ताज़ा सुर ताल ३२/२०१०
सुजॊय - नमस्कार! आप सभी को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनएँ और विश्व दीपक जी, आपको भी।
विश्व दीपक - सभी श्रोताओं व पाठकों और सुजॉय, तुम्हे भी मेरी ओर से ढेरों शुभकमानाएँ! सुजॉय, रक्षाबंधन भाई बहन के प्यार का पर्व है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधते हुए उसके सुरक्षा की कामना करती है और भाई भी अपनी बहन को ख़ुश रखने और उसकी रक्षा करने का प्रण लेता है। कुल मिलाकर पारिवारिक सौहार्द का यह त्योहार है।
सुजॉय - जी हाँ, यह एक पारिवारिक त्योहार है और आपने परिवार, यानी फ़ैमिली का ज़िक्र छेड़ा तो मुझे याद आया कि पिछले हफ़्ते हमने वादा किया था कि इस हफ़्ते हम 'टी.एस.टी' में 'वी आर फ़ैमिली' के गानें सुनवाएँगे। तो लीजिए, रक्षाबंधन पर आप सभी अपने फ़मिली के साथ आनंद लीजिए इसी फ़िल्म के गानों का। आज छुट्टी का दिन है, आप सब के फ़ैमिली मेम्बर्स घर पर ही मौजूद होंगे, तो राखी पर्व की ख़ुशियाँ मनाइए 'वी आर फैमिली' के गीतों को सुनते हुए।
विश्व दीपक - इससे पहले की फ़िल्म का पहला गाना सुनें, मैं यह बता दूँ कि यह धर्मा प्रोडक्शन्स यानी कि करण जोहर की निर्मित फ़िल्म है, जिसका निर्देशन किया है सिद्धार्थ पी. मल्होत्रा ने। फ़िल्म में संगीत भी करण जोहर के पसंदीदा संगीतकार तिकड़ी शंकर-अहसान-लॉय ने दिया है तथा गानें इसमें लिखे हैं इरशाद कामिल और अन्विता दत्तगुप्तन ने। फ़िल्म के मुख्य कलाकार हैं काजोल, करीना कपूर, अर्जुन रामपाल, आँचल मुन्जल, नोमिनाथ जिन्स्बर्ग और दीया सोनेचा। आइए सुनते हैं फ़िल्म का पहला गीत राहत फ़तेह अली ख़ान, श्रेया घोषाल और शंकर महादेवन की आवाज़ों में।
गीत - आँखों में नींदें
सुजॉय - सुरीला गाना है, शंकर-अहसान-लॉय का स्टाइल साफ़ झलकता है, बीट्स भी उनके पिछले करण जोहर की फ़िल्मों के गीतों की तरह है। श्रेया और राहत साहब के जो शास्त्रीय शैली में आलाप गाए हैं, उससे गीत को एक अलग मुकाम मिला है। श्रेया और राहत साहब के गाए "तेरी ओर" गीत की तरह यह गीत भी बहुत सुरीला है और इसे भी ख़ूब सुना जाएगा ऐसा मेरा विश्वास है।
विश्व दीपक - और गीतकार की बात करें तो इरशाद कामिल ने प्रीतम के साथ ही सब से ज़्यादा काम किया है। पहली बार शंकर-अहसान-लॉय के लिए उन्होंने गीत लिखा है इस फ़िल्म में। आपने बीट्स की बात की तो मुझे भी फ़ील हुआ कि इस तिकड़ी ने यही बीट्स 'कल हो ना हो' फ़िल्म के "कुछ तो हुआ है"। चलिए अब आगे बढ़ा जाए, और सुना जाए इस फ़िल्म का शायद सब से चर्चित गीत जिसे फ़िल्म के प्रोमोज़ में ख़ूब दिखाया और बजाया गया है। एल्विस प्रेस्ली के मशहूर रॉक सॉन्ग "जेल-हाउस रॉक" से इन्स्पायर्ड यह गीत है "दिल खोल के लेट्स रॉक", सुनते हैं...
गीत -दिल खोल के लेट्स रॉक
सुजॉय - सुनने में आया है कि एल्विस प्रेस्ली की इस धुन का इस्तेमाल करने से पहले इसकी अनुमति ली गई है। फ़िल्म में यह गीत काजोल, करीना और अर्जुन पर फ़िल्माया गया है और आवाज़ें हैं अनुष्का मनचन्दा, आकृति कक्कर और सूरज जगन की। शंकर-अहसान-लॉय ने एल्विस के कॉम्पोज़िशन और अरेंजमेण्ट के साथ भी छेड़-छाड़ नहीं किया है और ्जैसा कि हमने बताया कि इसकी अनुमति ली गई है, तो एक तरह से इसे एल्विस के गीत का official adaptation भी कह सकते हैं।
विश्व दीपक - इस गीत को लिखा है अन्विता दत्तगुप्तन ने जो आज के दौर की सक्रीय गीतकार बनती जा रही हैं। उन्होंने बस यही गीत इस फ़िल्म में लिखा है। "मुझे नहीं पता मैं क्या गाउँगी, उल्टे सीधे लफ़्ज़ों से बनाउँगी", "मैं तो भूल गई फिर क्या वर्डिंग्स थे" जै्सी लाइनों की कल्पना शायद दस साल पहले भी फ़िल्मी गीतों में नहीं की जा सकती थी। इसमें कोई शक़ नहीं धीरे धीरे फ़िल्मों की कहानियाँ और गानें हक़ीक़त की ज़िंदगी के ज़्यादा करीब आती जा रही हैं।
सुजॉय - वैसे तो जैसा कि आपने कहा कि एल्विस का ही अरेंजमेण्ट बरकरार है, बस दूसरे इंटरल्युड में कुछ देसी ठेकों का भी मज़ा लिया जा सकता है। कुल मिलाकर सिचुएशनल गीत है, लेकिन इसे अलग सुनते हुए भी ख़ूब मज़ा आता है। यह गीत भी मेरे ख़याल से लम्बे समय तक पसंद किया जाएगा। और अब फ़िल्म का तीसरा गीत जो पिछले गीत के मुकाबले बिलकुल ही अलग हट कर है, आइए पहले सुन लेते हैं।
गीत - रहम-ओ-करम
विश्व दीपक - "रहम-ओ-करम" शंकर महादेवन और विशाल दादलानी की आवाज़ों में था और इसे सुनते हुए 'माइ नेम इज़ ख़ान' के "नूर-ए-ख़ुदा" की याद आ ही जाती है जिसे शंकर महादेवन के साथ अदनान सामी और श्रेया घोषाल ने गाया था। "रहम-ओ-करम" दरसल एक फ़्युज़न है, एक तरफ़ सूफ़ी रंग भी है और संगीत में सॉफ्ट रॉक अपील भी। शंकर और विशाल ने एक प्रार्थना की तरह इस गीत को गाया है और कोरस का इस्तेमाल भी सुंदर तरीके से किया गया है।
सुजॉय - जब कोरस "रहम-ओ-करम" गाते हैं, तो ज़रा सी "तेरी है ज़मीं तेरा आसमाँ" की भी शायद एक हल्की सी झलक मिल जाती है। शायद वजह है चर्च में कॊयर की जो गायन शैली होती है, उस तरह की गायकी इन दोनों में प्रयोग हुआ है। ईलेक्ट्रिक गीटार और परक्युशन्स का इस्तेमाल इस गीत के अरेंजमेण्ट की विशेषताएँ हैं। अब अगले गीत की तरफ़ बढ़ा जाए, सोनू निगम और श्रेया घोषाल की आवाज़ें इस हफ़्ते भी जारी है, एक और नर्मो-नाज़ुक रोमांटिक डुएट। सुनिए...
गीत - हमेशा ऐण्ड फ़ॉरेवर दिल में तू
विश्व दीपक - सुजॉय, आपने अभी कुछ देर पहले चर्च-कॉयर की बात की थी, तो इस गीत में भी कोरल का जिस तरह से इस्तेमाल किया गया है, वह भी उसी अंदाज़ का है। पियानो का बड़ा ही सुरीला इस्तेमाल पूरे गीत में होता है। यह भी एक सॊफ़्ट रॊक नंबर है और सोनू और श्रेया की आवाज़ों ने गीत के साथ पूरा पूरा न्याय किया है। यह गीत भले चार्ट-बस्टर ना साबित हो, लेकिन इस तरह के गानों के क़द्रदानों की भी कोई कमी नहीं है, और अच्छे संगीत के क़द्रदान इस गीत को हाथों-हाथ ग्रहण करेंगे, ऐसी उम्मीद हम रखते हैं।
सुजॉय - "हमेशा ऐण्ड फ़ॉरएवर" की धुन को ही जारी रखते हुए शंकर-अहसान-लॉय ने बनाया है एक और ऐसा ही सॉफ़्ट नंबर "सुन ले दुआ ये आसमान", जिसे बेला शेण्डे ने गाया है। यह पिछले गीत से भी ज़्यादा धीमा है, और जो शायद करण जोहर स्टाइल के जज़्बाती थीम म्युज़िक की श्रेणी में स्थान रखता है। चलिए यह गीत भी सुन लिया जाए और फिर उसके बाद हम इस पूरे ऐल्बम के बारे में अपनी राय बताएँगे।
गीत - सुन ले दुआ ये आसमान
सुजॉय - तो फ़िल्म के सभी ५ गानें हमने सुनें। हर गीत को अलग अलग सुना जाए तो सभी गानें अच्छे हैम इसमें कोई शक़ नहीं, लेकिन जो गानें मुझे ख़ास पसंद आए, वो हैं "आँखों में नींदें" और "रहम-ओ-करम"। 'वी आर फ़ैमिली' ऐल्बम को 'अबव ऐवरेज' ही माना जाना चाहिए, सभी गानें सिचुएशनल है या थीम बेस्ड हैं, और फ़िल्म की कामयाबी पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है। फ़िल्म चल पड़ी तो इन गीतों भी बढ़ावा मिलेगा। तो मेरी तरफ़ से इस ऐल्बम को ३.५ की रेटिंग, और आप सभी को यही कहेंगे कि आज इस ख़ुशी के अवसर पर, यानी रक्षाबंधन पर दिल खोल के लेट्स रॉक!!!
विश्व दीपक - वैसे कोई भी गीत ऐसा नहीं है जिसके बारे में कहा जा सके कि धूम मचा देंगें, पर सभी गीत सुरीले और सोलफुल अवश्य हैं. फिल्म में काजोल है तो एक जबरदस्त अभिनय की उनसे उम्मीद रहेगी. आपने सही कहा गारा फिल्म दर्शकों के मन छू पाए तो इसके संगीत भी चल निकलेगा....
आवाज़ रेटिंग्स: वी आर फैमिली: ***
और अब आज के ३ सवाल
TST ट्रिविया # ९४- अन्विता दत्तगुप्तन का लिखा वव कौन सा गीत है जिसे गा कर शिल्पा राव को पुरस्कार मिला था?
TST ट्रिविया # ९५- एल्विस प्रेस्ली के "जेल-हाउस रॉक" गीत को Rolling Stone's List of The 500 Greatest Songs of All Time में कौन सा स्थान मिला है?
TST ट्रिविया # ९६- करण-जोहर और शंकर-अहसान-लॉय के अलावा 'कल हो ना हो' और 'वी आर फ़मिली' के संगीत में और क्या समानता आप ढूँढ़ सकते हैं?
