Skip to main content

पॉडकास्ट कवि सम्मेलन का शक्ति विशेषांक

इंटरनेटीय कवि सम्मेलन का 15वाँ अंक

Rashmi Prabha
रश्मि प्रभा
Khushboo
खुश्बू
इन दिनों पूरे भारतवर्ष में दुर्गा पूजा की धूम है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार देवी दुर्गा शक्तिरूप हैं। शक्ति का एक नाम ऊर्जा भी है। भारतीय दर्शन में ऊर्जा को ही अंतिम सत्य माना गया है। यदि हम पदार्थों के विभाजन की क्वार्क संकल्पना से भी सूक्ष्मत्तम किसी अविभाजित ईकाई की कल्पना करें तो वह भी ऊर्जा का ही समग्र रूप होगा। यानी ऊर्जा मूल में है, शक्ति मूल में है। शायद तभी कहते हैं कि तमाम तरह के गुणधर्मों से युक्त शिव भी बिना शक्ति के शव (मृत) है।

हम इस शक्ति के विभिन्न रूपों से हमेशा ही अपने जीवन में एकाकार होते रहते हैं। इस बार का पॉडकास्ट कवि सम्मेलन शक्ति के व्यापक रूपों की पड़ताल करने की एक कोशिश है। पिछली बार की तरह अपनी समर्थ आवाज़ और संचालन से शक्ति के विभिन्न स्वरों को पिरोने का काम किया है कवयित्री रश्मि प्रभा ने और तकनीकी ताना-बाना खुश्बू का है। श्रोताओं को याद होगा कि सितम्बर माह के इस कवि-सम्मेलन के लिए हमने 'शक्ति' को विषय के रूप में चुना था।

अब तो यह आप ही बतायेंगे कि इसे सफल बनाने में हमारी टीम ने कितनी शक्ति लगाई है।



वीडियो देखें-










प्रतिभागी कवि- नीलम प्रभा, सरस्वती प्रसाद, प्रीती मेहता, किरण सिन्धु, संगीता स्वरुप, रेणु सिन्हा, शन्नो अग्रवाल, मुकेश पाण्डेय, विवेकरंजन श्रीवास्तव, प्रो.सी.बी श्रीवास्तव।

नोट - अगले माह यानी अक्तूबर माह के पॉडकास्ट कवि सम्मलेन के लिए सभी प्रतिभागी कवियों के लिए हमने एक थीम निर्धारित किया है। "हिन्दी'। अपनी मातृभाषा की स्थिति को लेकर आपके दिमाग में तरह-तरह के विचार आते होंगे। बहुत से उद्‍गार, बहुत सी चिताएँ और बहुत सी सम्भावनाएँ आपकी कल्पना-शक्ति ने आपको दिये हैं। तो 'हिन्दी' पर अपनी कलम चलाइए और कविता रिकॉर्ड करके भेज दीजिइ। हमारी कोशिश रहेगी कि आपकी कविताओं पर एक वीडियो का भी निर्माण करें।


संचालन- रश्मि प्रभा

तकनीक- खुश्बू


यदि आप इसे सुविधानुसार सुनना चाहते हैं तो कृपया नीचे के लिंकों से डाउनलोड करें-

ऑडियोWMAMP3
वीडियोOgg (.ogv)WMVMPEG




आप भी इस कवि सम्मेलन का हिस्सा बनें

1॰ अपनी साफ आवाज़ में अपनी कविता/कविताएँ रिकॉर्ड करके भेजें।
2॰ जिस कविता की रिकॉर्डिंग आप भेज रहे हैं, उसे लिखित रूप में भी भेजें।
3॰ अधिकतम 10 वाक्यों का अपना परिचय भेजें, जिसमें पेशा, स्थान, अभिरूचियाँ ज़रूर अंकित करें।
4॰ अपना फोन नं॰ भी भेजें ताकि आवश्यकता पड़ने पर हम तुरंत संपर्क कर सकें।
5॰ कवितायें भेजते समय कृपया ध्यान रखें कि वे 128 kbps स्टीरेओ mp3 फॉर्मेट में हों और पृष्ठभूमि में कोई संगीत न हो।
6॰ उपर्युक्त सामग्री भेजने के लिए ईमेल पता- podcast.hindyugm@gmail.com
7. अक्तूबर 2009 अंक के लिए कविता की रिकॉर्डिंग भेजने की आखिरी तिथि- 17 अक्टूबर 2009
8. अक्टूबर 2009 अंक का पॉडकास्ट सम्मेलन रविवार, 25 अक्टूबर 2009 को प्रसारित होगा।


रिकॉर्डिंग करना कोई बहुत मुश्किल काम नहीं है। हमारे ऑनलाइन ट्यूटोरियल की मदद से आप सहज ही रिकॉर्डिंग कर सकेंगे। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।

# Podcast Kavi Sammelan. Part 15. Month: September 2009.
कॉपीराइट सूचना: हिंद-युग्म और उसके सभी सह-संस्थानों पर प्रकाशित और प्रसारित रचनाओं, सामग्रियों पर रचनाकार और हिन्द-युग्म का सर्वाधिकार सुरक्षित है।

Comments

कवि सम्मेलन का वीडियों मेरे क्म्प्यूटर पर चल नहीं रहा है तथा ओडियों में भी कुछ कवियों की रचनाएं सुनाई नहीं दे रहीं हैं ।
कृपया आप डाउनलोड़ लिकों से ऑडियो का mp3 और वीडियो का wmv डाउनलोड कर लें। उसके बाद अपने कम्प्यूटर पर चलायें तो शायद ठीक चले।
वाह रेशमी जी और खुशबू जी, बेहद शक्ति और उर्जा से भरी प्रस्तुति लगी.....विडियो काफी मेहनत से तैयार किया है आप लोगों ने...बस एक ही बात की कमी अब लगती है इस आयोजन में.....जितनी रेशमी जी की आवाज़ साफ़ सुनाई देती है उतनी सभी कवियों की आवाज़ भी एक पिच पर आ जाए तो मज़ा आ जाए......उन सभी को जो इस आयोजन का हिस्सा हैं उन सब को मेरी बधाई
शुक्रिया सभी सुननेवालों का.....मेरा भी विनम्र निवेदन है कि आप जब भी अपनी आवाज़ भेजें,खुद सुनें , आवाज़ स्पष्ट औत तेज हो तो सम्मलेन का आकर्षण बढ़ेगा
Manju Gupta said…
रश्मि जी के संचालन में नवरात्रे पर दुर्गा माँ की स्तुति से ,नीलम जी की स्त्री पर कविता व अन्य ]कवियों की कविताएँ सुनकर सारा परिवेश शक्तिमय हो गया . बहुत ही उत्कृष्ट कार्यक्रम लगा .अंत में -या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरु........
शक्ति को केंद्र करके आयोजित किये गए इस सफल कवि सम्मेलन से जुड़े सभी बुद्धिजीवियो को हार्दिक बधाई | अपराजिता कल्याणी जी द्वारा स्वयं के स्वर में की गयी शक्ति की स्तुति बहुत कर्णप्रिय और आत्मा को सुकून पहुचाने वाली थी | कविताये सभी सशक्त थी, खास करके सरस्वती प्रसाद जी द्वारा सुनाई गयी कविता प्रभावी लगी | अगले कवि सम्मेलन का बेसब्री से ईन्तजार रहेगा |
कवि सम्म्ेलन का आडियो ही सुना गया बहुत बहुत सुन्दर प्रस्तुति है पूरी टीम को बहुत बहुत बधाई
shanno said…
रश्मि जी,
सदा की तरह इस बार भी आपका संचालन आपकी प्यारी आवाज़ व प्रभावशाली शब्दों की अभिव्यक्ति से सम्पूर्ण रहा. इसकी बधाई! इसी तरह से आगे भी इस कवि-सम्मलेन को सफलता मिलती रहे और जो कमियाँ हैं उनमें सुधार आता रहे, ऐसी कामना करती हूँ. आपको व सभी कविजनों और श्रोताओं को मेरी तरफ से भी दशेहरा की तमाम शुभकामनाएं.
शक्ति विषय पर कविताएं सुना अच्छी लगी
रश्मि प्रभा जी का संचालन भी पसंद आया
हिंदी कवियों के लीये यह बहुत ही अच्छा मंच है
जानकर मन कों प्रसन्नता भी मिली
Shamikh Faraz said…
हर बार की तरह यह आयोजन भी सफल रहा . मुबारकबाद. सभी की कवितायेँ बढ़िया लगीं.

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु की

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन दस थाट