ताज़ा सुर ताल ३१/२०१०
विश्व दीपक - 'ताज़ा सुर ताल' के इस अंक में हम सभी का स्वागत करते हैं। सुजॊय जी, अब ऐसा लगने लगा है कि साल २०१० के हिट गीतों की फ़ेहरिस्त ने रफ़्तार पकड़ ली है; एक के बाद एक फ़िल्म आती जा रही है और हर फ़िल्म का कोई ना कोई गीत ज़रूर हिट हो रहा है।
सुजॊय - हिट गीतों की अगर बात करें तो कभी कभी कामयाब गीतों का फ़ॊरमुला फ़िल्मकारों और कुछ हद तक अभिनेता पर भी निर्भर करता है, ऐसा अक्सर देखा गया है। अब सलमान ख़ान को ही लीजिए, शायद ही उनका कोई फ़िल्म ऐसा होगा, जिसके गानें हिट ना हुए होंगे। वैसे तो उनकी फ़िल्में भी ख़ूब चलती हैं, लेकिन उनके फ़्लॊप फ़िल्मों के गानें भी कम से कम चल पड़ते हैं।
विश्व दीपक - ठीक कहा, इसी साल उनकी फ़िल्म 'वीर' बॉक्स ऑफ़िस पर नाकामयाब रही, लेकिन फ़िल्म के गाने चल पड़े थे, ख़ास कर "सलाम आया" गीत तो बहुत पसंद किया गया। पिछले कुछ सालों से सलमान ख़ान की फ़िल्मों में साजिद-वाजिद संगीत दे रहे हैं। 'तेरे नाम' की अपार कामयाबी के बावजूद सल्लु मिया ने हिमेश रेशम्मिया से साजिद वाजिद पर स्विच-ओवर कर लिया था। पिछले साल 'वाण्टेड' और इस साल जनवरी में प्रदर्शित 'वीर' के बाद अब सलमान और साजिद-वाजिद की तिकड़ी लेकर आए हैं फ़िल्म 'दबंग', और आज 'टी.एस.टी' में इसी फ़िल्म के गानें।
सुजॊय - 'दबंग' अभिनव कश्यप निर्देशित फ़िल्म है जिसमें सलमान ख़ान की नायिका बनी हैं नवोदित अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा। साथ मे हैं अरबाज़ ख़ान, सोनू सूद, विनोद खन्ना, डिम्पल कपाडिया, महेश मांजरेकर और ओम पुरी। यानी कि एक ज़बरदस्त स्टार-कास्ट है इस फ़िल्म में। साजिद वाजिद के धुनों पर गानें लिखे हैं जलीश शेरवानी ने। लेकिन एक गीत ललित पण्डित ने लिखा और स्वरबद्ध किया है। फ़ैज़ अनवर ने भी एक गीत लिखा है।
विश्व दीपक - कहते हैं सौ सुनार की एक लुहार की, तो यहाँ भी वही बात है, फ़ैज़ साहब ने जो एक गीत लिखा है, वही फ़िल्म के बाक़ी सभी गीतों पर भारी है। सुनते हैं राहत फ़तेह अली ख़ान और श्रेया घोषाल की आवाज़ों में वही गीत।
गीत - तेरे मस्त मस्त दो नैन
सुजॊय - वाह! अच्छा लगा। सूफ़ी क़व्वाली अंदाज़ का यह गीत राहत साहब के फ़िल्मी गायन करीयर का एक और यादगार गीत बनने जा रहा है। 'वीर' के "सुरीली अखियों वाली" के बाद, साजिद-वाजिद के लिए फिर एक बार उन्होंने अपने आप को सिद्ध किया है इस गीत में। साजिद वाजिद के कम्पोज़िशन्स की अच्छी बात यह लगती है कि वो भारतीय साज़ों की ध्वनियों का ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं जिससे गीत ज़्यादा कर्णप्रिय बन जाता है।