TST ट्रिविया में अब तक -
पिछले हफ़्ते के सवालों के जवाब:
१. ज़ी सा रे गा मा
२. "छोटी छोटी रातें लम्बी हो जाती हैं" (तुम बिन)
३. दोनों में राहत फ़तेह अली ख़ान - श्रेया घोषाल तथा सोनू निगम - श्रेया घोषाल के गाए युगल गीत हैं।
एक बार फिर सीमा जी २ सही जवाबों के साथ हाज़िर हुई, बधाई
सुजॊय - नमस्कार! आप सभी को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनएँ और विश्व दीपक जी, आपको भी।
विश्व दीपक - सभी श्रोताओं व पाठकों और सुजॉय, तुम्हे भी मेरी ओर से ढेरों शुभकमानाएँ! सुजॉय, रक्षाबंधन भाई बहन के प्यार का पर्व है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधते हुए उसके सुरक्षा की कामना करती है और भाई भी अपनी बहन को ख़ुश रखने और उसकी रक्षा करने का प्रण लेता है। कुल मिलाकर पारिवारिक सौहार्द का यह त्योहार है।
सुजॉय - जी हाँ, यह एक पारिवारिक त्योहार है और आपने परिवार, यानी फ़ैमिली का ज़िक्र छेड़ा तो मुझे याद आया कि पिछले हफ़्ते हमने वादा किया था कि इस हफ़्ते हम 'टी.एस.टी' में 'वी आर फ़ैमिली' के गानें सुनवाएँगे। तो लीजिए, रक्षाबंधन पर आप सभी अपने फ़मिली के साथ आनंद लीजिए इसी फ़िल्म के गानों का। आज छुट्टी का दिन है, आप सब के फ़ैमिली मेम्बर्स घर पर ही मौजूद होंगे, तो राखी पर्व की ख़ुशियाँ मनाइए 'वी आर फैमिली' के गीतों को सुनते हुए।
विश्व दीपक - इससे पहले की फ़िल्म का पहला गाना सुनें, मैं यह बता दूँ कि यह धर्मा प्रोडक्शन्स यानी कि करण जोहर की निर्मित फ़िल्म है, जिसका निर्देशन किया है सिद्धार्थ पी. मल्होत्रा ने। फ़िल्म में संगीत भी करण जोहर के पसंदीदा संगीतकार तिकड़ी शंकर-अहसान-लॉय ने दिया है तथा गानें इसमें लिखे हैं इरशाद कामिल और अन्विता दत्तगुप्तन ने। फ़िल्म के मुख्य कलाकार हैं काजोल, करीना कपूर, अर्जुन रामपाल, आँचल मुन्जल, नोमिनाथ जिन्स्बर्ग और दीया सोनेचा। आइए सुनते हैं फ़िल्म का पहला गीत राहत फ़तेह अली ख़ान, श्रेया घोषाल और शंकर महादेवन की आवाज़ों में।
गीत - आँखों में नींदें
सुजॉय - सुरीला गाना है, शंकर-अहसान-लॉय का स्टाइल साफ़ झलकता है, बीट्स भी उनके पिछले करण जोहर की फ़िल्मों के गीतों की तरह है। श्रेया और राहत साहब के जो शास्त्रीय शैली में आलाप गाए हैं, उससे गीत को एक अलग मुकाम मिला है। श्रेया और राहत साहब के गाए "तेरी ओर" गीत की तरह यह गीत भी बहुत सुरीला है और इसे भी ख़ूब सुना जाएगा ऐसा मेरा विश्वास है।
विश्व दीपक - और गीतकार की बात करें तो इरशाद कामिल ने प्रीतम के साथ ही सब से ज़्यादा काम किया है। पहली बार शंकर-अहसान-लॉय के लिए उन्होंने गीत लिखा है इस फ़िल्म में। आपने बीट्स की बात की तो मुझे भी फ़ील हुआ कि इस तिकड़ी ने यही बीट्स 'कल हो ना हो' फ़िल्म के "कुछ तो हुआ है"। चलिए अब आगे बढ़ा जाए, और सुना जाए इस फ़िल्म का शायद सब से चर्चित गीत जिसे फ़िल्म के प्रोमोज़ में ख़ूब दिखाया और बजाया गया है। एल्विस प्रेस्ली के मशहूर रॉक सॉन्ग "जेल-हाउस रॉक" से इन्स्पायर्ड यह गीत है "दिल खोल के लेट्स रॉक", सुनते हैं...
गीत -दिल खोल के लेट्स रॉक
सुजॉय - सुनने में आया है कि एल्विस प्रेस्ली की इस धुन का इस्तेमाल करने से पहले इसकी अनुमति ली गई है। फ़िल्म में यह गीत काजोल, करीना और अर्जुन पर फ़िल्माया गया है और आवाज़ें हैं अनुष्का मनचन्दा, आकृति कक्कर और सूरज जगन की। शंकर-अहसान-लॉय ने एल्विस के कॉम्पोज़िशन और अरेंजमेण्ट के साथ भी छेड़-छाड़ नहीं किया है और ्जैसा कि हमने बताया कि इसकी अनुमति ली गई है, तो एक तरह से इसे एल्विस के गीत का official adaptation भी कह सकते हैं।
विश्व दीपक - इस गीत को लिखा है अन्विता दत्तगुप्तन ने जो आज के दौर की सक्रीय गीतकार बनती जा रही हैं। उन्होंने बस यही गीत इस फ़िल्म में लिखा है। "मुझे नहीं पता मैं क्या गाउँगी, उल्टे सीधे लफ़्ज़ों से बनाउँगी", "मैं तो भूल गई फिर क्या वर्डिंग्स थे" जै्सी लाइनों की कल्पना शायद दस साल पहले भी फ़िल्मी गीतों में नहीं की जा सकती थी। इसमें कोई शक़ नहीं धीरे धीरे फ़िल्मों की कहानियाँ और गानें हक़ीक़त की ज़िंदगी के ज़्यादा करीब आती जा रही हैं।
सुजॉय - वैसे तो जैसा कि आपने कहा कि एल्विस का ही अरेंजमेण्ट बरकरार है, बस दूसरे इंटरल्युड में कुछ देसी ठेकों का भी मज़ा लिया जा सकता है। कुल मिलाकर सिचुएशनल गीत है, लेकिन इसे अलग सुनते हुए भी ख़ूब मज़ा आता है। यह गीत भी मेरे ख़याल से लम्बे समय तक पसंद किया जाएगा। और अब फ़िल्म का तीसरा गीत जो पिछले गीत के मुकाबले बिलकुल ही अलग हट कर है, आइए पहले सुन लेते हैं।
गीत - रहम-ओ-करम
विश्व दीपक - "रहम-ओ-करम" शंकर महादेवन और विशाल दादलानी की आवाज़ों में था और इसे सुनते हुए 'माइ नेम इज़ ख़ान' के "नूर-ए-ख़ुदा" की याद आ ही जाती है जिसे शंकर महादेवन के साथ अदनान सामी और श्रेया घोषाल ने गाया था। "रहम-ओ-करम" दरसल एक फ़्युज़न है, एक तरफ़ सूफ़ी रंग भी है और संगीत में सॉफ्ट रॉक अपील भी। शंकर और विशाल ने एक प्रार्थना की तरह इस गीत को गाया है और कोरस का इस्तेमाल भी सुंदर तरीके से किया गया है।
सुजॉय - जब कोरस "रहम-ओ-करम" गाते हैं, तो ज़रा सी "तेरी है ज़मीं तेरा आसमाँ" की भी शायद एक हल्की सी झलक मिल जाती है। शायद वजह है चर्च में कॊयर की जो गायन शैली होती है, उस तरह की गायकी इन दोनों में प्रयोग हुआ है। ईलेक्ट्रिक गीटार और परक्युशन्स का इस्तेमाल इस गीत के अरेंजमेण्ट की विशेषताएँ हैं। अब अगले गीत की तरफ़ बढ़ा जाए, सोनू निगम और श्रेया घोषाल की आवाज़ें इस हफ़्ते भी जारी है, एक और नर्मो-नाज़ुक रोमांटिक डुएट। सुनिए...
गीत - हमेशा ऐण्ड फ़ॉरेवर दिल में तू
विश्व दीपक - सुजॉय, आपने अभी कुछ देर पहले चर्च-कॉयर की बात की थी, तो इस गीत में भी कोरल का जिस तरह से इस्तेमाल किया गया है, वह भी उसी अंदाज़ का है। पियानो का बड़ा ही सुरीला इस्तेमाल पूरे गीत में होता है। यह भी एक सॊफ़्ट रॊक नंबर है और सोनू और श्रेया की आवाज़ों ने गीत के साथ पूरा पूरा न्याय किया है। यह गीत भले चार्ट-बस्टर ना साबित हो, लेकिन इस तरह के गानों के क़द्रदानों की भी कोई कमी नहीं है, और अच्छे संगीत के क़द्रदान इस गीत को हाथों-हाथ ग्रहण करेंगे, ऐसी उम्मीद हम रखते हैं।
सुजॉय - "हमेशा ऐण्ड फ़ॉरएवर" की धुन को ही जारी रखते हुए शंकर-अहसान-लॉय ने बनाया है एक और ऐसा ही सॉफ़्ट नंबर "सुन ले दुआ ये आसमान", जिसे बेला शेण्डे ने गाया है। यह पिछले गीत से भी ज़्यादा धीमा है, और जो शायद करण जोहर स्टाइल के जज़्बाती थीम म्युज़िक की श्रेणी में स्थान रखता है। चलिए यह गीत भी सुन लिया जाए और फिर उसके बाद हम इस पूरे ऐल्बम के बारे में अपनी राय बताएँगे।
गीत - सुन ले दुआ ये आसमान
सुजॉय - तो फ़िल्म के सभी ५ गानें हमने सुनें। हर गीत को अलग अलग सुना जाए तो सभी गानें अच्छे हैम इसमें कोई शक़ नहीं, लेकिन जो गानें मुझे ख़ास पसंद आए, वो हैं "आँखों में नींदें" और "रहम-ओ-करम"। 'वी आर फ़ैमिली' ऐल्बम को 'अबव ऐवरेज' ही माना जाना चाहिए, सभी गानें सिचुएशनल है या थीम बेस्ड हैं, और फ़िल्म की कामयाबी पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है। फ़िल्म चल पड़ी तो इन गीतों भी बढ़ावा मिलेगा। तो मेरी तरफ़ से इस ऐल्बम को ३.५ की रेटिंग, और आप सभी को यही कहेंगे कि आज इस ख़ुशी के अवसर पर, यानी रक्षाबंधन पर दिल खोल के लेट्स रॉक!!!
विश्व दीपक - वैसे कोई भी गीत ऐसा नहीं है जिसके बारे में कहा जा सके कि धूम मचा देंगें, पर सभी गीत सुरीले और सोलफुल अवश्य हैं. फिल्म में काजोल है तो एक जबरदस्त अभिनय की उनसे उम्मीद रहेगी. आपने सही कहा गारा फिल्म दर्शकों के मन छू पाए तो इसके संगीत भी चल निकलेगा....
आवाज़ रेटिंग्स: वी आर फैमिली: ***
और अब आज के ३ सवाल
TST ट्रिविया # ९४- अन्विता दत्तगुप्तन का लिखा वव कौन सा गीत है जिसे गा कर शिल्पा राव को पुरस्कार मिला था?
TST ट्रिविया # ९५- एल्विस प्रेस्ली के "जेल-हाउस रॉक" गीत को Rolling Stone's List of The 500 Greatest Songs of All Time में कौन सा स्थान मिला है?
TST ट्रिविया # ९६- करण-जोहर और शंकर-अहसान-लॉय के अलावा 'कल हो ना हो' और 'वी आर फ़मिली' के संगीत में और क्या समानता आप ढूँढ़ सकते हैं?
TST ट्रिविया में अब तक -
पिछले हफ़्ते के सवालों के जवाब:
१. ज़ी सा रे गा मा
२. "छोटी छोटी रातें लम्बी हो जाती हैं" (तुम बिन)
३. दोनों में राहत फ़तेह अली ख़ान - श्रेया घोषाल तथा सोनू निगम - श्रेया घोषाल के गाए युगल गीत हैं।
एक बार फिर सीमा जी २ सही जवाबों के साथ हाज़िर हुई, बधाई
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regards
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