Skip to main content

मने कही दो....आशुतोष गोवारिकर ने क्यों खेला नए संगीतकार सोहैल सेन पर दांव "व्हाट यौर राशि" के लिए

ताजा सुर ताल (21)

ताजा सुर ताल में आज में आज सुनिए गुजराती अंदाज़ में ढाला एक प्यारा सा गीत

सजीव- सुजॉय, तुमने किसी अभिनेता को एक ही फ़िल्म में सब से ज़्यादा कितने किरदार निभाते हुए देखा है?

सुजॉय - जहाँ तक मुझे याद है, संजीव कुमर ने 'नया दिन नई रात' में नौ किरदार निभाए थे। क्या इससे भी ज़्यादा कोई उदाहरण है?

सजीव- हाँ मराठी अभिनेता राजेश श्रृंगारपुरे ने "शंभू मज़ा नावाचा" में १२ अलग अलग किरदारों को निभाया था...

सुजॉय - वाह, यह तो मुझे मालूम नहीं था। लेकिन आज हम इन सब बातों में क्यों उलझ रहे हैं सजीव?

सजीव - वही तो, आज हम सुनने जा रहें हैं फ़िल्म 'व्हाट्स योर राशी' का एक गीत। इस फ़िल्म में प्रियंका चोपड़ा ने कुल १२ किरदार निभाए हैं १२ अलग अलग राशी के लड़कियों के। और यह दिखाया गया है कि किस राशी के किस तरह के चरित्र, गुण और स्वभाव होते हैं अमूमन...

सुजॉय - अच्छा तो ये बात है! इस फ़िल्म में प्रियंका के साथ नज़र आएँगे हरमन बवेजा, जिनका 'लव स्टोरी २०५०' से फ़िल्म जगत में पदार्पण हुआ था बतौर नायक। इस फ़िल्म में भी प्रियंका बनीं थीं उनकी नायिका। फ़िल्म तो बुरी तरह पिटी थी, लेकिन शान का गाया गीत "मिलो ना मिलो" काफ़ी हिट हुआ था।

सजीव- उसके बाद 'विक्टरी' नामक फ़िल्म में भी हरमन कुछ कमाल नहीं दिखा सके। अब देखा यह है कि इस फ़िल्म में वो क्या कमाल दिखाते हैं! अच्छा, तुम्हे पता है 'व्हाट्स योर राशी' के संगीतकार कौन हैं?

सुजॉय - हाँ, ये एक नए संगीतकार हैं, उनका नाम है सोहैल सेन, जो कि एक गायक भी हैं।

सजीव- ठहरो सुजय, कहीं ये सोहैल सेन वही तो नहीं जिन्होने २००८ की फ़िल्म 'सिर्फ़' मे संगीत दिया था?

सुजॉय - बिल्कुल ठीक! सोहैल सेन और शिवानी कश्यप ने मिलकर उस गुमनाम फ़िल्म का संगीत तैयार किया था। लेकिन हैरत की बात है कि आशुतोश गोवारिकर एक तो इस तरह की हास्य फ़िल्म पहली बार बना रहे हैं (स्वदेस, लगान, जोधा अक़बर जैसी फ़िल्में बनानेवाले) और दूसरे कि उन्होंने ए. आर. रहमान के बदले इस नए संगीतकार को मौका दिया है।

सजीव- मैं भी हैरान हूँ, और ख़ास तौर से इस बात पे हैरान हूँ कि इस फ़िल्म में कुल १३ गानें हैं जिनमें से १२ गानों में १२ अलग अलग राशियों के किरदारों को दर्शाया गया है। ऐसे महत्वपूर्ण गीतों के लिए किसी सुप्रतिष्ठित संगीतकार के बजाय इस नए कलाकार को मौका देने के पीछे आशुतोश का कोई तो प्लान ज़रूर होगा! अब देखना यह है कि सोहैल आशुतोश के उम्मीदों पर कितने खरे उतरते हैं।

सुजॉय - हाँ सजीव, १३ अलग अलग तरह के गीतों का संगीत एक दम से तैयार करना आसान काम नहीं है, सोहैल की तारीफ़ किए बगैर आगे नहीं बढ़ा जा सकता। और ज़रूरी बात यह भी है कि सोहैल ने और संगीतकारों की तरह इस फ़िल्म में ना ही पंजाबी भँगड़े का सहारा नहीं लिया और ना ही हिप-हॊप शैली का रुख़ किया।

सजीव- गीत सुनवाने से पहले हम अपने श्रोताओं और पाठकों को ये बारह गीत और उनसे जुड़ी राशी के बारे में बता देते हैं।

सुजॉय - ज़रूर!

Aries - व्हाट्स यौर राशी (शीर्षक गीत)
Aquarius - जायो ना
Gemini - आजा लहराते
Cancer - बिखरी बिखरी
तुला - मानूँगा मानूँगा
मीन - सौ जनम
scropio - आ ले चल
कन्या- प्यारी प्यारी
Taurus - सु छे
Sagittarius - सलौने क्या
सिंह - धड़कन धड़कन
Capricorns - कोई जाने ना

और जो तेरहवाँ गीत है, "चेहरे जो देखे हैं", वह इन सभी गीतों का निचोड़ है, यानी कि हीरो उन सभी १२ लड़कियों के बारे में कहता है जिनसे वो मिला है।

सजीव- जब इतने सारे गानें हैं तो ज़ाहिर है बहुत से गायकों ने अपनी आवाज़ मिलाई होगी?

सुजॉय - बिल्कुल हाँ, कुछ नए, कुछ पुराने। सोहैल सेन तो हैं ही, साथ में हैं अल्का याज्ञ्निक, मधुश्री, अस्लेशा गोवारिकर, तरन्नुम मलिक, बेला शेंडे, उदित नारायण, रजब अली भारती, भाव्या पंडित, शान, मरियन डी'क्रुज़, पमेला जैन, और ख़ुद आशुतोश गोवारिकर भी।

सजीव- हाँ, मैने आशुतोश की आवाज़ महसूस की है "मानूँगा मानूँगा" गीत में। मुझे तो 'स्वदेस' फ़िल्म का वह गीत "पल पल है भारी विपदा है आई" याद आ गई। और भाव्या पंडित भी वही लड़की है न जिसे हमने 'इंडियन आइडल' में देखा था पिछले साल?

सुजॉय - हाँ, मुझे भी ऐसा ही लगता है। तो सजीव, इतने सारे गीतों में से कौन सा गीत सुनवाया जाए?

सजीव- चलो "सु छे" सुनते हैं और सभी को सुनवाते हैं। क्योंकि यह फ़िल्म एक गुजराती कहानी पर आधारित है, तो गुजराती अंदाज़ वाला यह गीत सुनवाने का कुछ अर्थ तो बनता है। इस गीत को गाया है सोहैल सेन और बेला शेंडे ने। तुमने तो गीत को सुना होगा, कितने अंक दोगे इसे?

सुजॉय - माफ़ी चाहूँगा, लेकिन मैं २.५ से ज़्यादा नहीं दे पा रहा हूँ, संगीत में ना कुछ नयापन दिखा और बहुत ही साधारण कोम्पोसिशन लगा मुझे। X-factor की कमी लगी, बाक़ी सोहैल सेन की क़िस्मत! मैं उन्हे शुभकामनाएँ देता हूँ कि आगे चलकर वो एक कामयाब संगीतकार बनें और अच्छे से अच्छा संगीत सुननेवालो को दें।

सजीव - आ हाँ ....यहाँ एक एक कैच है सुजॉय....दरअसल ये गीत जब मैंने भी पहली बार सुना था मुझे भी कुछ खास नहीं लगा पर मेरी छठी इन्द्री कहती है कि इस गीत कुछ तो ख़ास है, तभी मैंने इसे चुना....बेला ने जिस अंदाज़ में "माने कही दे" बोला है वो धीरे धीरे अपना असर करता है....हाँ दूसरे हिस्से सोहेल की आवाज़ आने पर गीत कुछ कमजोर सा हो जाता है फिर भी मैं इसे ५ में ३ अंक दूंगा, वैसे इस फिल्म के किसी भी गीत में X फैक्टर जैसी कोई बात नहीं है, पर मुझे लगता है यदि ये गीत अच्छे फिल्माए गए हों और फिल्म दिलचस्प बनी हो तो सभी गीत फिल्म के साथ न्याय कर जायेंगें....

सुजॉय - ठीक है सजीव तो बाकी काम श्रोताओं पर छोड़ते हैं......और सुनते हैं "सो छे...."



आवाज़ की टीम ने दिए इस गीत को 2.75 की रेटिंग 5 में से. अब आप बताएं आपको ये गीत कैसा लगा? यदि आप समीक्षक होते तो प्रस्तुत गीत को 5 में से कितने अंक देते. कृपया ज़रूर बताएं आपकी वोटिंग हमारे सालाना संगीत चार्ट के निर्माण में बेहद मददगार साबित होगी.

क्या आप जानते हैं ?
आप नए संगीत को कितना समझते हैं चलिए इसे ज़रा यूं परखते हैं.फिल्म मोहनदास में दो गीतकारों ने गीत लिखे हैं, कौन हैं इस साहित्यिक कृति पर आधारित फिल्म के गीतकार और संगीतकार...बताईये और हाँ जवाब के साथ साथ प्रस्तुत गीत को अपनी रेटिंग भी अवश्य दीजियेगा.

पिछले सवाल का सही जवाब दिया का सही जवाब दिया एक बार फिर सीमा जी ने. उदय प्रकाश जी से हम आपकी मुलाकात भी जल्द ही करायेंगें...इस शृंखला में....मंजू जी और शमिख जी ने भी रेटिंग दी धन्येवाद...



अक्सर हम लोगों को कहते हुए सुनते हैं कि आजकल के गीतों में वो बात नहीं. "ताजा सुर ताल" शृंखला का उद्देश्य इसी भ्रम को तोड़ना है. आज भी बहुत बढ़िया और सार्थक संगीत बन रहा है, और ढेरों युवा संगीत योद्धा तमाम दबाबों में रहकर भी अच्छा संगीत रच रहे हैं, बस ज़रुरत है उन्हें ज़रा खंगालने की. हमारा दावा है कि हमारी इस शृंखला में प्रस्तुत गीतों को सुनकर पुराने संगीत के दीवाने श्रोता भी हमसे सहमत अवश्य होंगें, क्योंकि पुराना अगर "गोल्ड" है तो नए भी किसी कोहिनूर से कम नहीं. क्या आप को भी आजकल कोई ऐसा गीत भा रहा है, जो आपको लगता है इस आयोजन का हिस्सा बनना चाहिए तो हमें लिखे.

Comments

seema gupta said…
Lyricist: VK Sonakia , Yash Malviya,
Music Director: Vivek Priyadarshan
regards
regards
Manju Gupta said…
मोहनदास के गीतकार- विवेक प्रियादर्शन हैं
संगीतकार- वि.के.सोलंकिया और यश मालवीय हैं .
राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शौहरत पाई है.
Manju Gupta said…
मोहनदास को रेटिंग ३ /५ दूंगी .
बहुत खूब...
मैं सामान्यत: नये गाने सुनना कम ही पसन्द करता हूं और अगर शास्त्रीय संगीत पर आधारित ना हो तो बिल्कुल भी नहीं।
आज कई दिनों बाद आवाज पर आना हुआ, और यह पोस्ट दिखी, पढ़ने के बाद सुनने का मन हुआ; यकीन मानिये गीत इतना अच्छा लगा कि लगातार पांच छ: बार सुना।
इस गीत को सुनने के बाद और मेरे हिसाब से सोहैल पूरे अंकों से पास हुए, इनका भविष्य उज्जवल है। बेला ने भी वाकई कमाल किया है।
इसे मैं रेटिंग 3.5 देना चाहूंगा।
और हां गीत का नाम शुं छे, सो छे नहीं।
:)
Shamikh Faraz said…
मैं गीत को २.५/५ दूंगा.

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु की

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन दस थाट