विश्व दीपक - और रही बात इस गीत के बोलों की, तो फ़ैज़ अनवर, जो एक अनुभवी फ़िल्मी गीतकार रहे हैं और ९० के दशक में बहुत सारे हिट गीत दिए हैं, उन्होंने काव्यात्मक शैली अख़्तियार करते हुए इस गीत में लिखा है "माही वे आप सा, दिल ये बेताब सा, तड़पा जाए तड़पा तड़पा जाए, नैनों के झील में, उतरा था युंही दिल, डूबा जाए डूबा डूबा जाए..."। कुल मिलाकर कह सकते हैं कि यह गीत हर लिहाज़ से सुपरहिट होने का स्तर रखता है। इस गीत के दो वर्ज़न हैं, हमने राहत साहब और श्रेया का युगल वर्ज़न सुना, राहत साहब का एकल वर्ज़न भी है। लगे हाथों उसे भी सुन लते हैं।
गीत - तेरे मस्त मस्त दो नैन (एकल)
सुजॊय - फ़िल्म का तीसरा गीत, या युं कहिए कि ऐल्बम का तीसरा गीत है "मुन्नी बदनाम" जिसे लिखा व स्वरबद्ध किया है जतिन ललित के ललित पण्डित ने। यह एक आइटम नंबर है जिसे ममता शर्मा और ऐश्वर्या ने गाया है। यह गीत मास के लिए है, क्लास के लिए नहीं। चलिए, इसे भी सुनते चलें....
गीत - मुन्नी बदनाम
विश्व दीपक - "मुन्नी बदनाम हुई डारलिंग तेरे लिए", आइटम नंबर होने के साथ इसमें कॊमिक एलीमेण्ट्स भी डाले गए हैं, जैसे कि "ले झंडु बाम हुई डारलिंग तेरे लिए", "शिल्पा सा फ़िगर, बेबो सी अदा" वगेरह। वैसे क्या आपको पता है कि यह गाना "उत्तर प्रदेश" के एक पुराने लोक-गीत "लौंडा बदनाम हुआ नसीबन तेरे लिए" से प्रेरित है। इसी लोक-गीत का इस्तेमाल बप्पी-लाहिड़ी भी एक फिल्म "रॉक डांसर" में कर चुके हैं, जहाँ "लौंडा बदनाम हुआ लौंडिया तेरे लिए" के बोल पर "जावेद जाफ़री" थिड़कते हुए नज़र आए थे। मुझे यह जानकारी मिलिब्लॉग और आईटूएफ़एस के कार्तिक से हासिल हुई है।
सुजॊय - बड़ी हीं अनूठी जानकारी है। खैर, इस मास नंबर के बाद बेहतर यही होगा कि हम अगले गीत की तरफ़ बढ़ें। ऐल्बम का चौथा गीत है सोनू निगम और श्रेया घोषाल का गाया एक नर्मोनाज़ुक रोमांटिक डुएट "चोरी किया रे जिया"। आइए सुनते हैं।
गीत - चोरी किया रे जिया
विश्व दीपक - वैसे तो सोनू और श्रेया के गाए कई यादगार डुएट्स हैं, इस गीत में वैसे कोई नई बात नहीं है, लेकिन गीत का रीदम और संगीत संयोजन अपीलिंग है। गिटार की मेलोडियस स्ट्रिंग्स और उस पर कैची बीट्स सुनने वाले को गीत के साथ जोड़े रखते हैं। सोनू और श्रेया की आवाज़ों ने फिर एक बार साबित किया कि आज के दौर में ये ही दो अव्वल नंबर पर हैं। साजिद-वाजिद ने बहुत से ऐसे रोमांटिक डुएट्स हमें दिए हैं जब भी उन्हें मौका दिया गया है। इस गीत को लिखा है जलीश शेरवानी ने जिन्होंने फ़िल्म 'मुझसे शादी करोगी' में भी "लाल दुपट्टा", "रब करे तुझको भी प्यार हो जाए" जैसे सफल रोमांटिक गीत लिख चुके हैं।
सुजॊय - अब बढ़ते हैं अगले गीत की तरफ़ जो है फ़िल्म का शीर्षक गीत, "हुड़ हुड़ दबंग"। विश्व दीपक जी, आपको "दबंग" शब्द का अर्थ पता है?
विश्व दीपक - हाँ, "दबंग" यानी "निडर" या "निर्भय", जिसे अंग्रेज़ी में "fearless" कह सकते हैं। लेकिन कहीं भी दबंग शब्द का इस्तेमाल पोजिटीव सेन्स में नहीं होता। हम जिस किसी को भी दबंग के विशेषण से नवाज़ते हैं तो इसका मतलब ये होता है कि वह इंसान शक्तिशाली है और दूसरों को दबा कर रखता है। आज भी गाँवों में जमींदारों को इसलिए दबंग कहते हैं क्योंकि वे गरीब जनता का हक़ मारते हैं और जनता उनसे डरी हुई रहती है। "दबंग" और "दलित" एक दूसरे के पूरक हैं। वह जो लोगों को अपनी जूतों तल दबा कर रखे वह "दबंग" और वह जो "दबा" हुआ हो वह "दलित"। इसलिए "दबंग" का अर्थ "निडर" होते हुए भी यह एक निगेटिव वर्ड है। मेरे हिसाब से फिल्म में भी इसी नकारात्मक अर्थ को दर्शाया गया है।
सुजॊय - अच्छा! तो चलिए यह गीत सुन लेते हैं जिसे सुनते हुए मुझे यकीन है आप सब को फ़िल्म 'ओमकारा' का शीर्षक गीत ज़रूर याद आ जाएगा। वैसे इस गीत में भी आवाज़ सुखविंदर सिंह की ही है जिन्होंने 'ओमकारा' का वह गीत गाया था; और इस गीत में सुखविंदर के साथ वाजिद ने भी आवाज़ मिलायी है। "हुड़ हुड़ दबंग" फ़िल्म में सलमान ख़ान के किरदार को वर्णित करता होगा, ऐसा प्रतीत होता है।
गीत - हुड़ हुड़ दबंग
विश्व दीपक - कुछ हेवी ड्रम्स और वायलिन्स का ज़बरदस्त इस्तेमाल हुआ है; लोक शैली में बनाया गया है गीत वाक़ई "ओमकारा" से मिलता जुलता है। लेकिन बोलों के लिहाज़ से "ओमकारा" इससे बहुत उपर ही रहेगा। ख़ैर, गीत बुरा नहीं है। और आइए अब फ़िल्म का अंतिम गीत सुन लिया जाए, यह एक क़व्वाली है वाजिद, मास्टर सलीम, शबाब साबरी और साथियों की आवाज़ों में। "हमका पीनी है" एक ग्रामीण लोक शैली वाला गीत है जो पूरी तरह से सिचुएशनल है। जलीश शेरवानी के बोल।
सुजॊय - फिर एक बार शायद मास नंबर है, ना कि क्लास। ढोलक का मुख्य रूप से इस्तेमाल है, लीजिए आप भी सुनिए।
गीत - हमका पीनी है
सुजॊय - इन छह गीतों को सुन कर यही कह सकता हूँ कि "तेरे मस्त मस्त दो नैन" ही ऐल्बम का सर्वोत्तम गीत है.. असल में दोनों वर्जन्स हीं कमाल के हैं। जैसा कि शुरु में आपने कहा था "सौ सुन्हार की, एक लुहार की", अब मैं भी सहमत हो गया हूँ आप से। सोनू-श्रेया का "चोरी किया रे जिया" भी कर्णप्रिय रहा। विश्व दीपक जी, आज हम 'दबंग' के साथ साथ 'वी आर फ़मिली' के भी कुछ गानें सुनवाने वाले थे। लेकिन 'वी आरे फ़मिली' के गीतों को जब मैंने सुना तो मुझे लगा कि इस फ़िल्म के सभी गीतों को सुनवाना चाहिए। इसलिए अगर संभव हुआ तो अगले हफ़्ते हम 'वी आर फ़ैमिली' के गानें लेकर हाज़िर होंगे। क्या ख़याल है?
विश्व दीपक - जी, आपने सही कहा। वास्तव में मैने अभी तक "वी आर फ़ैमिली" के गाने नहीं सुने, इसलिए प्रोमोज़ में गाने सुनकर मुझे लगा कि कुछ हीं गाने सुनने लायक हैं। और यही कारण है कि पिछले टीएसटी में मैंने यह कह दिया था कि दोनों फिल्मों के गाने साथ करेंगे। लेकिन चूँकि आपने गाने सुने हैं और आपको वे गाने पसंद आए हैं, तब दोनों एलबमों की समीक्षा साथ करने का कोई प्रश्न हीं नहीं उठता। तो अगली टीएसटी "वी आर फ़ैमिली" पर हीं सजेगी। अलग बात है कि उस वक़्त आपके साथ मैं नही सजीव जी रहेंगे, क्योंकि मैं दस दिनों के लिए नदारद होने वाला हूँ.. घर जा रहा हूँ "रक्षा बंधन" के लिए। २९ को लौटूँगा, उसके बाद मैं फिर से आपके साथ आ जाऊँगा। ठीक है? :) जहाँ तक "दबंग" का सवाल है, तो मेरे हिसाब से गाने "मास" के लिए इस कारण से हैं क्योंकि फिल्म हीं "मास" के लिए है। यह फिल्म "वांटेड" की तर्ज़ पर बनाई गई मालूम होती है। जिस तरह वांटेड के गाने क्रिटिक्स ने एलबम सुनने के बाद नकार दिए थे, लेकिन फिल्म रीलिज होने पर उन्हीं गानों ने धूम मचा दी थी। मेरे हिसाब से इस फिल्म के गाने भी फिल्म आने के बाद उसी तरह का कमाल करने वाले हैं। शायद सलमान खान ने "साज़िद-वाज़िद" को ऐसी हिदायत हीं दी हो कि भाई गाने ऐसे बनाओ कि लोग झूम उठे.. वे गाने कितने दिन चलेंगे, इसका ख्याल रखने की कोई जरूरत नहीं। नहीं तो साज़िद-वाज़िद सुमधुर गाने देने में भी उस्ताद हैं। चलिए तो इन्हीं बातों के साथ आज की समीक्षा का समापन करते हैं। जाते-जाते स्वतंत्रता दिवस की बधाईयाँ भी लेते जाईये। जय हिन्द!
आवाज़ रेटिंग्स: दबंग: ***
और अब आज के ३ सवाल
TST ट्रिविया # ९१- संगीतकार जोड़ी साजिद-वाजिद इन दिनों किस रियल्टी शो में नज़र आ रहे हैं?
TST ट्रिविया # ९२- फ़ैज़ अनवर का एक बड़ा ही मशहूर गीत है जो आया था २००१ की एक फ़िल्म में। गीत के एक अंतरे की पंक्ति है "फूल सा खिल के महका है ये दिल, फिर तुझे छू के बहका है ये दिल"। गीत का मुखड़ा बताइए।
TST ट्रिविया # ९३- 'दबंग' और 'वी आर फ़मिली' के साउंडट्रैक में आप दो समनाताएँ बताएँ।
TST ट्रिविया में अब तक -
पिछले हफ़्ते के सवालों के जवाब:
१. तुलसी कुमार... एल्बम का नाम - "लव हो जाये"
२. रॉकफ़ोर्ड .. उस गाने को "के के" ने गाया था।
३. सलीम-सुलेमान
सीमा जी, आपने दो सवालों के सही जवाब दिए। तीसरे सवाल में शायद आप संगीतकार और प्रोगामर में कन्फ़्युज़ हो गईं। अगर जवाब "जतिन-ललित" होता तो हम पूँछते हीं क्यों? :) और वैसे भी टी०एस०टी० के किसी भी अंक में पूछा गया कोई भी सवाल उसी अंक से संबंधित होता है। तो फिर इस सवाल का जवाब तो "सलीम-सुलेमान" हीं होना था, क्योंकि सवाल में इस अंक के किसी और शख्स का तो नाम हीं नहीं आया था। आगे से ऐसे "हिंट्स" पर ध्यान रखिएगा। :)
विश्व दीपक - 'ताज़ा सुर ताल' के इस अंक में हम सभी का स्वागत करते हैं। सुजॊय जी, अब ऐसा लगने लगा है कि साल २०१० के हिट गीतों की फ़ेहरिस्त ने रफ़्तार पकड़ ली है; एक के बाद एक फ़िल्म आती जा रही है और हर फ़िल्म का कोई ना कोई गीत ज़रूर हिट हो रहा है।
सुजॊय - हिट गीतों की अगर बात करें तो कभी कभी कामयाब गीतों का फ़ॊरमुला फ़िल्मकारों और कुछ हद तक अभिनेता पर भी निर्भर करता है, ऐसा अक्सर देखा गया है। अब सलमान ख़ान को ही लीजिए, शायद ही उनका कोई फ़िल्म ऐसा होगा, जिसके गानें हिट ना हुए होंगे। वैसे तो उनकी फ़िल्में भी ख़ूब चलती हैं, लेकिन उनके फ़्लॊप फ़िल्मों के गानें भी कम से कम चल पड़ते हैं।
विश्व दीपक - ठीक कहा, इसी साल उनकी फ़िल्म 'वीर' बॉक्स ऑफ़िस पर नाकामयाब रही, लेकिन फ़िल्म के गाने चल पड़े थे, ख़ास कर "सलाम आया" गीत तो बहुत पसंद किया गया। पिछले कुछ सालों से सलमान ख़ान की फ़िल्मों में साजिद-वाजिद संगीत दे रहे हैं। 'तेरे नाम' की अपार कामयाबी के बावजूद सल्लु मिया ने हिमेश रेशम्मिया से साजिद वाजिद पर स्विच-ओवर कर लिया था। पिछले साल 'वाण्टेड' और इस साल जनवरी में प्रदर्शित 'वीर' के बाद अब सलमान और साजिद-वाजिद की तिकड़ी लेकर आए हैं फ़िल्म 'दबंग', और आज 'टी.एस.टी' में इसी फ़िल्म के गानें।
सुजॊय - 'दबंग' अभिनव कश्यप निर्देशित फ़िल्म है जिसमें सलमान ख़ान की नायिका बनी हैं नवोदित अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा। साथ मे हैं अरबाज़ ख़ान, सोनू सूद, विनोद खन्ना, डिम्पल कपाडिया, महेश मांजरेकर और ओम पुरी। यानी कि एक ज़बरदस्त स्टार-कास्ट है इस फ़िल्म में। साजिद वाजिद के धुनों पर गानें लिखे हैं जलीश शेरवानी ने। लेकिन एक गीत ललित पण्डित ने लिखा और स्वरबद्ध किया है। फ़ैज़ अनवर ने भी एक गीत लिखा है।
विश्व दीपक - कहते हैं सौ सुनार की एक लुहार की, तो यहाँ भी वही बात है, फ़ैज़ साहब ने जो एक गीत लिखा है, वही फ़िल्म के बाक़ी सभी गीतों पर भारी है। सुनते हैं राहत फ़तेह अली ख़ान और श्रेया घोषाल की आवाज़ों में वही गीत।
गीत - तेरे मस्त मस्त दो नैन
सुजॊय - वाह! अच्छा लगा। सूफ़ी क़व्वाली अंदाज़ का यह गीत राहत साहब के फ़िल्मी गायन करीयर का एक और यादगार गीत बनने जा रहा है। 'वीर' के "सुरीली अखियों वाली" के बाद, साजिद-वाजिद के लिए फिर एक बार उन्होंने अपने आप को सिद्ध किया है इस गीत में। साजिद वाजिद के कम्पोज़िशन्स की अच्छी बात यह लगती है कि वो भारतीय साज़ों की ध्वनियों का ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं जिससे गीत ज़्यादा कर्णप्रिय बन जाता है।
विश्व दीपक - और रही बात इस गीत के बोलों की, तो फ़ैज़ अनवर, जो एक अनुभवी फ़िल्मी गीतकार रहे हैं और ९० के दशक में बहुत सारे हिट गीत दिए हैं, उन्होंने काव्यात्मक शैली अख़्तियार करते हुए इस गीत में लिखा है "माही वे आप सा, दिल ये बेताब सा, तड़पा जाए तड़पा तड़पा जाए, नैनों के झील में, उतरा था युंही दिल, डूबा जाए डूबा डूबा जाए..."। कुल मिलाकर कह सकते हैं कि यह गीत हर लिहाज़ से सुपरहिट होने का स्तर रखता है। इस गीत के दो वर्ज़न हैं, हमने राहत साहब और श्रेया का युगल वर्ज़न सुना, राहत साहब का एकल वर्ज़न भी है। लगे हाथों उसे भी सुन लते हैं।
गीत - तेरे मस्त मस्त दो नैन (एकल)
सुजॊय - फ़िल्म का तीसरा गीत, या युं कहिए कि ऐल्बम का तीसरा गीत है "मुन्नी बदनाम" जिसे लिखा व स्वरबद्ध किया है जतिन ललित के ललित पण्डित ने। यह एक आइटम नंबर है जिसे ममता शर्मा और ऐश्वर्या ने गाया है। यह गीत मास के लिए है, क्लास के लिए नहीं। चलिए, इसे भी सुनते चलें....
गीत - मुन्नी बदनाम
विश्व दीपक - "मुन्नी बदनाम हुई डारलिंग तेरे लिए", आइटम नंबर होने के साथ इसमें कॊमिक एलीमेण्ट्स भी डाले गए हैं, जैसे कि "ले झंडु बाम हुई डारलिंग तेरे लिए", "शिल्पा सा फ़िगर, बेबो सी अदा" वगेरह। वैसे क्या आपको पता है कि यह गाना "उत्तर प्रदेश" के एक पुराने लोक-गीत "लौंडा बदनाम हुआ नसीबन तेरे लिए" से प्रेरित है। इसी लोक-गीत का इस्तेमाल बप्पी-लाहिड़ी भी एक फिल्म "रॉक डांसर" में कर चुके हैं, जहाँ "लौंडा बदनाम हुआ लौंडिया तेरे लिए" के बोल पर "जावेद जाफ़री" थिड़कते हुए नज़र आए थे। मुझे यह जानकारी मिलिब्लॉग और आईटूएफ़एस के कार्तिक से हासिल हुई है।
सुजॊय - बड़ी हीं अनूठी जानकारी है। खैर, इस मास नंबर के बाद बेहतर यही होगा कि हम अगले गीत की तरफ़ बढ़ें। ऐल्बम का चौथा गीत है सोनू निगम और श्रेया घोषाल का गाया एक नर्मोनाज़ुक रोमांटिक डुएट "चोरी किया रे जिया"। आइए सुनते हैं।
गीत - चोरी किया रे जिया
विश्व दीपक - वैसे तो सोनू और श्रेया के गाए कई यादगार डुएट्स हैं, इस गीत में वैसे कोई नई बात नहीं है, लेकिन गीत का रीदम और संगीत संयोजन अपीलिंग है। गिटार की मेलोडियस स्ट्रिंग्स और उस पर कैची बीट्स सुनने वाले को गीत के साथ जोड़े रखते हैं। सोनू और श्रेया की आवाज़ों ने फिर एक बार साबित किया कि आज के दौर में ये ही दो अव्वल नंबर पर हैं। साजिद-वाजिद ने बहुत से ऐसे रोमांटिक डुएट्स हमें दिए हैं जब भी उन्हें मौका दिया गया है। इस गीत को लिखा है जलीश शेरवानी ने जिन्होंने फ़िल्म 'मुझसे शादी करोगी' में भी "लाल दुपट्टा", "रब करे तुझको भी प्यार हो जाए" जैसे सफल रोमांटिक गीत लिख चुके हैं।
सुजॊय - अब बढ़ते हैं अगले गीत की तरफ़ जो है फ़िल्म का शीर्षक गीत, "हुड़ हुड़ दबंग"। विश्व दीपक जी, आपको "दबंग" शब्द का अर्थ पता है?
विश्व दीपक - हाँ, "दबंग" यानी "निडर" या "निर्भय", जिसे अंग्रेज़ी में "fearless" कह सकते हैं। लेकिन कहीं भी दबंग शब्द का इस्तेमाल पोजिटीव सेन्स में नहीं होता। हम जिस किसी को भी दबंग के विशेषण से नवाज़ते हैं तो इसका मतलब ये होता है कि वह इंसान शक्तिशाली है और दूसरों को दबा कर रखता है। आज भी गाँवों में जमींदारों को इसलिए दबंग कहते हैं क्योंकि वे गरीब जनता का हक़ मारते हैं और जनता उनसे डरी हुई रहती है। "दबंग" और "दलित" एक दूसरे के पूरक हैं। वह जो लोगों को अपनी जूतों तल दबा कर रखे वह "दबंग" और वह जो "दबा" हुआ हो वह "दलित"। इसलिए "दबंग" का अर्थ "निडर" होते हुए भी यह एक निगेटिव वर्ड है। मेरे हिसाब से फिल्म में भी इसी नकारात्मक अर्थ को दर्शाया गया है।
सुजॊय - अच्छा! तो चलिए यह गीत सुन लेते हैं जिसे सुनते हुए मुझे यकीन है आप सब को फ़िल्म 'ओमकारा' का शीर्षक गीत ज़रूर याद आ जाएगा। वैसे इस गीत में भी आवाज़ सुखविंदर सिंह की ही है जिन्होंने 'ओमकारा' का वह गीत गाया था; और इस गीत में सुखविंदर के साथ वाजिद ने भी आवाज़ मिलायी है। "हुड़ हुड़ दबंग" फ़िल्म में सलमान ख़ान के किरदार को वर्णित करता होगा, ऐसा प्रतीत होता है।
गीत - हुड़ हुड़ दबंग
विश्व दीपक - कुछ हेवी ड्रम्स और वायलिन्स का ज़बरदस्त इस्तेमाल हुआ है; लोक शैली में बनाया गया है गीत वाक़ई "ओमकारा" से मिलता जुलता है। लेकिन बोलों के लिहाज़ से "ओमकारा" इससे बहुत उपर ही रहेगा। ख़ैर, गीत बुरा नहीं है। और आइए अब फ़िल्म का अंतिम गीत सुन लिया जाए, यह एक क़व्वाली है वाजिद, मास्टर सलीम, शबाब साबरी और साथियों की आवाज़ों में। "हमका पीनी है" एक ग्रामीण लोक शैली वाला गीत है जो पूरी तरह से सिचुएशनल है। जलीश शेरवानी के बोल।
सुजॊय - फिर एक बार शायद मास नंबर है, ना कि क्लास। ढोलक का मुख्य रूप से इस्तेमाल है, लीजिए आप भी सुनिए।
गीत - हमका पीनी है
सुजॊय - इन छह गीतों को सुन कर यही कह सकता हूँ कि "तेरे मस्त मस्त दो नैन" ही ऐल्बम का सर्वोत्तम गीत है.. असल में दोनों वर्जन्स हीं कमाल के हैं। जैसा कि शुरु में आपने कहा था "सौ सुन्हार की, एक लुहार की", अब मैं भी सहमत हो गया हूँ आप से। सोनू-श्रेया का "चोरी किया रे जिया" भी कर्णप्रिय रहा। विश्व दीपक जी, आज हम 'दबंग' के साथ साथ 'वी आर फ़मिली' के भी कुछ गानें सुनवाने वाले थे। लेकिन 'वी आरे फ़मिली' के गीतों को जब मैंने सुना तो मुझे लगा कि इस फ़िल्म के सभी गीतों को सुनवाना चाहिए। इसलिए अगर संभव हुआ तो अगले हफ़्ते हम 'वी आर फ़ैमिली' के गानें लेकर हाज़िर होंगे। क्या ख़याल है?
विश्व दीपक - जी, आपने सही कहा। वास्तव में मैने अभी तक "वी आर फ़ैमिली" के गाने नहीं सुने, इसलिए प्रोमोज़ में गाने सुनकर मुझे लगा कि कुछ हीं गाने सुनने लायक हैं। और यही कारण है कि पिछले टीएसटी में मैंने यह कह दिया था कि दोनों फिल्मों के गाने साथ करेंगे। लेकिन चूँकि आपने गाने सुने हैं और आपको वे गाने पसंद आए हैं, तब दोनों एलबमों की समीक्षा साथ करने का कोई प्रश्न हीं नहीं उठता। तो अगली टीएसटी "वी आर फ़ैमिली" पर हीं सजेगी। अलग बात है कि उस वक़्त आपके साथ मैं नही सजीव जी रहेंगे, क्योंकि मैं दस दिनों के लिए नदारद होने वाला हूँ.. घर जा रहा हूँ "रक्षा बंधन" के लिए। २९ को लौटूँगा, उसके बाद मैं फिर से आपके साथ आ जाऊँगा। ठीक है? :) जहाँ तक "दबंग" का सवाल है, तो मेरे हिसाब से गाने "मास" के लिए इस कारण से हैं क्योंकि फिल्म हीं "मास" के लिए है। यह फिल्म "वांटेड" की तर्ज़ पर बनाई गई मालूम होती है। जिस तरह वांटेड के गाने क्रिटिक्स ने एलबम सुनने के बाद नकार दिए थे, लेकिन फिल्म रीलिज होने पर उन्हीं गानों ने धूम मचा दी थी। मेरे हिसाब से इस फिल्म के गाने भी फिल्म आने के बाद उसी तरह का कमाल करने वाले हैं। शायद सलमान खान ने "साज़िद-वाज़िद" को ऐसी हिदायत हीं दी हो कि भाई गाने ऐसे बनाओ कि लोग झूम उठे.. वे गाने कितने दिन चलेंगे, इसका ख्याल रखने की कोई जरूरत नहीं। नहीं तो साज़िद-वाज़िद सुमधुर गाने देने में भी उस्ताद हैं। चलिए तो इन्हीं बातों के साथ आज की समीक्षा का समापन करते हैं। जाते-जाते स्वतंत्रता दिवस की बधाईयाँ भी लेते जाईये। जय हिन्द!
आवाज़ रेटिंग्स: दबंग: ***
और अब आज के ३ सवाल
TST ट्रिविया # ९१- संगीतकार जोड़ी साजिद-वाजिद इन दिनों किस रियल्टी शो में नज़र आ रहे हैं?
TST ट्रिविया # ९२- फ़ैज़ अनवर का एक बड़ा ही मशहूर गीत है जो आया था २००१ की एक फ़िल्म में। गीत के एक अंतरे की पंक्ति है "फूल सा खिल के महका है ये दिल, फिर तुझे छू के बहका है ये दिल"। गीत का मुखड़ा बताइए।
TST ट्रिविया # ९३- 'दबंग' और 'वी आर फ़मिली' के साउंडट्रैक में आप दो समनाताएँ बताएँ।
TST ट्रिविया में अब तक -
पिछले हफ़्ते के सवालों के जवाब:
१. तुलसी कुमार... एल्बम का नाम - "लव हो जाये"
२. रॉकफ़ोर्ड .. उस गाने को "के के" ने गाया था।
३. सलीम-सुलेमान
सीमा जी, आपने दो सवालों के सही जवाब दिए। तीसरे सवाल में शायद आप संगीतकार और प्रोगामर में कन्फ़्युज़ हो गईं। अगर जवाब "जतिन-ललित" होता तो हम पूँछते हीं क्यों? :) और वैसे भी टी०एस०टी० के किसी भी अंक में पूछा गया कोई भी सवाल उसी अंक से संबंधित होता है। तो फिर इस सवाल का जवाब तो "सलीम-सुलेमान" हीं होना था, क्योंकि सवाल में इस अंक के किसी और शख्स का तो नाम हीं नहीं आया था। आगे से ऐसे "हिंट्स" पर ध्यान रखिएगा। :)
Comments
Sa Re Ga Ma Pa
regards
regards