ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 189
मुकेश के साथ राज कपूर और शंकर जयकिशन के नाम इस तरह से जुड़े हुए हैं कि ऐसा लगता है जैसे इन्ही के लिए मुकेश ने सब से ज़्यादा गानें गाये होंगे। लेकिन हक़ीक़त कुछ और ही है। मुकेश जी ने सब से ज़्यादा गानें संगीतकार जोड़ी कल्याणजी-आनंदजी के लिए गाये हैं। ख़ास कर जब दर्द भरे मशहूर गीतों की बात चलती है तो कल्याणजी-आनंदजी के लिए गाए उनके गीतों की एक लम्बी सी फ़ेहरिस्त बन जाती है। आज एक ऐसा ही गीत आपको सुनवा रहे हैं जो मुकेश जी को बेहद पसंद था। मनोज कुमार की सुपर हिट देश भक्ति फ़िल्म 'पूरब और पश्चिम' का यह गीत है "कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे, तड़पता हुआ जब कोई छोड़ दे, तब तुम मेरे पास आना प्रिये, मेरा दर खुला है खुला ही रहेगा तुम्हारे लिए"। इंदीवर जी ने इस गीत में प्यार करने का एक अलग ही तरीका इख्तियार किया है कि नायक का प्यार इतना गहरा है कि वह नायिका को जीवन के किसी भी मोड़ पर, किसी भी वक़त, किसी भी हालत में अपना लेगा, नायिका कभी भी उसके पास वापस लौट सकती है। "अभी तुमको मेरी ज़रूरत नहीं, बहुत चाहनेवाले मिल जाएँगे, अभी रूप का एक सागर हो तुम, कमल जितने चाहोगी खिल जाएँगे, दर्पण तुम्हे जब डराने लगे, जवानी भी दामन छुड़ाने लगे, तब तुम मेरे पास आना प्रिये, मेरा सर झुका है झुका ही रहेगा तुम्हारे लिए"। इससे बेहतरीन अभिव्यक्ति शायद ही कोई शब्दों में लिख सके। दोस्तों, इंदीवर जी का लिखा यह मेरा सब से पसंदीदा गीत रहा है। इस गीत के रिकार्डिंग से जुड़ा एक मज़ेदार क़िस्सा आनंदजी ने विविध भारती के 'उजाले उनकी यादों के' कार्यक्रम में बताया था। जब आनंदजी भाई से पूछा गया कि "मुकेश जी के साथ रिकार्डिंग कैसा रहता था? एक ही टेक में गाना रिकार्ड हो जाता था?", तो इसके जवाब में आनंदजी बोले, "मुकेश जी के केस में उल्टा था, बार बार वो रीटेक करवाते थे। किसी किसी दिन तो गाना बार बार सुनते सुनते लोग बोर हो जाते थे, म्युज़िशियन्स थक जाते थे। अब यह जो गाना है 'पूरब और पश्चिम' का, "कोई जब तुम्हारा...", यह हमने शुरु किया शाम ३ बजे, और रीटेक करते करते गाना जाके रिकार्ड हुआ अगले दिन सुबह ७ बजे। इस गाने में एक शब्द आता है "प्रिये", तो मुकेश जी को यह शब्द प्रोनाउंस करने में मुश्किल हो रही थी, वो 'परिये परिये' बोल रहे थे। एक समय तो वो गुस्से में आकर बोले कि 'यह क्या गाना बनाया है, यह मुझसे गाया नहीं जाएगा"। इस घटना को याद करते हुए आनंदजी की बार बार हँसी छूट रही थी उस कार्यक्रम में।
इस मज़ेदार किस्से के बाद आनंदजी ने मुकेश जी की तारीफ़ भी ख़ूब की थी, एक और अंश यहाँ प्रस्तुत है उस तारीफ़ की - "मुकेश जी इतने अच्छे थे, मैं एक क़िस्सा सुनाता हूँ आप को, एक बार बाहर जा रहे थे, दिल्ली जाना था उनको, और यहाँ पर शूटिंग आ गयी। तो गाना रिकार्ड करना था, हमने यह तय किया कि फ़िल्हाल किसी डबिंग आर्टिस्ट से गाना गवा लिया जाए, बाद में मुकेश जी की आवाज़ में कर देंगे। सुमन कल्याणपुर के साथ गाना था, तो हमने नया सिंगर मनहर उधास से गाना गवा लिया। बाद में सब कुछ मुकेश जी को बताया गया और गाना भी उन्हे सुनाया तो उन्होने कहा कि 'इसमें क्या बुरा है?' इसी को रख लो न, यह अच्छा है! इसमें बुरा क्या है! अभी तो नये आएँगे ही न? हम भी कभी नए थे कि नहीं!' इस तरह के, खुले दिल से, यह कहने के बाद भी उन्होने कभी किसी से नहीं कहा कि 'मैने गाना मनहर उधास को दे दिया, नहीं। वो गहरे आदमी थे, बड़े आदमी थे, इस तरह की सोच उनमें नहीं थी, इस तरह की बातें नहीं करते थे कभी।" दोस्तों, मनहर उधास के गाए जिस गीत का ज़िक्र अभी हमने किया वह फ़िल्म 'विश्वास' का था "आप से हमको बिछड़े हुए एक ज़माना बीत गया"। दोस्तों, अब वापस आते हैं मुकेश के गाए आज के गीत पर, सुनिए इंदीवर, कल्याणजी-आनंदजी और मुकेश की सदाबहार तिकड़ी के संगम से उत्पन्न यह 'एवरग्रीन सॊंग'।
गीत के बोल:
कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे
तड़पता हुआ जब कोई छोड़ दे
तब तुम मेरे पास आना प्रिये
मेरा दर खुला है खुला ही रहेगा
तुम्हारे लिये, कोई जब ...
अभी तुमको मेरी ज़रूरत नहीं
बहुत चाहने वाले मिल जाएंगे
अभी रूप का एक सागर हो तुम
कंवल जितने चाहोगी खिल जाएंगे
दरपन तुम्हें जब डराने लगे
जवानी भी दामन छुड़ाने लगे
तब तुम मेरे पास आना प्रिये
मेरा सर झुका है झुका ही रहेग
तुम्हारे लिये, कोई जब ...
कोई शर्त होती नहीं प्यार में
मगर प्यार शर्तों पे तुमने किया
नज़र में सितारे जो चमके ज़रा
बुझाने लगीं आरती का दिया
जब अपनी नज़र में ही गिरने लगो
अंधेरों में अपने ही घिरने लगो
तब तुम मेरे पास आना प्रिये
ये दीपक जला है जला ही रहेग
तुम्हारे लिये, कोई जब ...
और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. याद रहे सबसे पहले सही जवाब देने वाले विजेता को मिलेंगें 2 अंक और 25 सही जवाबों के बाद आपको मिलेगा मौका अपनी पसंद के 5 गीतों को पेश करने का ओल्ड इस गोल्ड पर सुजॉय के साथ. देखते हैं कौन बनेगा हमारा तीसरा (पहले दो गेस्ट होस्ट बने हैं शरद तैलंग जी और स्वप्न मंजूषा जी)"गेस्ट होस्ट". अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं-
१. जब भी मुकेश की याद आती है यही गीत सदा बन दिल से निकलता है.
२. आशा भोंसले की आवाज़ में इस फिल्म का और गीत अभी कुछ दिन पहले ही बजा था इस शृंखला में.
३. एक अंतरा शुरू होता है इस शब्द से -"बचपन".
पिछली पहेली का परिणाम -
पूर्वी जी ने सही जवाब देकर कमाए २ और अंक और आपका स्कोर हुआ १८. दिलीप जी आपकी बात से हम भी बहुत हद तक सहमत हैं. पाबला जी आपका हुक्म सर आँखों पर....अन्य सभी श्रोताओं का भी आभार
खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी
मुकेश के साथ राज कपूर और शंकर जयकिशन के नाम इस तरह से जुड़े हुए हैं कि ऐसा लगता है जैसे इन्ही के लिए मुकेश ने सब से ज़्यादा गानें गाये होंगे। लेकिन हक़ीक़त कुछ और ही है। मुकेश जी ने सब से ज़्यादा गानें संगीतकार जोड़ी कल्याणजी-आनंदजी के लिए गाये हैं। ख़ास कर जब दर्द भरे मशहूर गीतों की बात चलती है तो कल्याणजी-आनंदजी के लिए गाए उनके गीतों की एक लम्बी सी फ़ेहरिस्त बन जाती है। आज एक ऐसा ही गीत आपको सुनवा रहे हैं जो मुकेश जी को बेहद पसंद था। मनोज कुमार की सुपर हिट देश भक्ति फ़िल्म 'पूरब और पश्चिम' का यह गीत है "कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे, तड़पता हुआ जब कोई छोड़ दे, तब तुम मेरे पास आना प्रिये, मेरा दर खुला है खुला ही रहेगा तुम्हारे लिए"। इंदीवर जी ने इस गीत में प्यार करने का एक अलग ही तरीका इख्तियार किया है कि नायक का प्यार इतना गहरा है कि वह नायिका को जीवन के किसी भी मोड़ पर, किसी भी वक़त, किसी भी हालत में अपना लेगा, नायिका कभी भी उसके पास वापस लौट सकती है। "अभी तुमको मेरी ज़रूरत नहीं, बहुत चाहनेवाले मिल जाएँगे, अभी रूप का एक सागर हो तुम, कमल जितने चाहोगी खिल जाएँगे, दर्पण तुम्हे जब डराने लगे, जवानी भी दामन छुड़ाने लगे, तब तुम मेरे पास आना प्रिये, मेरा सर झुका है झुका ही रहेगा तुम्हारे लिए"। इससे बेहतरीन अभिव्यक्ति शायद ही कोई शब्दों में लिख सके। दोस्तों, इंदीवर जी का लिखा यह मेरा सब से पसंदीदा गीत रहा है। इस गीत के रिकार्डिंग से जुड़ा एक मज़ेदार क़िस्सा आनंदजी ने विविध भारती के 'उजाले उनकी यादों के' कार्यक्रम में बताया था। जब आनंदजी भाई से पूछा गया कि "मुकेश जी के साथ रिकार्डिंग कैसा रहता था? एक ही टेक में गाना रिकार्ड हो जाता था?", तो इसके जवाब में आनंदजी बोले, "मुकेश जी के केस में उल्टा था, बार बार वो रीटेक करवाते थे। किसी किसी दिन तो गाना बार बार सुनते सुनते लोग बोर हो जाते थे, म्युज़िशियन्स थक जाते थे। अब यह जो गाना है 'पूरब और पश्चिम' का, "कोई जब तुम्हारा...", यह हमने शुरु किया शाम ३ बजे, और रीटेक करते करते गाना जाके रिकार्ड हुआ अगले दिन सुबह ७ बजे। इस गाने में एक शब्द आता है "प्रिये", तो मुकेश जी को यह शब्द प्रोनाउंस करने में मुश्किल हो रही थी, वो 'परिये परिये' बोल रहे थे। एक समय तो वो गुस्से में आकर बोले कि 'यह क्या गाना बनाया है, यह मुझसे गाया नहीं जाएगा"। इस घटना को याद करते हुए आनंदजी की बार बार हँसी छूट रही थी उस कार्यक्रम में।
इस मज़ेदार किस्से के बाद आनंदजी ने मुकेश जी की तारीफ़ भी ख़ूब की थी, एक और अंश यहाँ प्रस्तुत है उस तारीफ़ की - "मुकेश जी इतने अच्छे थे, मैं एक क़िस्सा सुनाता हूँ आप को, एक बार बाहर जा रहे थे, दिल्ली जाना था उनको, और यहाँ पर शूटिंग आ गयी। तो गाना रिकार्ड करना था, हमने यह तय किया कि फ़िल्हाल किसी डबिंग आर्टिस्ट से गाना गवा लिया जाए, बाद में मुकेश जी की आवाज़ में कर देंगे। सुमन कल्याणपुर के साथ गाना था, तो हमने नया सिंगर मनहर उधास से गाना गवा लिया। बाद में सब कुछ मुकेश जी को बताया गया और गाना भी उन्हे सुनाया तो उन्होने कहा कि 'इसमें क्या बुरा है?' इसी को रख लो न, यह अच्छा है! इसमें बुरा क्या है! अभी तो नये आएँगे ही न? हम भी कभी नए थे कि नहीं!' इस तरह के, खुले दिल से, यह कहने के बाद भी उन्होने कभी किसी से नहीं कहा कि 'मैने गाना मनहर उधास को दे दिया, नहीं। वो गहरे आदमी थे, बड़े आदमी थे, इस तरह की सोच उनमें नहीं थी, इस तरह की बातें नहीं करते थे कभी।" दोस्तों, मनहर उधास के गाए जिस गीत का ज़िक्र अभी हमने किया वह फ़िल्म 'विश्वास' का था "आप से हमको बिछड़े हुए एक ज़माना बीत गया"। दोस्तों, अब वापस आते हैं मुकेश के गाए आज के गीत पर, सुनिए इंदीवर, कल्याणजी-आनंदजी और मुकेश की सदाबहार तिकड़ी के संगम से उत्पन्न यह 'एवरग्रीन सॊंग'।
गीत के बोल:
कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे
तड़पता हुआ जब कोई छोड़ दे
तब तुम मेरे पास आना प्रिये
मेरा दर खुला है खुला ही रहेगा
तुम्हारे लिये, कोई जब ...
अभी तुमको मेरी ज़रूरत नहीं
बहुत चाहने वाले मिल जाएंगे
अभी रूप का एक सागर हो तुम
कंवल जितने चाहोगी खिल जाएंगे
दरपन तुम्हें जब डराने लगे
जवानी भी दामन छुड़ाने लगे
तब तुम मेरे पास आना प्रिये
मेरा सर झुका है झुका ही रहेग
तुम्हारे लिये, कोई जब ...
कोई शर्त होती नहीं प्यार में
मगर प्यार शर्तों पे तुमने किया
नज़र में सितारे जो चमके ज़रा
बुझाने लगीं आरती का दिया
जब अपनी नज़र में ही गिरने लगो
अंधेरों में अपने ही घिरने लगो
तब तुम मेरे पास आना प्रिये
ये दीपक जला है जला ही रहेग
तुम्हारे लिये, कोई जब ...
और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. याद रहे सबसे पहले सही जवाब देने वाले विजेता को मिलेंगें 2 अंक और 25 सही जवाबों के बाद आपको मिलेगा मौका अपनी पसंद के 5 गीतों को पेश करने का ओल्ड इस गोल्ड पर सुजॉय के साथ. देखते हैं कौन बनेगा हमारा तीसरा (पहले दो गेस्ट होस्ट बने हैं शरद तैलंग जी और स्वप्न मंजूषा जी)"गेस्ट होस्ट". अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं-
१. जब भी मुकेश की याद आती है यही गीत सदा बन दिल से निकलता है.
२. आशा भोंसले की आवाज़ में इस फिल्म का और गीत अभी कुछ दिन पहले ही बजा था इस शृंखला में.
३. एक अंतरा शुरू होता है इस शब्द से -"बचपन".
पिछली पहेली का परिणाम -
पूर्वी जी ने सही जवाब देकर कमाए २ और अंक और आपका स्कोर हुआ १८. दिलीप जी आपकी बात से हम भी बहुत हद तक सहमत हैं. पाबला जी आपका हुक्म सर आँखों पर....अन्य सभी श्रोताओं का भी आभार
खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.
Comments
आप जैसे जानकारों की कमी बहुत अखर रही है इतना बडा़ हिन्ट देने के बाद भी इतनी देर तक, गीत कोई भी नहीं बता रहा है ।
bachpan se piya tera sath rahe hatho me tera nera hath rahe.aise hi kuch hai yah geet..
shayd sahi ho jaye..
bachpan se piya tera sath rahe hatho me tera nera hath rahe.aise hi kuch hai yah geet..
shayd sahi ho jaye..
aapko dekh kar bahut khushi hoti hai. ham to yahan haziri lagane aa jaate hain.
aapne apna gana mere blog par suna bhi ya nahi ?
logon ne bahut pasand kiya hai.
Sojoy ji, to hamare daanton se paseena nikalwa dete the, aaj kal unka dil makkhan ka ban gaya hai...
he he he he he
ROHIT RAJPUT
हम नादानों की भी तो सोचिए जो बाकी काम निपटा कर फुरसत से आते हैं :-)
Rohit
क्योंकि
ओ जानेवाले हो सके तो लौट के आना
ये घाट तू ये बाट कहीं भूल न जाना
बचपन के तेरे मीत तेरे संग के सहारे
ढूँढेंगे तुझे गली\-गली सब ये ग़म के मारे
पूछेगी हर निगाह कल तेरा ठिकाना
ओ जानेवाले...
है तेरा वहाँ कौन सभी लोग हैं पराए
परदेस की गरदिश में कहीं तू भी खो ना जाए
काँटों भरी डगर है तू दामन बचाना
ओ जानेवाले...
दे दे के ये आवाज़ कोई हर घड़ी बुलाए
फिर जाए जो उस पार कभी लौट के न आए
है भेद ये कैसा कोई कुछ तो बताना
ओ जानेवाले...
गीत के गायक के लिए हम हमेशा कहते हैं कि …हो सके तो लौट के आना
एक अंतरे का शुरूआती शब्द है बचपन
और आशा भोंसले जी का एक गीत भी है इस बन्दिनी फिल्म में
अब के बरस भेज भैया को बाबुल
सावन ने लीजो बुलाय रे
लौटेंगी जब मेरे बचपन की सखीयाँ
देजो संदेशा भियाय रे
अब के बरस भेज ...
अब यह नहीं मालूम कि ये गीत शामिल हुआ था कि नहीं :-(
अभी नया नया हूँ ना यहाँ :-)
मेरे ख्याल से अभी की अभी बधाई दे देनी चाहिए
हा हा
अपने ब्लॊग का पता दीजिए मैं भूल गया ।
ye raha pata...
http://swapnamanjusha.blogspot.com/
ROHIT
main bhi ROHIT ji ki baaton se poori tarah sahmat hun..
ye sach hai ki post dekhte hi ham paheli par hi daud jaate hain lekin baad mein jab aalekh padhte hain aur aap ke lekhan ko salam karte hain..
aur sach poochiye to tareef karne ki soch kar bhi chup rah jaate hain kyonki itne ucch koti ka lekhan hai aapka ki hamare (mere) shabd kam pad jaate hain...
lekin hamare or se kritagyata pragat kar rahe hain sweekar kar lijiye....
मैनें गीत सुन लिए हैं धन्यवाद !
आप मुकेश जी के जो गीत सुना रहे हो वो मुझे बहुत पसंद
पराग