Skip to main content

ख्वाब क्यों ???...कविताओं में जवाब तलाशता एक सवाल

शब्दों की चाक पर - एपिसोड 07

शब्दों की चाक पर हमारे कवि मित्रों के लिए हर हफ्ते होती है एक नयी चुनौती, रचनात्मकता को संवारने  के लिए मौजूद होती है नयी संभावनाएँ और खुद को परखने और साबित करने के लिए तैयार मिलता है एक और रण का मैदान. यहाँ श्रोताओं के लिए भी हैं कवि मन की कोमल भावनाओं उमड़ता घुमड़ता मेघ समूह जो जब आवाज़ में ढलकर बरसता है तो ह्रदय की सूक्ष्म इन्द्रियों को ठडक से भर जाता है. तो दोस्तों, इससे पहले कि  हम पिछले हफ्ते की कविताओं को आत्मसात करें, आईये जान लें इस दिलचस्प खेल के नियम - 


1. कार्यक्रम की क्रिएटिव हेड रश्मि प्रभा के संचालन में शब्दों का एक दिलचस्प खेल खेला जायेगा. इसमें कवियों को कोई एक थीम शब्द या चित्र दिया जायेगा जिस पर उन्हें कविता रचनी होगी...ये सिलसिला सोमवार सुबह से शुरू होगा और गुरूवार शाम तक चलेगा, जो भी कवि इसमें हिस्सा लेना चाहें वो रश्मि जी से संपर्क कर उनके फेसबुक ग्रुप में जुड सकते हैं, रश्मि जी का प्रोफाईल यहाँ है.


2. सोमवार से गुरूवार तक आई कविताओं को संकलित कर हमारे पोडकास्ट टीम के हेड पिट्सबर्ग से अनुराग शर्मा जी अपने साथी पोडकास्टरों के साथ इन कविताओं में अपनी आवाज़ भरेंगें. और अपने दिलचस्प अंदाज़ में इसे पेश करेगें.

3. हमारी टीम अपने विवेक से सभी प्रतिभागी कवियों में से किसी एक कवि को उनकी किसी खास कविता के लिए सरताज कवि चुनेगें. आपने अपनी टिप्पणियों के माध्यम से ये बताना है कि क्या आपको हमारा निर्णय सटीक लगा, अगर नहीं तो वो कौन सी कविता जिसके कवि को आप सरताज कवि चुनते. 

चलिए अब लौटते हैं अनुराग शर्मा और अभिषेक ओझा की तरफ जो आज आपके लिए लेकर आये हैं एक सवाल और उसके कुछ उलझे सुलझे जवाब. आज के कार्यक्रम की स्क्रिप्ट लिखी है हमारे प्लेबैक इंडिया के प्यारे सदस्य विश्व दीपक ने. तो दोस्तों सुनिए सुनाईये और छा जाईये...

(नीचे दिए गए किसी भी प्लेयेर से सुनें)





या फिर यहाँ से डाउनलोड करें 

Comments

Shaifali said…
अनुरागजी और अभिषेकजी की आवाज में इतनी सौम्यता है की 'ख्वाब क्यों', इस शीर्षक से लिखी कवितायेँ किसी ख्वाब के सच होने जैसी उमंग नस-नस में भर रही है. समयाभाव के कारण मैं सभी की कवितायेँ पेज पर नहीं पढ़ पाई, लेकिन इतनी अद्भुत आवाज में कवितायेँ सुनकर दिल खुश हो गया, और फिर सारी कवितायेँ मैंने पढ़ ली :) . मेरी कविता को आवाज देने के लिए हार्दिक धन्यवाद. अपनी ही कविता को एक नए भाव से सुना. बहुत अच्छा लगा. सभी कवियों को बधाई और आदरणीय रश्मिजी, अनुरागजी और अभिषेकजी को धन्यवाद.
Rajesh Kumari said…
बहुत सुन्दर प्रस्तुति आवाज में कोई व्यवधान नहीं एक दम स्पष्ट अनुराग जी और अभिषेक जी की कमाल की प्रस्तुति सभी कवियों की बेहतरीन प्रविष्टियाँ आप सभी को बधाई आज की सरताज कवयित्री सरस्वती माथुर जी को बहुत बहुत हार्दिक बधाई
saraswati mathur jee ko haardik badhaee.anurag abhishek dway ko bhee khoobsoorat bhaavpoorna prastutee ke liye bahut bahut dhanyawaad......anokha ehsaas hai.....pahlee baar apnee kavita sun raha hoon.
बहुत बढ़िया .सरस्वती जी को बहुत बहुत बधाई ...कविता को यूँ धीमे धीमे संगीत और बढ़िया स्क्रिप्ट के साथ सुनना अदभुत लगा ..बधाई एक बार फिर से पूरी टीम को ...
शानदार ..... विश्व दीपक जी से आरम्भ ... सब ख़्वाबों के खूबसूरत हकीकत से लगे
सरस्वती जी को बहुत बहुत बधाई
Anonymous said…
डॉ सरस्वती का कहना है ...... सजीवजी , अनुरागजी, अभिषेक जी व् रश्मि जी बहुत बहुत आभार मेरी कविताओं को शब्दों की चाक में शामिल करके उन्हें पसंद करने के लिए ! पूरे हफ्ते अनुरागजी व् अभिषेक जी की आवाज को सुनने की अकुलाहट रहती है, बैचनी से इंतज़ार रहता है, और इतने सुंदर तरीके से उनका प्रस्तुतीकरण होता है की देर तक उनकी आवाज़ की गूँज मन में रहती है ...बार बार सुनने का मन होता है ...पूरी टीम को बहुत- बहुत बधाई ! मेरा आभार भी स्वीकारें ..डॉ सरस्वती माथुर
Bahut bahut shukriya is team ko ........yeh teesra mouka hai jab meri kavita ko swar diya gya ........ hats off to u all
सदा said…
बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति

आपका यह प्रयास बेहद सराहनीय है ... जिसके लिए पूरी टीम बधाई की पात्र है ... आभार


कल 18/07/2012 को आपकी इस पोस्‍ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!


'' ख्वाब क्यों ???...कविताओं में जवाब तलाशता एक सवाल''
vandana gupta said…
सरस्वती जी को बहुत बहुत बधाई…………बेहद उम्दा प्रयास है पूरी टीम बधाई की पात्र है।
badhai ........ specially Saraswati jee ko:)
Disha said…
bahut hi sundar prastuti
wow!!!!!!!!!!!!!awesome !!!!!



ख्वाब देखो कि अनंत जीवन के राही हो ...जिओ ऐसे कि आज ही मरण हो ..
ख्वाब ऐसे देखो कि चांदनी में राह मिल जाए
सजा ऐसे पाओ कि सुबह आप को पहले नजर आ जाए:-)
शब्दों की चाक पर उगल रहे शब्द अनुरागजी और अभिषेक जी की आवाज़ में रंग रहे हैं ...
खूबसूरत गीत के साथ प्रस्तुति बहुत बेहतरीन बन पड़ी है .
सरस्वती जी को बहुत- बहुत बधाई
शुभकामनायें !
poonam said…
khubsurat

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे...

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु...

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन...