेकिन स्वानंद साहब से मुझे ऐसी उम्मीद न थी। वे "गुलज़ार" और "महबूब" की तरह मिसाल बन सकते थे, जो तमिल के गानों (जिसे वैरामुतु जैसे बड़े कवि/गीतकार लिखा करते हैं) से बोल नहीं उठाते, बल्कि रहमान की धुनों पर अपने नए बोल लिखते हैं। बस इतना है कि स्वानंद साहब से निराश होने के बावजूद रहमान के संगीत के कारण हीं मैं इस एलबम को पसंद कर पा रहा हूँ। सुजॊय जी, आपने इस एलबम के लिए साढे तीन अंक निर्धारित किए थे, लेकिन मैं आधे अंक की कटौती गीतकार के कारण कर रहा हूँ। एक गीतकार/कवि के मन में शब्दों के लिए जो टीस उठती है, वह तो आप समझ हीं सकते हैं.. है ना? खैर.. मैं भी किस भावनात्मक दरिया में बह गया... हाँ तो, आज की समीक्षा को विराम देने का वक्त आ गया है, अगली बार "अनजाना अनजानी" के साथ हम फिर हाज़िर होंगे। तब तक के लिए शुभदिन एवं शुभरात्रि!!
आवाज़ रेटिंग्स: रोबोट: ***
और अब आज के ३ सवाल
TST ट्रिविया # ९७- हरिहरण और साधना सरगम की आवाज़ में उस मशहूर गीत का मुखड़ा बताइए जिसके एक अंतरे में पंक्ति है "ये दिल बेज़ुबाँ था आज इसको ज़ुबाँ मिल गई, मेरी ज़िंदगी को एक हसीं दास्ताँ मिल गई"?
TST ट्रिविया # ९८- फ़िल्म 'रोबोट' के साउण्डट्रैक में आपने जितनी भी आवाज़ें सुनीं, उनमें से एक गायिका हैं जिनका असली नाम है सुजाता भट्टाचार्य। बताइए इस गायिका को अब हम किस नाम से जानते हैं?
TST ट्रिविया # ९९- परिवार की नाज़ुक आर्थिक स्थिति के चलते ए. आर. रहमान को कक्षा-९ में स्कूल छोड़ना पड़ा था। बताइए रहमान उस वक़्त किस स्कूल में पढ़ रहे थे?
TST ट्रिविया में अब तक -
पिछले हफ़्ते के सवालों के जवाब:
१. खुदा जाने (बचना ए हसीनों)
२. ६७
३. इन दोनों फ़िल्मों में विदेशी गीत की धुन का इस्तेमाल किया गया है। 'वी आर फ़मिली' में एल्विस प्रेस्ली के "जेल-हाउस रॊक" तथा 'कल हो ना हो' में रॊय ओरबिसन के "प्रेटी वोमेन"।
एक बार फिर सीमा जी २ सही जवाबों के साथ हाज़िर हुई, बधाई
सुजॊय - आज है ३१ अगस्त! यानी कि आज 'ताज़ा सुर ताल' इस साल का दो तिहाई सफ़र पूरा कर रहा है। पीछे मुड़ कर देखें तो इस साल बहुत ही कम फ़िल्में ऐसी हैं जिन्होंने बॊक्स ऒफ़िस पर कामयाबी के झंडे गाड़े हैं।
विश्व दीपक - हाँ, लेकिन फ़िल्म संगीत की बात करें तो इन फ़िल्मों के अलावा भी कई फ़िल्मों का संगीत सुरीला रहा है। 'वीर', 'इश्क़िया', 'कार्तिक कॊलिंग कार्तिक', 'आइ हेट लव स्टोरीज़', 'मिस्टर सिंह ऐण्ड मिसेस मेहता', 'वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई' जैसे फ़िल्मों के गानें काफ़ी अच्छे हैं। अब देखते हैं कि २०१० का बेस्ट क्या अभी आना बाक़ी है!
सुजॊय - अच्छा विश्व दीपक जी, क्या आप ने कोई ऐसा कम्प्युटर देखा है जिसका स्पीड १ टेरा हर्ट्ज़ हो, और मेमरी १ ज़ीटा बाइट, जिसका प्रोसेसर पेण्टियम अल्ट्रा कोर मिलेनिया वी-२, और एफ़. एच. पी-४५० मोटर हिराटा, जापान का लगा हो?
विश्व दीपक - अरे अरे ये सब क्या पूछे जा रहे हैं आप? यह 'टी. एस. टी' है भई!
सुजॊय - तभी तो! आज हम जिस फ़िल्म के गानें सुनने जा रहे हैं यह उसी से ताल्लुख़ रखता है। ये जो स्पेसिफ़िकेशन्स मैंने अभी बताए, यह दरसल किसी कम्प्युटर का नहीं, बल्कि एक अत्याधुनिक रोबोट का होगा जिसका निर्माण कर रहे हैं फ़िल्म निर्माता कलानिथि मारन निर्देशक शंकर के साथ मिल कर अपनी महत्वाकांक्षी फ़िल्म 'रोबोट' में।
विश्व दीपक - 'रोबोट' इस देश में बनने वाली सब से महँगी फ़िल्म है और इस फ़िल्म के मुख्य कलाकार हैं साउथ सुपरस्टार रजनीकांत और ऐश्वर्या राय बच्चन। फ़िल्म में संगीत दिया है ए. आर. रहमान ने और गीतकार हैं स्वानंद किरकिरे। दोस्तों, इससे पहले कि हम 'रोबोट' की बातों को आगे बढ़ाएँ, आइए फ़िल्म का पहला गाना सुन लेते हैं जिसे गाया है ए. आर. रहमान, सुज़ेन, काश और क्रिसी ने।
गीत - नैना मिले
सुजॊय - फ़िल्म की कहानी और प्लॊट के हिसाब से ज़ाहिर है कि इस फ़िल्म के गानें हाइ टेक्नो बीट्स वाले होंगे और गायन शैली भी उसी तरह का रोबोट वाले अंदाज़ का होगा, और अभी अभी जो हमने गीत सुना उसमें इन सभी बातों का पूरा पूरा ख़याल रखा गया है। "नैना मिले, तुम से नैना मिले", स्वानंद किरकिरे के बोलों को ध्यान से सुना जाए तो उनका ख़ास अंदाज़ महसूस किया जा सकता है। लेकिन जैसा कि मैंने कहा कि 'ध्यान से सुना जाए', क्योंकि टेक्नो बीट्स के चलते गीत के बोल पार्श्व में चले गए हैं और संगीत ही सर चढ़ कर बोल रहा है।
विश्व दीपक - वाक़ई एक 'रोबोटिक' गाना है। हाल में एक फ़िल्म आई थी 'लव स्टोरी २०५०' जिसका संगीत भी कुछ इसी तरह का डिमाण्ड करता था। "मिलो ना मिलो" गीत मशहूर हुआ था लेकिन कुल मिलाकर फ़िल्म पिट गई थी। ख़ैर, 'रोबोट' का दूसरा गीत पहले गीत की तुलना में टेक्नो बीट्स के मामले में हल्का है और एक रोमांटिक युगल गीत है मोहित चौहान और श्रेया घोषाल की आवाज़ों में। सुनते हैं फिर चर्चा करते हैं।
गीत - पागल अनुकन (प्यारा तेरा गुस्सा भी)
विश्व दीपक - भले ही एक नर्मोनाज़ुक रूमानीयत से भरा गीत है, लेकिन स्वानंद किरकिरे इसमें भी वैज्ञानिक शब्दों को डालना नहीं भूले हैं। हिंदी सिनेमा का यह पहला गीत है जिसमें "न्युट्रॊन" और "ईलेक्ट्रॊन" शब्दों का इस्तमाल हुआ है।
सुजॊय - आइए अब इस फ़िल्म के प्रमुख किरदार रोबोट का परिचय आप से करवाया जाए। इस ऐण्ड्रो-ह्युमानोएड रोबोट का नाम है 'चिट्टी'। यह एक इंसान है जिसने जन्म नहीं लिया, बल्कि जिसका निर्माण हुआ है। चिट्टी गा सकता है, नाच सकता है, लड़ सकता है, पानी और आग का उस पर कोई असर नहीं होता। वो हर वो सब कुछ कर सकता है जो एक इंसान कर सकता है लेकिन शायद उससे भी बहुत कुछ ज़्यादा। वो विद्युत-चालित है और वो झूठ नहीं बोल सकता। चिट्टी की कुछ विशेषताओं के बारे में हमने आपको बताया, आइए अब सुनते हैं 'चिट्टी डान्स शोकेस'।
विश्व दीपक - 'चिट्टी डान्स शोकेस' एक डान्स नंबर है प्रदीप विजय, प्रवीन मणि, रैग्ज़ और योगी बी. का।
गीत - चिट्टी डान्स शोकेस
सुजॊय - वाक़ई ज़बरदस्त इन्स्ट्रुमेन्टल पीस था। हिप-हॊप डान्स के शौकीनों के लिए बहुत अच्छा पीस है। इस फ़्युज़न ट्रैक का इस्तमाल टीवी पर होने वाले डान्स रियल्टी शोज़ में किया जा सकता है।
विश्व दीपक - और अब एक ऐसा गीत जिसे सुनते हुए आप शायद ९० के दशक में पहुँच जाएँगे। और वह इसलिए कि इसमें आवाज़ें हैं हरिहरण और साधना सरगम की। लेकिन गाने के अंदाज़ में ९० के दशक की कोई छाप नहीं है। यह तो इसी दौर का गीत है। यह गीत दर-असल इस रोबोट की गरिमा और महिमा का बखान करता है। रहमान के शुरुआती दिनों में दक्षिण के फ़िल्मों में वो जिस तरह का संगीत दिया करते थे, इस गीत में कुछ कुछ उस शैली की छाया मिलती है। सुनते हैं "अरिमा अरिमा"।
गीत - अरिमा अरिमा
विश्व दीपकव - स्वानंद किरकिरे ने केवल "ईलेक्ट्रॊन" और "न्युट्रॊन" तक ही अपने आप को सीमित नहीं रखा, अब एक ऐसा गीत जिसमें किलिमांजारो और मोहंजोदारो का उल्लेख है, और उल्लेख क्या, गीत के मुखड़े में ही ये दो शब्द हैं जिन पर इस गीत को आधार किया गया है। इस तरह के शब्दों के चुनाव का तो यही उद्येश्य हो सकता है कि धुन पहले बनी होगी और उस धुन पर ये शब्द फ़िट किए गए होंगे।
सुजॊय - जावेद अली और चिनमयी का गाया यह गीत एक मस्ती भरा गीत है जिसमें वह रोबोटिक शैली नहीं है, बल्कि तबले का भी इस्तमाल हुआ है। जावेद अली धीरे धीरे कामयाबी की सीढ़ियाँ चढ़ते जा रहे हैं। आज के दौर के गायकों में उन्होंने अपनी एक अलग जगह बना ही ली है और फ़िल्म संगीत संसार में उन्होंने अपने क़दम मज़बूती से जमा लिए हैं। आइए सुनते हैं "किलिमांजारो"।
गीत - किलिमांजारो
विश्व दीपक - फ़िल्म के शुरु में चिट्टी कोई भी काम तो कर सकता है, लेकिन वो इंसान के जज़्बातों को समझ नहीं सकता। उसमें कोई ईमोशन नहीं है। और तभी डॊ. वासी चिट्टी के प्रोसेसर को अपग्रेड करते हैं और उसमें ईमोशन्स का सिम्युलेशन करते हैं यह सोचे बिना कि इसके परिणाम क्या क्या हो सकते हैं। अब चिट्टी महसूस कर सकता है और सब से पहले जो वो महसूस करता है, वह है प्यार। क्या यही प्यार डॊ. वासी के रास्ते पे दीवार बन कर खड़ा हो जाएगा? क्या डो. वासी का क्रिएशन ही उनका विनाश कर देगा? यही कहानी है 'रोबोट' की।
सुजॊय - और अब एक और रोबोटिक नंबर, फिर से टेक्नो बीट्स की भरमार लिए यह है "बोम बूम रोबोडा", जिसे गाया है रैग्ज़, योगी बी., मधुश्री, कीर्ति सगठिया और तन्वी शाह ने। मधुश्री को ए. आर. रहमान ने कई ख़ूबसूरत गीतों में गवाया है। बहुत ही मिठास है उनकी आवाज़ में। यह ताज्जुब की ही बात है कि मुंबई के फ़िल्मी संगीतकार क्यों उनसे गानें नहीं गवाते! ख़ैर, सुनते हैं यह गीत।
गीत - बूम बूम रोबोडा
विश्व दीपक - और अब फ़िल्म का अंतिम गीत "ओ नए इंसान"। श्रीनिवास और खतिजा रहमान का गाया यह गीत है। श्रीनिवास ने बिलकुल रोबोटिक अंदाज़ में यह गाया है। श्रीनिवास ने इस गीत में दो अलग अलग आवाज़ें निकाली हैं, जो एक दूसरे से बिलकुल अलग है। ऒर्केस्ट्रेशन पूरी तरह से ईलेक्ट्रॊनिक है और इस गीत को सुनते हुए एक साइ-फ़ाइ फ़ील आता है।
सुजॊय - और जिन्हें मालूम नहीं है, उन्हें हम यह बताना चाहेंगे कि खतिजा रहमान ए. आर. रहमान की बेटी है जो इस गीत के ज़रिए हिंदी पार्श्व गायन में क़दम रख रही है। चलिए सुनते हैं यह गीत।
गीत - ओ नए इंसान
सुजॊय - हाँ तो विश्व दीपक जी, कैसा रहा इन रोबोटिक गीतों का अनुभव? मुझे तो बुरा नहीं लगा। हाल के कुछ फ़िल्मों में रहमान का जिस तरह का संगीत आ रहा था, ज़्यादातर सूफ़ियाने अंदाज़ का, उससे बिलकुल अलग हट के, बहुत दिनों के बाद इस तरह का संगीत सुनने में आया है। वैसे हाल में 'शिवाजी' में रहमान ने इस तरह का संगीत दिया था, लेकिन हिंदी के श्रोताओं में 'शिवाजी' के गानें कुछ ख़ास असर नहीं कर सके थे। अब देखना है कि 'रोबोट' के गीतों को किस तरह का रेसपॊन्स मिलता है! "पागल अनुकन" और "किलिमांजारो", ये दोनों गीत मुझे सब से ज़्यादा पसंद आए।
विश्व दीपक - सुजॊय जी, भले हीं गाने सुनने के दौरान मैंने इलेक्ट्रान, प्रोटॉन, किलिमांजारो और मोहनजोदाड़ो जैसे शब्दों के लिए स्वानंद किरकिरे को क्रेडिट दिया था, लेकिन एक बात मेरे दिल में चुभ-सी रही थी.. शुरू में सोचा कि रहने देता हूँ, हर बात कहनी ज़रूरी नहीं होती, लेकिन जब हम समीक्षा हीं कर रहे हैं तो हमें कुछ भी छुपाने का हक़ नहीं मिलता। शायद आपने रोबोट के तमिल वर्ज़न ऐंदिरन के गाने नहीं सुने। मैंने सुने हैं.. गाने के बोल तो समझ नहीं आए लेकिन ऊपर बताए गए शब्द पकड़ में आ गए थे} और जब मैंने हिन्दी के गाने सुने और हिन्दी में उन्हीं शब्दों की पुनरावृत्ति मिली तो मुझे पक्का यकीन हो गया कि गीतकार ने गाने का बस अनुवाद हीं किया है और कुछ नहीं। नहीं तो तमिल का "डा" (बूम बूम रोबो डा), जो हिन्दी के "रे" या "अरे" के समतुल्य है, हिन्दी में भी "डा" हीं क्यों होता। और भी ऐसे बहुत सारे उदाहरण हैं.. जिन्हें सुनने पर मुझे लगा था कि किसी साधारण-से गीतकार से गाने लिखवाए (अनुवाद करवाए) गए हैं। लेकिन गीतकार के रूप में "स्वानंद किरकिरे" का नाम देखकर मुझे झटका-सा लगा। अब जैसा कि आपके साथ हुआ और दूसरे हिन्दी-भाषी श्रोताओं के साथ होने वाला है, हम तो बस हिन्दी के गाने हीं सुनते हैं और उसी को "असल" समझ बैठते हैं। अब यहाँ पर दोषी कौन है, यह तो कहा नहीं जा सकता, लेकिन स्वानंद साहब से मुझे ऐसी उम्मीद न थी। वे "गुलज़ार" और "महबूब" की तरह मिसाल बन सकते थे, जो तमिल के गानों (जिसे वैरामुतु जैसे बड़े कवि/गीतकार लिखा करते हैं) से बोल नहीं उठाते, बल्कि रहमान की धुनों पर अपने नए बोल लिखते हैं। बस इतना है कि स्वानंद साहब से निराश होने के बावजूद रहमान के संगीत के कारण हीं मैं इस एलबम को पसंद कर पा रहा हूँ। सुजॊय जी, आपने इस एलबम के लिए साढे तीन अंक निर्धारित किए थे, लेकिन मैं आधे अंक की कटौती गीतकार के कारण कर रहा हूँ। एक गीतकार/कवि के मन में शब्दों के लिए जो टीस उठती है, वह तो आप समझ हीं सकते हैं.. है ना? खैर.. मैं भी किस भावनात्मक दरिया में बह गया... हाँ तो, आज की समीक्षा को विराम देने का वक्त आ गया है, अगली बार "अनजाना अनजानी" के साथ हम फिर हाज़िर होंगे। तब तक के लिए शुभदिन एवं शुभरात्रि!!
आवाज़ रेटिंग्स: रोबोट: ***
और अब आज के ३ सवाल
TST ट्रिविया # ९७- हरिहरण और साधना सरगम की आवाज़ में उस मशहूर गीत का मुखड़ा बताइए जिसके एक अंतरे में पंक्ति है "ये दिल बेज़ुबाँ था आज इसको ज़ुबाँ मिल गई, मेरी ज़िंदगी को एक हसीं दास्ताँ मिल गई"?
TST ट्रिविया # ९८- फ़िल्म 'रोबोट' के साउण्डट्रैक में आपने जितनी भी आवाज़ें सुनीं, उनमें से एक गायिका हैं जिनका असली नाम है सुजाता भट्टाचार्य। बताइए इस गायिका को अब हम किस नाम से जानते हैं?
TST ट्रिविया # ९९- परिवार की नाज़ुक आर्थिक स्थिति के चलते ए. आर. रहमान को कक्षा-९ में स्कूल छोड़ना पड़ा था। बताइए रहमान उस वक़्त किस स्कूल में पढ़ रहे थे?
TST ट्रिविया में अब तक -
पिछले हफ़्ते के सवालों के जवाब:
१. खुदा जाने (बचना ए हसीनों)
२. ६७
३. इन दोनों फ़िल्मों में विदेशी गीत की धुन का इस्तेमाल किया गया है। 'वी आर फ़मिली' में एल्विस प्रेस्ली के "जेल-हाउस रॊक" तथा 'कल हो ना हो' में रॊय ओरबिसन के "प्रेटी वोमेन"।
एक बार फिर सीमा जी २ सही जवाबों के साथ हाज़िर हुई, बधाई
Comments
abb ham kya kahe kya sune, jab dil baate karane lage
regards
regards
regards