Skip to main content

अरे कैसे मिलेगा मुझ जैसा हीरो....एक मस्ती भरा गीत गोपाल राव और महालक्ष्मी अय्यर का गाया

ताजा सुर ताल (22)

ताजा सुर ताल में आज में आज सुनिए एक कम चर्चित फिल्म का कम चर्चित मगर शानदार गीत

सजीव- सुजॉय, आज हम अपने श्रोताओं को कौन सी अपकमिंग फ़िल्म के संगीत से अवगत करवाने जा रहे हैं?

सुजॉय- आज हम चर्चा करेंगे 'लव खिचड़ी' फ़िल्म की और ये फिल्म अपकमिंग नहीं रही, फिल्म आ चुकी है और अधिकतर सिनेमाघरों से जा भी चुकी है, लेकिन इस फिल्म का एक गीत ख़ास ध्यान आकर्षित करता है जो आज हम सुनवाएँगे।

सजीव- अच्छा, नाम से तो लगता है कि यह कोई कॉमेडी फ़िल्म होगी, क्या ख़याल है?

सुजॉय- हाँ, यह कॊमेडी फ़िल्म ही है, और यह भी आपको बता दूँ कि इसकी कहानी कॉपी की गई है एक ऐसी हॉलीवुड फ़िल्म से, और यह हॉलीवुड फ़िल्म कॉपी है एक अमेरिकन टीवी धारावाहिक 'किचन confidentials' की।

सजीव- यानी कि चोर पे मोर!

सुजॉय- सजीव जी, ज़रा ज़बान संभाल के, सभ्य समाज में इसे चोरी नहीं कहते, इसे कहते हैं 'इन्स्पायर्ड', यानी कि प्रेरीत!

सजीव- बिल्कुल बिल्कुल, ग़लती हो गई मुझसे! इस फ़िल्म में नायक हैं रणदीप हुडा जो फ़िल्म में एक लड़कीबाज़ नौजवान का रोल अदा कर रहे हैं। साथ मे हैं सदा, रितुपर्णा सेनगुप्ता, सोनाली कुल्कर्णी, दिव्या दत्ता, कल्पना पंडित, जेसी रंधवा और रिया सेन।

सुजॉय- यानी कि नायिकाओं की भरमार है फ़िल्म में। अच्छा संगीतकार कौन है?

सजीव- प्रीतम। सुजॉय, आज के दौर के कामयाब संगीतकारों में प्रीतम ऐसे संगीतकार हैं जो सही रूप में नए गायकों को मौके दे रहे हैं। इस फ़िल्म में उन्होने गोपाल राव और सुनिता सारथी जैसे नए गायकों से गाने गवाए हैं।

सुजॉय- ये आपने बिल्कुल ठीक बात कही है, प्रीतम ने हर फ़िल्म में कम से कम एक नए कलाकार को मौका दिया है। अब इसी फ़िल्म में कुल पाँच गीतों में से दो गीतों को इन दो नए गायकों से गवाए हैं। बाक़ी के तीन गीत गाए हैं शान, श्रेया घोषाल और अलिशा चुनॉय ने।

सजीव- सुजॉय, कई बार फिल्म के न चलने से अच्छे गीत भी लोगों तक पहुँचने से वंचित रह जाते हैं, आज का प्रस्तुत गीत भी कुछ ऐसा ही है। 'लव आजकल', 'न्युयार्क', और 'लाइफ़ पार्ट्नर' के कामयाब संगीत के बाद प्रीतम तो सब से आगे चल रहे हैं इस साल। एक के बाद एक उनकी फिल्में आई जा रही है, अगर वो इसी रफ़्तार से काम करेंगें तो उनका हाल भी नदीम श्रवण जैसा हो जायेगा....मैं तो हैरान होता है की एक संगीतकार एक साथ कैसे इतनी सारी फिल्मों पर ध्यान दे पाता है.

सुजॉय- हाँ इतना सारा कार एक साथ करने पर संगीत की गुणवतत्ता पर असर पड़ना लाजमी ही है ।

सजीव- वैसे आज जिस गीत को हमें चुना है प्रीतम का रचा, उसके बारे में आपका क्या ख़याल है..

सुजॉय- मैने इस गीत को सुना है हाल ही में, एक 'रोक्किंग song' है, और इसका संगीत भी प्रीतम के दूसरे गीतों से बिल्कुल अलग है। गीत फ़िल्म के किसी 'सिचुयशन' पर लिखा गया होगा, ऐसा लगता है। इसके गीतकार कौन हैं, कुछ पता है?

सजीव- हाँ, इस फ़िल्म के सभी गीत सिचुयशनल' हैं, यानी कि बे-मतलब का कोई गीत ज़बरदस्ती नहीं डाला गया है। जहाँ तक गीतकारों का सवाल है, तो अमिताभ वर्मा और शालीन शर्मा ने गानें लिखे हैं।

सुजॉय- यानी कि गीतकार भी नए?

सजीव- हाँ।

सुजॉय- यह एक पेपी नंबर है, जैसा कि गीत के बोल हैं "मेरा नशा है तुम पर चढ़ा है जो, डर है मज़ा है नज़दीक आती रहो", तो हम भी यही कामना करेंगे कि इस गीत का नशा लोगों पर चढ़े और लम्बे समय तक इसका सुरूर बरक़रार रहे। गोपाल राव की आवाज़ बिल्कुल ताज़े हवा के झोंके की तरह सुनाई दी मुझे । मुझे तो अच्छी लगी उनकी आवाज़, एक यूथ अपील है इस नई आवाज़ में, आपका क्या कहना है सजीव?

सजीव- सही कहा तुमने, उम्मीद करते हैं कि दूसरे संगीतकारों की भी नज़र इन पर जल्द ही पड़ेगी, और जहाँ तक गीत का सवाल है ये इस साल आये कुछ बेहतरीन गीतों में से है यकीनन, मुझे इस गीत का संगीत संयोजन जबरदस्त लगा, पियानों के थिरकते नोट्स पर जैज़ बीट्स कमाल का नशा पैदा कर देते हैं.

सुजॉय- तो चलिए, अब सुनते हैं गोपाल राव और महालक्ष्मी अय्यर का गाया आज का ताज़ा सुर ताल, मेरी तरफ़ से गीत को ३.५.

सजीव - बिलकुल सुजॉय मैं भी इस गीत को ३.५ अंक दूंगा, एक और ख़ास बात ये है की ये गीत लगभग ९.५ मिनट लम्बा है, जैसे की आजकल के अधिकतर गीत नहीं होते, और ४ लम्बे लम्बे अंतरे हैं....पर हमें यकीं है की इस गीत को हमारे श्रोता भी उतना ही एन्जॉय करेंगें जितना हमने किया



आवाज़ की टीम ने दिए इस गीत को 3.5 की रेटिंग 5 में से. अब आप बताएं आपको ये गीत कैसा लगा? यदि आप समीक्षक होते तो प्रस्तुत गीत को 5 में से कितने अंक देते. कृपया ज़रूर बताएं आपकी वोटिंग हमारे सालाना संगीत चार्ट के निर्माण में बेहद मददगार साबित होगी.

क्या आप जानते हैं ?
आप नए संगीत को कितना समझते हैं चलिए इसे ज़रा यूं परखते हैं.एक ताजा गीत में "मर्तबा" शब्द का बहुत खूब इस्तेमाल हुआ है, कौन है इस गीत के गीतकार ...बताईये और हाँ जवाब के साथ साथ प्रस्तुत गीत को अपनी रेटिंग भी अवश्य दीजियेगा.

पिछले सवाल का सही जवाब दिया एक बार फिर से सीमा जी ने, बहुत बहुत बधाई, सागर जी आपने गलती दुरुस्त की उसके लिए धन्येवाद....और आपको गीत पसंद आया जानकर ख़ुशी हुई...



अक्सर हम लोगों को कहते हुए सुनते हैं कि आजकल के गीतों में वो बात नहीं. "ताजा सुर ताल" शृंखला का उद्देश्य इसी भ्रम को तोड़ना है. आज भी बहुत बढ़िया और सार्थक संगीत बन रहा है, और ढेरों युवा संगीत योद्धा तमाम दबाबों में रहकर भी अच्छा संगीत रच रहे हैं, बस ज़रुरत है उन्हें ज़रा खंगालने की. हमारा दावा है कि हमारी इस शृंखला में प्रस्तुत गीतों को सुनकर पुराने संगीत के दीवाने श्रोता भी हमसे सहमत अवश्य होंगें, क्योंकि पुराना अगर "गोल्ड" है तो नए भी किसी कोहिनूर से कम नहीं. क्या आप को भी आजकल कोई ऐसा गीत भा रहा है, जो आपको लगता है इस आयोजन का हिस्सा बनना चाहिए तो हमें लिखे.

Comments

seema gupta said…
Music Director : Sidhartha Suhas

regards
Manju Gupta said…
जवाब -संगीत निर्देशक -सिद्धार्थ सुहास हैं .
रेटिंग ३/५ दूंगी .
Manish Kumar said…
Pata nahin ye geet mujhe to bilkul nahin bhaya
Shamikh Faraz said…
सीमा जी का जवाब नहीं.

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे...

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु...

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन...